राम राम मै अरुण
गुरुजी की एकांत साधना का वृतांत बताने के लिए मै शिवांशु जी द्वारा लिखी जा रही बुक के कुछ खास अंश यहां पेश करूंगा. यह बुक वे गुरुदेव की साधना यात्रा पर लिख रहे हैं. जिसमें एक सफल पत्रकार से एक सिद्ध पुरुष बनने तक की गुरुदेव की अध्यात्मिक यात्रा के बारे में लिखा जा रहा है.
उनकी आने वाली बुक के अंश मै यहां मूल रूप में ही पोस्ट करूंगा.
गुरु जी की एकांत साधना के दौरान शिवांशु जी ही उनके साथ थे. और किसी को वहां जाने की इजाजत नहीं थी. हमारे वाट्सएेप के शिवसाधक और शिवसाधिका ग्रुप के साथियों ने गुरुदेव से अनुरोध किया था कि उनकी कठिन साधना की खबर उन्हें दी जाये. दरअसल भीषण गरमी में बिना पानी पिये साधना करने के गुरु जी के फैसले से इन ग्रुपों में जुड़े सभी लोगों को बहुत चिंता हो रही थी. वे सब गुरुजी को बहुत प्यार करते हैं.
उनकी चिंता को देखते हुए ही गुरुदेव ने शिवांशु जी को अपने साथ रखने और साधना की जानकारी दोनों ग्रुप के लोगों को देते रहने की मांग स्वीकार कर ली थी. इसी कारण हम सब को भी उनकी साधना के रहस्य जानने का अवसर मिल रहा है. तो हम आगे बढ़ने से पहले धन्यवाद देंगे शिवांशु जी को और गुरुदेव को प्यारे उन शिव साधकों और शिव साधिकाओं को.
साधना वृतांत शिवसाधक व शिव साधिकाओं को विवरण सुनाये जाने के फार्मेट में होगा. मुझे विश्वास है आपको इससे बड़ी प्रेरणा और दिव्य ज्ञान की जानकारी होगी.
15 मई 2015, गुरुवर की साधना का पहला दिन….
आज प्रदोष के शुभ मुहूर्त पर शाम 6 बजे गुरुवर की साधना प्रारम्भ हो रही है.
जो 14 जून को मास शिवरात्रि की शुभ रात्रि में पूर्ण होगी।
इस बीच गुरुवर का whatsapp मेरे पास है, जिसके जरिए मुझे आपकी सेवा का अवसर मिला है।
गुरुवर से मैंने आग्रह किया है कि मै साधना की बुलेटिन ग्रुप में दिन में 2 बार दूँ. अगर साधना शुरू करने से पहले उन्होंने इसकी इजाजत दे दी तो मै साधना संबंधी सूचनाएं नियमित आप तक पहुंचाता रहूंगा.
गुरुवर की आज्ञानुसार साधना स्थल सुसज्जित कर दिया गया है.
वहां का ए. सी. डिस्कनेक्ट कर दिया गया है.
गुरुवर ने वहां कूलर भी स्वीकार नहीं किया.
वहां से टी. वी., फ्रिज को हटा दिया गया है.
वहां से फर्नीचर यहां तक कि गद्दे भी हटा दिए गए हैं.
अख़बार वहां नही जायेगा.
गुरुवर के मोबाईल स्विच ऑफ हो चुके हैं
कक्ष से सजावटी सामान हटाया जा चूका है.
साधना कक्ष पूरी तरह खाली और शांत है.
गुरुवर के आसन के पास एक और खाली आसान लगा है, किसके लिये है ये रहस्य किसी को नही पता.
साधना के दिनों में कक्ष में किसी को प्रवेश की इजाजत नहीं. सफाई आदि के लिए मै एक बार ही वहां जा सकुंगा. जब कभी गुरुवर बाहर आएंगे, तभी मै भी उनसे मिल सकूँगा.
एक अति संतोष जनक सुचना है कि अपनों के आग्रह भरे दबाव पर गुरुवर ने साधना स्थल पर एक गिलास दूध और एक गिलास पानी रखे जाने की व्यवस्था स्वीकार कर ली है। शायद वे उसे कभी ग्रहण भी करें.
साधना से पूर्व गुरुवर के चेहरे पर परम् शांति और मनभावन दिव्य मुस्कान दिख रही थी.
शाम 6 बजने से पहले ही गुरुवर साधना कक्ष में चले गये. हम उनके बाहर निकलने का इंतजार करेंगे.
गुरुवर की साधना का दूसरा दिन…
वे कक्ष से बाहर नहीं आये. जब मै सफाई के उद्देश्य से कक्ष में गया तो वे गहन ध्यान में लीन थे. जानी और दूध के पात्र वैसे ही रखे थे. उसे ग्रहण नहीं किया गया.
उन्हें बदल दिया गया.
साधना का तीसरा दिन…
आज गुरुदेव बस कुछ ही देर के लिए साधना से बाहर आये.
गम्भीर, सौम्य, दिव्य दिख रहे थे.
उसी बीच साधना स्थल से दूध और पानी हटाया गया.
आज भी उन्होंने कुछ ग्रहण नहीं किया. बाहर आकर कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा लिया और मुह में रख लिया. फिर तुरन्त ही साधना स्थल पर चले गए.
उनके चेहरे पर पूरी ताजगी नजर आ रही थी.
बस इतना ही है आज मेरे पास उनके बारे में बताने के लिये. आज तो हम उन्हें नजर भर देख भी न सके.
(क्रमशः)