चैप्टर 9
संजीवनी शक्ति उपचार- सुख, समृद्धि, सुरक्षा का वरदान
संस्थापक एवं लेखक- एनर्जी गुरू राकेश आचार्या
संजीवनी शक्ति उपचार
अपनी शक्तियों को जगाकर जीवन जीतने की इस तकनीक में हमने अब तक अग्नि तत्व की उपयोगिता और अनिवार्यता जानी। अब हम वायू तत्व की बात करेंगे।
शरीर में वायुतत्व का केन्द्र हृदय स्थल पर स्थित अनाहत चक्र होता है। गरुण पुराण के मुताबिक शिव इसके देवता हैं। यह उच्च भावनाओं का केन्द्र है। करुणा और दया इसकी प्रवृत्ति है। प्रेम और सुख इसके गुण हैं।
वायु तत्व नियंत्रित हो तो मन में सदैव उत्साह और उमंग भरा रहता है। प्यार से किसी को भी जीता जा सकता है। जिसमें वायु तत्व संतुलित हो वह व्यक्ति को प्यार में कभी धोखा नही मिलता है और न वह किसी को धोखा देता है। दूसरों पर दया करना, उनकी मदद करना, मानवता का सम्मान करना और सम्मान पाना ये सब उसके जीवन के अंग होते हैं। एेसे व्यक्ति का जीवन सुख और शांति से भरा होता है।
वायु तत्व के बिगड़ने से एेसा महसूस होता है जैसे भगवान ही रूठ गए। जीवन से सुख गायब हो जाते हैं। मन उत्साहहीन हो जाता है। तमाम साधन होते हुए भी सुख की अनुभूति नहीं होती। जीवन नीरसता से भर जाता है। प्यार में धोखा मिलता है। नफरत का सामना करना पड़ता है। दिल की बीमारियां लग जाती हैं।
संजीवनी शक्ति उपचार करके इस तत्व को हम आसानी से ठीक कर सकते हैं।
कल बात करेंगे अपने व्यक्तित्व को ऊंचाईयां देने में सक्षम आकाश तत्व की।
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.