देखने में आया है कि कुछ साधक पूर्व में दी जानकारी को पढ़े बिना लगातार गैर जरूरी सवाल पूछते रहते हैं। ध्यान रहे गैर जरूरी जिज्ञासा साधना की क्षमता को कम करती है।
नीचे अप्सरा साधना का सम्पूर्ण विधान दिया जा रहा है उसे ठीक से पढ़ लेने के बाद कोई सवाल नही बचेगा। जानकारी को ठीक से पढ़ें और समझें फिर अपनाएं।
खास बात….
18 मई 19 पूर्णिमा की रात से आरम्भ हो रहे प्रथम चरण में अप्सरा सिद्धि यन्त्र और कुमकुम बूटी को सामने रखकर उन्हें देखते हुए मन्त्र जप करना है।
3 दिन की साधना पूरी होने तक यन्त्र और बूटी वहीं रखे रहेंगे।
प्रथम चरण की साधना के दौरान यन्त्र को पहनना नही है।
किसी वजह से किसी का यन्त्र देर से पहुंचता है तो वह विचलित न हो।
यन्त्र और कुमकुम बूटी का मुख्य उपयोग दूसरे चरण में किया जाएगा।
दूसरे चरण का विधान भी यही रहेगा, बस उसमें साधना के समय सिद्ध अप्सरा यन्त्र को सफेद धागे में डालकर गले में धारण करना होगा।
रोज साधना पूरी होने के बाद यन्त्र को उतार कर सिरहाने रखकर सो जाना होगा।
सुबह कुमकुम बूटी के साथ रख देना होगा।
(ये बात दूसरे चरण के लिये है, पहले के लिये नही, अभी इसे सिर्फ जानकारी के लिये बताया गया है।)
दूसरे चरण की साधना कब होगी यह बाद में बताया जाएगा।
अप्सरा साधना विधान… (प्रथम चरण)
18 मई को पूर्णमासी है,
साधना पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त में आरम्भ करें. साधना के लिये एकांत कक्ष का चयन करें.
साधनास्थल को साफ सुथरा, आकर्षक और गुलाब इत्र से सुगंधित कर लें.
रात 10 बजे के बाद साधना आरम्भ करें. घी का दीपक जला लें.
साधना कक्ष में दीपक के अलावा सभी लाइट बंद कर दें.
टी.वी. प्रिज, ए.सी. मोबाइल, लेपटाप अन्य इलेक्ट्रानिक आइटम वहां हों तो उन्हें स्विच आफ कर दें. क्योंकि इलेक्ट्रानिक उपकरणों की तरंगें साधना तरंगों को क्षतिग्रस्त कर देती हैं. आवश्यकतानुसार पंखा या कूलर का उपयोग कर सकते हैं.
पहले दिन नये सफेद व आकर्षक वस्त्र पहनें. साधना के बाद उन वस्त्रों को उतार कर दूसरे पहन लें.
अगले दिन पुनः उन्हें पहनकर साधना करें. जरूरत महसूस हो तो बीच में वस्त्रों को धो सकते हैं. धोने के बाद अच्छे से प्रेस करके ही दोबारा उन्हें धारण करें. सिलवटें नही होनी चाहिये.
वस्त्रों में गुलाब की सुगंध रोज करते रहें.
उत्तर दिशा में मुंह करके साधना करें.
सामने किसी चौकी पर नया सफेद वस्त्र बिछायें. दीपक जला लें.
चौकी पर अटूट चावलों की एक ढेरी बनायें. उस पर पहले से सिद्ध अप्सरा यंत्र और कुमकुम गुटिका स्थापित करें।
एक पात्र में आवश्यकतानुसार अपने पीने के लिये पानी अलग से रखें.
अपने लिये सफेद आसन बिछायें. साधना के बाद उसे झाड़कर सुरक्षित रख दिया करें. ताकि साधना पूर्ण होने तक वह गंदा न होने पाये.
आसन पर आराम से बैठकर संकल्प लें.
साधना संलक्प…
1 मृत्युंजय शक्ति से सक्षम साधक बनाने का आग्रह करें. कहें- मृत्युंजय भगवान की दिव्य मृत्युंजय शक्ति मुझ पर दैवीय उर्जाओं की बरसात करें. मेरे तन-मन-मस्तिष्क-आभामंडल- उर्जा चक्रों- कुंडलिनी और रोम रोम को उर्जित करें, उपचारित करें, जाग्रत करें, अप्सरा सिद्धि अर्जित करने हेतु मुझे सक्षम बनायें. मुझे मेरे गुरुदेव के चरणों से जोड़कर रखते हुए मेरे आभामंडल को चंद्र ज्योत्सना अप्सरा के आभामंडल से जोड़ दें. और लगातार जोड़कर रखें.
2 अपने गुरू से दिव्य आशीर्वाद का आग्रह करें. कहें- मेरे गुरुदेव आपको मेरा प्रणाम. अप्सरा सिद्धि हेतु मुझे अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान करें.
3 भगवन शिव से साक्षी बनने और सुरक्षा करने का आग्रह करें. कहें- हे देवों के देव महादेव मेरे मन को पवित्र शिवाश्रम बनाकर सपिरवार इसमें विराजमन हों. आपको साक्षी बनाकर मै अप्सरा सिद्धि साधना कर रहा हूं. इसकी सफलता हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें.
4 मंत्र से सिद्धि का आग्रह करें. कहें. दिव्य अप्सरा सिद्धि मंत्र आप मेरी भावनाओं के साथ जुड़ जायें. मेरे तन-मन-मस्तिष्क आभामंडल उर्जा चक्रों, कुंडलिनी और हृदय सहित सभी अंगों में व्याप्त हो जायें. मेरे लिये सिद्ध होकर मुझे अप्सरा सिद्धि प्रदान करें.
5 अप्सरा यंत्र और कुमकुम गुटिका से अप्सरा से अटूट सम्पर्क का आग्रह करें. कहें- दिव्य अप्सरा यंत्र आपको मेरे लिये जाग्रत और सिद्ध किया गया है. मेरी भावनाओं से जुड़कर आप सदैव मेरे लिये सिद्ध रहें. मेरी उर्जाओं को इसी क्षण चंद्र ज्योत्सना अप्सरा की उर्जाओं के साथ जोड़ दें. और सदैव जोड़कर रखें..
6 पंचदेवों से सुरक्षा का आग्रह करें. कहें- हे पंचदेवों अप्सरा सिद्धि हेतु मुझे और मेरे परिवारजनों को दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें. एेसा कहकर नीचे दिया मंत्र पांच बार जपें.
सदा भवानी दाहिने सम्मुख रहें गणेश, पांचदेव रक्षा करें ब्रह्मा विष्णु महेश.
7 अप्सरा से सिद्ध होकर जीवन में आ जाने का आग्रह करें. कहें- हे देवी चंद्रज्योत्सना अप्सरा मेरे द्वारा की जा रही साधना को स्वीकार करें, साकार करें, सिद्ध होकर मुझे धन-यौवन-समृद्धि-सुख औऱ सानिग्ध प्रदान करें.
उपरोक्त संकल्प वाक्य पूरे करके दीपक व धरती मां को प्रणाम करें.
श्री गणेशाय नमः कहकर मंत्र जप आरम्भ करें. प्रतिदिन 21 माला मंत्र जप करना है.
जप के दौरान अधिक से अधिक समय तक यंत्र पर लगातार त्राटक करें. अर्थात अप्सरा यंत्र को खुली आंखों से देखें. आंखों में जलन या थकावट हो तो कुछ समय के लिये उन्हें बंद कर सकते हैं. आवश्यकतानुसार आंखों में डालने के लिये गुलाब जल या कोई आई ड्राप साथ रखें.
21 माला मंत्र जप पूरा होने पर माला सिरहाने रखकर वहीं सो जायें. जप पूरा होने के बाद भगवान शिव को, अपने ईष्ट को, अपने गुरू को, मंत्र को, माला को, यंत्र को, देवी अप्सरा को, आसन को, धरती मां को, कलश को, अपनी उर्जाओं को और विधान से परिचित कराने के लिये मुझे धन्यवाद दें.
साधना लगातार 3 दिन करनी है.
साधना के दौरान कक्ष में किसी के होने या पास बैठने का अहसास हो तो विचलित न हों. घंटियों की आवाज, घुंघुरुओं की आवाज, किसी महिला के हंसने की आवाज सुनाई दे तो विचलित न हों. कमरे में अज्ञात सुगंध फैलती लगे तो विचलित न हों. मंत्र जप जारी रखें.
अंतिम दिन गुलाब की दो माला लेकर बैठें. जब साधना कक्ष में देवी के होने का संकेत मिले तो एक माला यंत्र पर चढ़ा दें. दूसरी स्वयं धारण कर लें. कुछ समर्थ साधकों को देवी सामने बैठी दिखेंगी, तब पहली माला उनके गले में डाल दें. दूसरी खुद पहन लें. देवी से सदैव साथ रहने का वचन लें.
मंत्र…
ॐ हृीं चंद्र ज्योत्सने आगच्छ आज्ञा पालय मनोवांछित देहि ऐं ॐ नमः
साधना सामग्री…
मंत्र जप के लिये स्फटिक माला
साधक की उर्जाओं से जुड़ने के लिये अप्सरा यंत्र
आसन… सफेद
दीपक… घी का दीपक
वस्त्र… सफेद
मंत्र संख्या… 21 माला प्रतिदिन
साधना की अवधि… 3 दिन
साधना करते समय जो भी आपके गुरू हो उनके प्रति निष्ठा बनाये रखें. जिन्होंने किसी को गुरू धारण नही किया है वे भगवान शिव को गुरू बनाकर साधना करें. बिना गुरू धारण किये यह साधना बिल्कुल न करें. मुझे गुरू न बनाए. मै अध्यात्मिक मित्र के रूप में आपको सहयोग करता रहुंगा.
साधना के दौरान किसी भी तरह की दुविधा हो तो 9250500800 पर लिखें।
सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है.
शिव शरणं