राम राम मै शिवांशु
आज से हम साधना यात्रा की शुरुआत करेंगे.
साधना एक बड़ा शब्द है. इसमें चमत्कार पैदा करने की क्षमता होती है.
साधना से आप देवी देवताओं को अपने वश में कर सकते हैं. उन्हें अपने
सम्मुख बुलाकर बैठा सकते हैं. उनसे बात कर सकते हैं. उनसे अपनी बात
मनवा सकते हैं. मनचाही कामनायें पूरी करा सकते हैं. अपना और संसार का कल्याण कर सकते हैं.
साधना की दुनिया में प्रवेश करने के लिए बड़ी प्रेरणा और उच्च क्षमताओं की जरूरत होतीहै. गुरुवर की एकांत साधना के वृतांत से निश्चय ही आपको बड़ी प्रेरणा मिलेगी. और आपकी क्षमताओं को विशाल करने के लिए तो गुरुदेव हैं ही आपके साथ. बस आपकोसाधना के रहस्यों को ध्यान और धैर्य से पढ़ते जाना है.
बात बीते मई माह की है. उन दिनों तापमान 46 डिग्री को पार कर रहा था. एक दिन अचानक ही गुरुवर का निर्णय आया. वे एक माह की एकांत साधना पर जा रहे हैं. उस दौरान जल भी नहीं ग्रहण करेंगे. भोजन तो पहले ही कई सालों से से नहीं करते हैं. एकांतसाधना के दौरान मौन में रहेंगे और किसी से मुलाकात नहीं करेंगे.
उन दिनों मै अपनी मनोवैज्ञानिक रिसर्च के सिलसिले में विदेश यात्रा पर था. कई देशों के मनोवैज्ञानिकों के साथ मिलकर अनुसंधान को आगे बढ़ाना था. इसी क्रम में 6 देशों कीयात्रा पूरी करनी थी.
एक रात गुरुवर की मेल मिली. लिखा था मेरी एकांत साधना में तुम साथ रहोगे.
एक लाइन की मेल ने मुझे रात भर सोने नहीं दिया. मै उसे बार बार पढ़ता रहा, और भगवान शिव को धन्यवाद देता रहा कि उन्होंने मुझे जन्मों जन्मों के पुण्य कर्मों का फल इस रूप में दे दिया.
मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. यकीन ही नहीं हो रहा था कि गुरुवर ने मुझे इतना बड़ा मौका दिया है. क्योंकि इससे पहले वे अपनी साधनाओं के दौरान किसी को भी साथ नहीं रखते थे. हम तरसते थे उनकी साधनाओं के रहस्य जानने के लिए.
उस समय मै आस्ट्रेलिया में था. अगले दिन मारीशस की फ्लाइट थी. उसके बाद लंदन और साउथ अफ्रीका के कुछ बड़े मनोवैज्ञानिकों से मिलना तय था. मैने उनसे बात करके सारी मीटिंग पोस्टफोन की और अगली ही फ्लाइट से इंडिया आ गया।
गुरुदेव ने साधना के लिए लखनऊ का चयन किया था. साधना 15 मई 15 से शुरू होनी थी.
एकांत के लिए एक प्रथक कक्ष का चयन हुआ. 14 मई को साधना कक्ष तैयार कर लिया गया. वहां से टी.वी., फ्रिज हटा दिये गए. गुरुदेव के निर्देश पर ए.सी. को डिस्कनेक्ट कर दिया गया. कक्ष से सारा फर्नीचर और सजावटी सामान हटा लिया गया. दीवारों पर लगे चित्र भी हटा दिये गये.
छत पर एक पंखा, जमीन पर सोने के लिए एक चादर, एक तकिया, साधना के लिए दो आसन। बस इतना ही सामना था वहां. गुरुवर ने दूसरा आसन किसके लिए रखवाया था. ये रहस्य था. उसी रात गुरुदेव के सभी फोन स्विच आफ हो गये. उनका वाट्सएेप मेरे पास आ गया. उनकी मेल और फेसबुक को भी मुझे ही जवाब देने थे.
अगले दिन से उनकी दिव्य साधना
शुरू होनी थी……
(क्रमशः)
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