चैप्टर 8
संजीवनी शक्ति उपचार- सुख, समृद्धि, सुरक्षा का वरदान
संस्थापक एवं लेखक- एनर्जी गुरू राकेश आचार्या
संजीवनी शक्ति उपचार
अपना और दूसरा का जीवन सुधारने की दिव्य क्षमता वाले संजीवनी उपचार को
सीखने के तहत हम इन दिनों पंच तत्वों की बात कर रहे हैं।
अभी तक आपने पृथ्वी व जल तत्व को जाना। अब हम अग्नि तत्व की बात करेंगे। हमारे शरीर में इसका केन्द्र मणिपुर चक्र है। जो नाभि से ऊपर दोनो पसलियों के बीच स्थित होता है।
गरुण पुराण के मुताबिक इसके देवता विष्णु हैं। यह भावनाओं और सफलताओं का केन्द्र है। प्रसार इसकी प्रवृत्ति है। इस तत्व पर सूर्य ग्रह का पूर्ण प्रभाव होता है। शरीर में यह तत्व संतुलित हो तो चेहरे पर चमक, व्यक्तित्व में तेज, सोसाइटी में पापुलरिटी, कामों में सफलता, स्वभाव में साहस, लोगों में मान्यता और जीवन में उन्नति होती है। यही तत्व हमारे भीतर दुनिया जीत लेने का हौसला और क्षमता पैदा करता है। यह पाचन तंत्र को भी नियंत्रित करता है।
अग्नि तत्व असंतुलित हो तो तनाव, बेवजह गुस्सा, अकारण भय, हिंसा की प्रवृत्ति, नशे की आदत, झूठ बोलने की आदत, धोखा देने की आदत, अपराध में रुझान, आलोचना की आदत, असफलताएं, फ्रस्टेशन, चिड़चिड़ापन, अपनी कमियां दूसरों में थोड़ने की प्रवृत्ति पैदा होती है। साथ ही एसिडिटी, पेट के रोग, हृदय के रोग, सुगर, थायराइड, लीवर, किडनी के रोग उत्पन्न होते हैं। मन हमेशा अशांत रहता है। डिप्रेशन सहित तमाम तरह के मनोरोगों का कारण भी इसी से पैदा होता है।
महान संजीवनी शक्ति का उपयोग करके इस तत्व और इससे प्रभावित होने वाले उर्जा केन्द्रों को आसानी से ठीक कर लिया जाता है। इसके नियंत्रित होने से जीवन जीने का असली सुख मिल ही जाता है।
आगे के चैप्टर्स में महान संजीवनी शक्ति का उपयोग करके पंच तत्वों और उनके उर्जा चक्रों को नियंत्रित करने की तकनीक मै सिखाउंगा।
कल बात करेंगे दुनियां की खुशियां जीतने में सक्षम वायु तत्व की।
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.