चैप्टर 7
संजीवनी शक्ति उपचार- सुख, समृद्धि, सुरक्षा का वरदान
संस्थापक एवं लेखक- शिव साधक, एनर्जी गुरू राकेश आचार्या
संजीवनी शक्ति उपचार में हम बात कर रहे हैं पंच तत्व अर्थात पंच महाभूतों की। यही हैं जीवन को शिखर पर पहुंचाने की असली चावी। गरुण पुराण में तो इन पर नियंत्रण करके अगले जीवन को भी संवारने की चर्चा हुई है। मोक्ष की राह भी इनसे होकर गुजरती है। त्रेता उपनिषद में पंच तत्वों और आभामंडल व उर्जा चक्रों पर कंट्रोल करने की तकनीक विस्तार से दी गई है।
संजीवनी शक्ति उपचार भी एेसी ही महान तकनीक है जो न सिर्फ इस जीवन को संवारती है बल्कि आने वाले जन्म भी इससे सुधारे जा सकते हैं। इसके प्रथम चरण में मै आपको पंचतत्वों का उपयोग करके उर्जा चक्रों को सही रखना और जाग्रत करना सिखाउंगा।
इसके लिए जरूरी है कि हम पंच तत्वों की उपयोगिता और उनकी शक्तियों से परिचित हों।
पहले हमने पृथ्वी तत्व की बात की। इसकी शक्तियां विशाल हैं। इस पर नियंत्रण करना आ जाये तो गुरुत्वाकर्षण को न्यूटल करके व्यक्ति हवा में उड़ सकता है। इसे वस में करने वाला अजर होकर इच्छा मृत्यु की शक्तियां हासिल कर लेता है। धरती पुत्री सीता मइया को पृत्थी तत्व पर नियंत्रण करना बहुत अच्छी तरह आता था। रावण उनकी इसी शक्ति से घबराता था। इसी कारण विवाह के लिए वह उन पर कभी बल प्रयोग न कर सका। सीता जी ने पहले से ही पृथ्वी तत्व का मनचाहा उपयोग करने वाले हनुमान जी को इस पर नियंत्रण करना भी सिखा दिया। जिससे वे अजर अमर हो गए।
मतलब ये कि पंच तत्वों को नियंत्रित करके इस शरीर से संचालित सारी गितविधियों को कंट्रोल किया जा सकता है।
अब मै आपको जल तत्व की जानकारी दे रहा हूं। हमारे शरीर में कमर से थोड़ा नीचे और जननांगों से ऊपर स्थित स्वाधिष्ठान चक्र इसका केन्द्र है।
गरुण पुराण के मुताबिक इस केन्द्र के देवता भगवान ब्रह्मा होते हैं। यह आनंद और क्रिएशन का केन्द्र है। इसका अपना कोई रंग नहीं होता। नीचे पृथ्वी तत्व की लाल और ऊपर अग्नि तत्व की पीली उर्जा को मिलाकर यहां बीच में नारंगी रंग नजर आता है। इस तत्व पर शुक्र और चन्द्र ग्रह की उर्जाओं का प्रभाव होता है।
जल तत्व जीवन को स्रजन और प्रवाह प्रदान करता है। पृथ्वी तत्व के साथ मिलकर यह जीवन का स्रजन करता है। अग्नि तत्व के साथ मिलकर यह अध्यात्मिक प्रखरता का स्रजन करता है। वायु तत्व के साथ मिलकर उर्ध्य गामी हो जाता है। एेसे में यह सिद्धियों का स्रजन करता है। आकाश तत्व के साथ मिलकर यह उत्तरोत्तर उन्नति का स्रजन करता है। शिव तत्व के साथ मिलकर व्यक्ति को शिव मय कर देता है। इसके जागरण और संतुलन के बिना किसी की भी कुण्डली का जागरण नहीं हो सकता।
जल तत्व असंतुलित हो तो स्वाधिष्ठान चक्र बिगड़ जाता है। एेसे में नपुंसकता, बांझपन, सभी तरह के गुप्त रोग, माहवारी की तकलीफ, मूत्र रोग, आकर्षण में कमी, जीवन में जड़ता, कला के क्षेत्र की रुकावटें, नीरसता, सिद्धियों में रुकावटें, प्रगति में रुकावटें और अपनों से दूरियां पैदा होने लगती हैं।
जल तत्व को नियमित करके उक्त स्थितयों को सरलता से दूर किया जा सकता है। अपनी भी दूसरों की भी। महान संजीवनी का उपयोग करके कैसे करें जल तत्व पर कंट्रोल। ये तकनीक मै आपको सभी तत्वों और उर्जा चक्रों से परिचित कराने के बाद सिखाउंगा, ताकि आप चमत्कारिक शक्ति का मनचाहा उपयोग करते समय कभी फेल न होने पायें।
कल मै आपको अग्नि तत्व की उपयोगिता और शक्तियों की जानकारी दूंगा।
तब तक के लिए राम राम।
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.