जानवरों के जीवन से खुद को बाहर निकालें
ब्रम्हांड साधना करें
सभी अपनों को राम राम
सुनने में बड़ा अनुचित लगता है किंतु सच्चाई अकाट्य है। कई लोगों को जानवरों का जीवन जीना पड़ रहा है।
लक्षण-…
घर के लोग कहना नही मानते
अपनों के बीच सम्मान की कमी
अपनों के बीच विश्वास की कमी
अपने ही बार बार गुस्सा दिलाते हैं
जब घर में ऐसे स्थिति हो तो बाहर वालों से कैसी उम्मीद!
पशुवत जीवन के लक्षण तो और भी बहुत हैं।
परन्तु भौतिक जीवन में उपरोक्त लक्षणों पर ध्यान देना पर्याप्त है। जो लोग उक्त स्थितियों का सामना कर रहे हैं, निश्चित रूप से उन्हें मानव जीवन का सुख नही मिल पा रहा।
एक बैल या भैंसे से जी तोड़ काम लिया जाता है, उसे चारा डाल दिया जाता है, कभी उसे श्रेय-सम्मान नही दिया जाता।
उल्टे उसे बांधकर रखा जाता है, उसकी आजादी छीन ली जाती है। वह अपनी मर्जी से घूम फिर भी नही सकता।
कुछ ऐसा ही उनके साथ भी होता है, जिनके मनुष्य जीवन की शक्तियां खो गयी हैं।
वे पशुयों की तरह मेहनत कर रहे हैं, किंतु उस मेहनत का श्रेय-सम्मान उन्हें नही मिलता।
उनके अपने ही उनकी मेहनत वाले में मीन मेख निकालते पाए जाते हैं।
दुर्भाग्य तो इतना बड़ा कि बच्चे तक उनके किये पर उंगली उठाते हैं।
ऐसा प्रतीत होता है जैसे वे अपनों के लिये कुछ खास नही बल्कि परिवार के मजदूर हैं।
चाहे दुनिया से जूझकर मेहनत करके कमाकर लाने वाला पुरुष हो या सुबह से रात तक परिवार की सेवा में लगी गृहणी। यदि घर के लोग यह तो तुम्हारा काम है, ऐसा कहकर उनके किये को श्रेय नही देना चाहते तो निश्चित ही वे पशुवत जीवन के शिकार हैं।
उन्हें मनुष्य जीवन में वापसी करनी चाहिये।
ईश्वर ने उन्हें भी मानव जीवन का आनन्द लेने के लिये धरती पर भेजा है, उन्हें भी आनन्द भरा जीवन जीने का अधिकार है।
बच्चों से सेवा के आनन्द की कामना में बुढ़ापे का इंतजार करने से बेहतर है खुद ही अपने आनंद पुनर्स्थापना कर ली जाए।
ऐसा आनन्द जो कई जन्मों तक साथ रहे। ऐसा आनंद जो परिवार को भी आनंदित रखे और खुद को भी।
कोई बड़ा ही कारण होगा जो मनुष्य जीवन पाने के बाद भी जानवरों सा जिल्लत भरा जीवन जीना पड़ रहा है।
आज मै यहां कारण पर चर्चा नही करूँगा।
अपितु सीधे निवारण की बात करूंगा।
जिन्हें मानव जीवन का सम्मान नही मिल पा रहा, वे खुद को मनुष्य जीवन की मुख्य धारा में लाएं।
इसके लिये पहले तो वे दर दर भटकना बन्द करें।
ब्रह्मांड में कहीं खो गयी अपनी शक्तियों को पुनः अपने भीतर स्थापित करें।
इस उद्देश्य में ब्रम्हांड साधना बहुत ही प्रभावशाली मार्ग है। उच्चतर जीवन और आने वाले जन्मों के लिये सभी को जीवन में कम से कम एक बार इसे अवश्य कर लेना चाहिये।
कौन करें ब्रह्मांड साधना…
1- जो अपने भीतर ब्रह्म लोक लोक की शक्तियां स्थापित करना चाहते।
2- जो अपने भीतर देवी लोक की शक्तियां स्थापित करना चाहते।
3- जो अपने भीतर विष्णु लोक की शक्तियां स्थापित करना चाहते।
4- जो अपने भीतर शिव लोक की शक्तियां स्थापित करना चाहते।
5- जो अपने भीतर हजारों ब्रह्मांडों की शक्तियॉ स्थापित करना चाहते हैं।
ब्रह्मांड साधना की पात्रता…
उन कामों से दूर रहना जिनमें स्वार्थ या परमार्थ न जुड़ा हो।
कम से कम 1 माह ब्रह्मचर्य का पालन।
साधना के समय मोबाइल से दूरी।
किसी अन्न क्षेत्र में एक माह सेवा।
एक समय भोजन।
गंगा सेवा।
जन सेवा।
गौ सेवा।
देर न करें।
मनुष्य जीवन में तुरंत वापसी करें। अपने आस पास ब्रह्मांड साधना का कोई विद्वान ढूंढ लें। उसके पीछे लग जाएं। क्योंकि इसके कम विद्वान ही उपलब्ध हैं। दीन भाव से उनसे साधना का आग्रह करें। जब तक वे न माने पीछा न छोड़े।
शिव गुरु की कृपा से एक दिन आपको देवताओं द्वारा इच्छित ब्रह्मांड साधना का सुअवसर मिल ही जायेगा।
तब तक हर दिन जपें – हे शिव आप मेरे गुरु हैं मै आपका शिष्य हूँ, मुझ शिष्य पर दया करें, मुझे ब्रह्मांड साधना का सुअवसर प्रदान करें।
ऐसी दया के लिये आपका धन्यवाद!
सबका जीवन सुखी हो
यही हमारी कामना है.
@शिव शरणं!