चैप्टर 6
संजीवनी शक्ति उपचार- सुख, समृद्धि, सुरक्षा का वरदान
संस्थापक एवं लेखक- शिव साधक, एनर्जी गुरू राकेश आचार्या.
आज हम पृथ्वी तत्व से परिचित होंगे।
इस तत्व के देवता भगवान गणेश हैं।
जैसा कि नाम से पता चलता है पृथ्वी तत्व धरती से जुड़ी उर्जा है। हमारे शरीर में इसका केन्द्र मूलाधार चक्र होता है। मूलाधार को कुछ लोग रूट या बेसिक चक्र के नाम से जानते हैं। पैरों के तलवों और हथेंलियों में स्थित उपचक्र इसके सपायक होते हैं। जो पृत्थी तत्व की उर्जाएं धरती से लेकर मूलाधार को देते रहते हैं। स्वयं मूलाधार भी प़थ्वी तत्व की उर्जाएं धरती से लेता रहता है।
मूलाधार चक्र हमारे शरीर में मंगल ग्रह की उर्जाओं का भी केन्द्र होता है। जिनमें पृथ्वी तत्व की बहुतायत होती है।
एक पौराणिक गाथा के मुताबिक पूर्व काल में उज्जैन के पास भगवान शिव का राक्षसों के साथ भयानक युद्ध हुआ। जो लम्बे समय तक चला। उस दौरान प्रक्षेपास्त्रों के भारी उपयोग से वहां की धरती प्रचंड रूप से तपने लगी। उसका रंग लाल हो गया।
भारी रक्तपात और शिव के प्रचंड पसीने के धरती पर गिरने से धरती का एक भाग ठण्डा होकर टूट गया। और अंतरीक्ष में उड़ गया। वहां एक जगह रुककर केंद्रित हो गया।
जिसे बाद में मंगल ग्रह का नाम दिया गया। क्योंकि उसके टूटकर उछलते ही दानव घबरा गए। वे शिव से पराजित हुए। और धरती पर पुनः मंगल हो गया। इसीलिए ज्योतिष में मंगल ग्रह को लाल ग्रह और धरती का पुत्र भी कहा जाता है। और इसी कारण ही मंगल ग्रह धरती पर उज्जैन से सबसे नजदीक है।
यह पौराणिक कथा अपनी जगह सत्य हो या फिर कारण कुछ और हो। लेकिन मंगल ग्रह की उर्जा में पृथ्वी तत्व बहुत अधिक होता है। उसके गुण धरती के तत्व के समान ही होते हैं। उसका हमारे शरीर और मन मस्तिष्क पर सीधा असर पड़ता है।
पृथ्वी तत्व मूलाधार चक्र को नियंत्रित करके शरीर का निर्माण करता है। यह कोशिकाओं, खून, हड्डियों, मांसपेशियों, त्वचा, बालों, नाखूनों के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है। इन्हें कंट्रोल भी करता है। शारीरिक व मानसिक शक्ति यहीं से पैदा होती। इस तत्व के बिगड़ने से मूलाधार चक्र बिगड़ जाता है। जिससे खून, हड्डियों, मांसपेशियों, त्वचा, बालों के रोग पैदा होते हैं। हृदय और मस्तिष्क के रोगों का कारण भी कई बार यही होता है।
कमजोरी, आलस्य, निराशा, आर्थिक तंगी, बेरोजगारी, डिप्रेशन, आत्मबल में कमी भी मूलाधार चक्र के बिगड़ने से होता है। इसमें पृथ्वी तत्व कम हो जाये तो व्यक्ति आत्महत्या करने पर आमादा हो जाता है। मूलाधार में यह तत्व अधिक हो जाये तो व्यक्ति हिंसक होकर हत्या तक कर डालता है।
पृथ्वी तत्व को संतुलित करके मूलाधार को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। संजीवनी शक्ति पंच तत्वों को कंट्रोल करती है। सो संजीवनी शक्ति उपचार करके पृथ्वी तत्व को सरलता से संतुलित किया जा सकता है।
कल मै आपको जल तत्व की भूमिका और उपयोगिता की जानकारी दूंगा।
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.