चैप्टर 10
संजीवनी शक्ति उपचार- सुख, समृद्धि, सुरक्षा का वरदान
संस्थापक एवं लेखक- एनर्जी गुरू राकेश आचार्या
महान संजीवनी शक्ति का उपयोग करके जीवन में अमूल चूल परिवर्तन की तकनीक संजीवनी शक्ति उपचार में हमने अबतक पृथ्वी, जल,अग्नि और वायु तत्वों को जाना।
आज हम आकाश तत्व से परिचित होंगे।
शरीर में इसका केन्द्र गले के बीचोबीच स्थित विशुद्धी चक्र है। गरुण पुराण के मुताबिक इसके अधिष्ठाता देव आत्म चेतन है। यह उच्च स्रजन का केन्द्र है।
शरीर का आकाश तत्व जाग्रत करके नियंत्रित कर लिया जाये तो आसमान में उड़ने की शक्ति मिल जाती है। देवलोक के लोग इस तत्व का बहुतायत उपयोग करते है। इस तत्व की स्थिति अच्छी होने पर व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली बन जाता है। व्यक्ति की प्रतिभा और क्षमताएं आसमान छू लेती हैं। एेसा व्यक्ति खुद को हर जगह प्रूफ कर लेता है।
शरीर में यह तत्व बिगड़ जाये तो व्यक्ति अपनी बात को ठीक से प्रस्तुत नहीं कर पाता है। पर्सनालिटी बुझी सी रहती है। तमाम योग्यताएं, क्षमताएं होने के बावजूद एेसा व्यक्ति खुद को प्रूफ नहीॆ कर पाता और उसके किए हुए ज्यादातर कामों का क्रे़डिट दूसरे ले जाते हैं।
इसके बिगड़ने से आत्म जागरण कठिन होता है। गला, कान, नाक सम्बंधी सभी रोग इसी के बिगड़ने से होते हैं।
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.