राम राम मै अरुण
गुरुदेव की एकांत साधना
शिवांशु जी की बुक से साभार….
स्वामी की घटना से कई सदस्य दुःख में हैं.
शिव साधिका dinga ji ने स्वामी जी की घटना पर एक सवाल पूछा है. जो इस तरह है…
Shivanshuji ek baat jo hai man mai badi khatakti hai ki is tarah aadhyatmik jagat ka insaan khatam Ho jaye aur bramhand ki koi shakti iski raxa ke liye nahi aayi? Kabhi mauka milne per is vishay per Guruji se gyan avashya lijiyega. Ye aap se binti hai.
भगवान में विश्वास रखने वालों के लिये ये बड़ा स्वाभाविक सवाल है। इसके जवाब में मै आपको एक प्रकरण बताता हूँ.
एक सन्त थे. भगवान् विष्णु के अनन्य भक्त. जंगल में कुटिया बनाकर रहते थे. शालिगराम को स्नान कराने से बना चरणामृत ही ग्रहण करते थे.
उनकी भक्ति इतनी प्रगाढ़ थी की नारायण खुद आकर उनसे बातें करते थे. वही उनके दोस्त थे वही रिश्तेदार। संत उनसे सदैव मोक्ष मागते थे.
एक दिन वहाँ 9 डाकुओं का एक गिरोह आ गया. डाकुओं ने सन्त को पकड़ लिया. उनसे कहा जो कुछ है सारा माल निकालकर ले आओ. सन्त ने बताया कि उनके पास कुछ नही. डाकुओ के सरदार ने साथिओ से कहा इसने आज की शुरुआत खराब कर दी. इसे मार डालो.
वे सब तलवार लेकर सन्त को मारने के लिये झपटे. सन्त इंतजार कर रहे थे कि भगवान् नारायण अभी कुटिया से निकलेंगे. डाकुओ को मारकर उनकी रक्षा करेंगे. पर नारायण नही निकले.
मृत्यु के अंतिम पल देखकर सन्त ने सरदार से कहा, मुझे कुछ देर की मोहलत दो. कुटिया में मेरा एक मित्र है. मै उनसे मिल लूँ. फिर मार देना. सरदार ने उन्हें 2 मिनट के लिए कुटिया में जाने की मोहलत दे दी. वे कुटिया में गए. नारायण वहीं थे.
सन्त बोले भगवन मैंने आपकी भक्ति में कहां चूक की? जो आप मेरी रक्षा को बाहर नही आये! मैंने क्या पाप किये जो आपने मेरे लिये इतनी भयानक मृत्यु तय की है.
नारायण बोले न तो तुमने पाप किया न ही तुम्हारी भक्ति में कमी है. ये तो तुमने जो मेरी सेवा की है उसका फल है.
ये कैसा फल है? सन्त विश्मित हो गए.
तुमने ही तो मोक्ष माँगा है. नारायण बोले.
हाँ तो! सन्त ने कहा ये मोक्ष कहाँ है? उलटे इस अकाल मृत्यु से मै प्रेत योनि में जाऊंगा.
भगवान मुस्कराये और रहस्य खोला. तुमने पूर्व के जन्मों में इन 9 लोगों की हत्या की थी. कर्म प्रभाव के तहत मोक्ष के लिए जरूरी है कि ये लोग भी तुम्हारी हत्या करके बदला चुकाएँ. अगर ये बारी बारी से तुम्हारी हत्या करें. तो मोक्ष के लिये तुम्हें 9 जन्म लेने पड़ेंगे.
इसीलिये मैंने इन्हें तुम्हारी हत्या की खातिर एक साथ एकत्र कर दिया है। सब मिलकर तुम्हे एक साथ मार देंगे. तो एक ही बार में इन सबका बदला पूरा हो जायेगा. बस मै तुम्हें मोक्ष दे सकूँगा. अब जैसा तुम कहो मै वैसा ही करूँ?
सन्त समझ गए और मोक्ष की खातिर बेख़ौफ़ होकर बाहर निकल पड़े.