गुरुवर की एकांत साधना: वृतांत…7

राम राम मै अरुण
गुरुवर की एकांत साधना
शिवांशु जी की बुक से साभार…

एकांत साधना के 12 वें दिन.
गुरुदेव ने whatsapp के शिव साधक और शिव साधिका
ग्रुप के लोगों को अज्ञात जानने की साधना कराने का फैसला लिया.
मैंने ग्रुप में इसकी सुचना दी तो सभी ख़ुशी से झूम उठे.
सबने साधना की तैयारी शुरू कर दी.

साधना का 13 वां दिन .
आज मै गुरुवर की 13 दिन की साधना का हिसाब पेश कर रहा हूं।
इससे पहले बता दूं कि गुरुवर पूरी तरह स्वस्थ और तरोताजा दिख रहे हैं। आज दोपहर 12 बजे से पहले मै साधना स्थल पर गया। तो वहां बड़ी ही सम्मोहक फिजा थी।
मन मस्तिष्क को वश में कर लेने वाली सुगंध थी। फिजा में छाये सम्मोहन ने मुझे रोक लिया। जैसे वहां बहुत से अपने लोग हों और बेआवाज कह रहे हों तुम्हारा स्वागत है, रुक जाओ न।
आज पहली बार साधना स्थल में बहुत अपनापन सा लगा। बिना योजना मै एक तरफ बैठ गया।
ध्यानस्थ गुरुदेव को निहारने लगा। बस निहारता रहा।
कुछ समय बाद गुरुवर ने आंखें खोलीं।
मुझे देखा।
मै उनके चरणों में लेट गया।

वह मनमोहक सुगंध अभी तक मेरी सांसों में है।
लग रहा है जैसे तमाम न दिखने वाले मेरे अपने आज मेरे साथ हैं। और उनकी मौजूदगी मन मस्तिष्क को आसमानी उड़ान दे रही है. पैर तो जमीं पर हैं मगर मन को पर से लग गए हैं.
दिल में यूँ ही उत्साह और उमंग उमड़ रही है। मेरे भीतर की दुनिया में बहारें घिर आई हैं। झुलसा देने वाली गर्मी का मौसम भी सावन सा सुहाना लग रहा है। दुनिया बड़ी रुमानी लग रही है।
मेरे जीवन का यह अमूल्य अनुभव है।

इस आतंरिक खुशी को मै शब्दों में बयां नहीं कर सकता।
बिना परोक्ष कारण के भी इतना खुश हूं कि बताने को शब्द घट जाये.
लग रहा है जैसे अब जीवन को कोई दुख भेद न सकेगा।
इसके लिए गुरुवर पर करोड़ों कुर्बानियां।

अब मै गुरुवर की साधना का हिसाब पेश कर रहा हूं…
* 15 तारीख से अब तक 13 दिन.
* इस बीच डेढ़ गिलास पानी पिया.
* एक गिलास नीबू पानी लिया.
* एक बाइट तरबूज की चखी.
* एक दिन दिल्ली आश्रम के विशेष सहयोगी अरुण और नीतू से मोबाइल पर कुछ मिनट बात की.
* एक दिन दिल्ली आश्रम की सहयोगी अंजली से whatsapp पर कुछ मिनट की चैट करके हीलिंग चार्ट भेजने को कहा.
* एक दिन मेरे आग्रह पर whatsapp पर अत्यधिक परेशानी से जूझ रही एक महिला से 2 मिनट की चैट करके उसे सुझाव दिये.
* 13 दिनों में उनके खाने पीने सहित सभी तरह की जरुरतों का खर्च रु. 0.00/- .
* एक दिन कुछ जरूरतमंदों को भोजन कराने में उनके हाथ से खर्च हुए रु. 700/
* उनके द्वारा यूज किए जा रहे कपड़े दो पीली धोती, दो सफेद ओढ़न, 1 तौलिया.
* मौन के कारण अपनी जरूरत बताने के लिए कागज पेन/पेंसिल का इश्तेमाल- एक बार भी नहीं किया.
अर्थात उनकी अपनी जरूरतें शून्य रहीं.
शायद अब मै समझ पा रहा हूं कि हलचल भरी इस दुनिया में अपनी जरूरतों को न्यूनतम कर लेना ही असली साधना है।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
शिवगुरु को प्रणाम
गुरुदेव को नमन.

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: