टेली पैथी साधना का दूसरा चरण….4

राम राम मै शिवांशु

शिवगुरु को प्रणाम

गुरुवर को नमन.

मेरे ही निरुत्तर सवालों का जंगल मुझे उलझाये था. खुद को बड़ा समझने की गलतफहमी वाले विचार मेरे दिमाग पर हमला कर रहे थे. मै एकांत में गंगा जी की ठंण्ठी हो चली रेत पर लेटा था. उस वक्त रात के लगभग 11 बजे थे.

तभी मेरे मस्तिष्क से गुरुदेव की मानसिक तरंगे टकराईं. मै सतर्क हो गया. वे मुझसे सम्पर्क कर रहे थे.

कुछ ही देर में मेरे मस्तिष्क ने उनके संदेश ग्रहण करने शुरु कर दिये.

कैसे हो मेरे शेर? ये वो वाक्य है जिसे सुनकर मै सदैव अपनी सारी पीड़ा भूलकर जबरदस्त एनर्जी से भर जाता हूं. इसे गुरुदेव मेरे लिए पत्रकारिता के जमाने से बोलते आ रहे हैं.

मै खुश हो गया.

गुरुवर मेरा मस्तिष्क पढ़ रहे थे. सो मुझे जवाब देने की जरुरत नहीं थी. मुझे सिर्फ सोचना था. और मै सोच रहा था.

इतने सवाल? गुरुवर कह रहे थे. इनमें से किसी का भी जवाब जानना तुम्हारे लिए महत्वपूर्ण नहीं है. सीधे काम पर लग जाओ. उमाशरण जी की उर्जा में क्या प्राब्लम निकली ?

मैने उन्हें कई बार स्कैन किया लेकिन मुझे उनकी एनर्जी में कोई दोष नहीं मिला.

तो उनकी पिनियल ग्लैंड को चेक करो. गुरुवर ने निर्देश दिया.

ओह, उसे स्कैन करना मै भूल गया.

तुम भूल नहीं गए, बल्कि प्रभावित हो गए. गुरुदेव कह रहे थे. ध्यान रखों जब भी किसी व्यक्ति की एनर्जी रीड करो तो उसकी पोजीशन या उच्च क्षमताओं से प्रभावित होने की बजाय उसे सिर्फ एक मरीज के रूप में देखो. तभी सही नतीजे निकाल सकोगे. अभी गिरिजा शरण दास जी अपनी साधना पर बैठने वाले होंगे. उस दौरान उनकी एनर्जी दोबारा रीड करना. उनके मूलाधार और मैगमेन चक्र के बीच विशेष ध्यान देना. मै तुमसे रात 1 बजे के बाद दोबारा सम्पर्क करूंगा.

थोड़ी देर के लिये मै यूं ही बैठा रहा.

फिर स्वामी जी से मिला. उन्हें गुरुवर से मेरे मानसिक सम्पर्क की जानकारी पहले ही मिल चुकी थी. उन्होंने उमाशरण दास जी को बुलवाया. मैने उनकी एनर्जी दोबारा चेक की. पिनियल ग्लैंड में संकुचन मिला.

गुरुदेव के प्रति मन अनंत आभार से भर गया.

स्वामी जी ने मेरा मन पढ़ लिया और बोले हम उन्हें एेसे ही उर्जा नायक नहीं कहते.

एक और रहस्य खुला. गुरुदेव के उच्च आध्यात्मिक मित्र उन्हें उर्जा नायक कहते है. मेरा मन गर्व से भर गया.

स्वामी जी ने फिर मेरा मन पढ़ लिया और बोले हम सबको भी इस बात पर गर्व है.

हम सबसे आपका मतलब कितने लोगों से है ? मैने पूछा.

मेरे अलावा 7 लोग और. स्वामी जी ने बताया. हम सब साधनाओं में एक दूसरे को सहयोग करते हैं.

आपके पास तो देवी देवताओं की सिद्धियां हैं. उनकी मदद से तो किसी की भी उर्जाओं को ठीक कर सकते हैं. मैने पूछा.

एेसा नहीं है, प्रकृति ने जिसका निर्माण जिस काम के लिए किया है उसी से उस काम को कराया जाना उचित होता है. देवी देवताओं की अपनी मर्यादायें हैं. वे उनसे बाहर नहीं निकल सकते. सिर्फ मनुष्य ही एेसा है जिसे विधाता ने कर्म से प्रारब्ध बदलने का अधिकार दिया है.

क्या आप की तरह गुरुदेव के अन्य सभी आध्यात्मिक मित्र भी इसी तरह गुमनाम जगहों पर रहते हैं. मैने पूछा.

हां. उनका जवाब था.

क्यों? मैने फिर सवाल किया.

हम उर्जा नायक की तरह समाज शोधन का कार्य नहीं कर सकते हैं. स्वामी जी ने कहा हम सिर्फ आशीर्वाद दे सकते हैं. किसी की उर्जाओं को उपचारित नहीं कर सकते. इसलिए अपनी जरुरतों को त्यागकर निराश्रित होकर रहना ही हमारे अनुकूल है. इसी में हमारी गति है.

एक सामान्य व्यक्ति इन स्थितियों में किसको बड़ा माने. मेरे मुह से अनायास प्रश्न निकल पड़ा. जो सब कुछ त्याग कर समाज से अलग रह रहे हैं या जो सामाजिक जीवन में रहकर साधनाएं कर रहे हैं.

आध्यात्मिक रूप से कोई छोटा या बड़ा नहीं. स्वामी जी ने स्पष्ट करके कहा लेकिन उर्जा नायक की जिम्मेदारियां निःसंदेह हमसे बहुत बड़ी हैं. दुविधाओं से भरे लोगों का विश्वास जीतना और उन्हें उपचारित करके लाभ पहुंचाना उनके श्रेष्ठ होने का प्रमाण है. जहां लोग अपने लिये जीते हैं वहीं वे यश अपयश की परवाह किये बिना दूसरों के लिये जीते हैं. मै हमेशा उनके इस साहस को नमन करता हूं.

स्वामी जी से बातें करते हुए मै वहां पहुंच गया जहां गिरिजा शरण दास जी साधना कर रहे थे. हम उनसे थोड़ी दूर रुक कर एक जगह बैठ गए. और उन्हें देखने लगे. कुछ देर बाद गिरिजा शरण दास जी के शरीर में हलचल सी महसूस हुई.

फिर मैने जो देखा वह मेरे लिए अविश्वनीय और अकल्पनीय था. उनका शरीर पारदर्शी सा होने लगा. वे पूरे के पूरे दिख रहे थे. मगर उनके पीछे की चीजें भी दिखती प्रतीत हुईं. जैसे उनका शरीर पानी का बना हो.

मैने चकित होकर स्वामी जी की तरफ देखा.

मगर वे सामान्य थे. बोले बस इसी जगह आकर रुक जाता है ये. पूरा अदृश्य नहीं हो पा रहा. आप देखिये कहां फंसावट है.

मै क्या देखता. जो देखा उसी ने मुझे हैरान कर रखा था. सच कहूं तो मै बदहवास सा हो गया था.

फिर मुझे गुरुवर का निर्देश याद आ गया. और मैने गिरिजा शरण जी के मूलाधार व मैगमेन चक्र के बीच की उर्जा स्कैन की. तो कंफ्यूज हो गया. जिस व्यक्ति का आभामंडल और उर्जा चक्रों की स्थिति इतनी उच्च स्तर की हो उसका संप्रेषण इतना कमजोर कैसे हो सकता है.

शरीर में उर्जा के इस बिन्दु से निम्न उर्जाओं का उर्ध्यगामी सम्प्रेषण किया जाता है. गुरुवर का अनुमान सही था. विकार यहीं था.

तय समय पर गुरुवर से मेरा मानसिक सम्पर्क हुआ. मैने उन्हें सारी स्थिति बता दी. उन्होंने मुझे तीनों साधकों की उर्जाओं को हील करने के तरीके समझाये. जिनके जरिये रात भर जाग कर मुझे उनकी फंसी उर्जाओं को रिलीज करना था. जो किसी जन्म के कर्म प्रारब्ध के कारण फंस गई थीं.

मै उन्हें उपचारित करने में जुट गया.

मै आपको बताता चलूं कि गुरुदेव जिससे प्यार करते हैं उनकी गलतियों पर ध्यान नहीं देते. और जिन पर खुद से अधिक विश्वास करते हैं उनकी गलतियों को कभी मांफ नहीं करते.

आगे मै आपको अपनी एक गलती बताउंगा. जिसकी सजा मिली और साधना अधूरी छोड़कर मुझे वापस आना पड़ा.

…. क्रमशः

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