प्रेत बाधा निवारण हेतु शिवगुरू से आग्रह का विधान

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14 अक्टूबर 2018
सभी अपनों को राम राम
प्रेत बाधा. ये शब्द अपने आप में डराने वाला है.
प्रेत भय के शिकार तमाम लोग होते हैं. मगर सच्चाई यह है कि वास्तव में उनमें प्रेत बाधा के शिकार बहुत कम लोग होते हैं. बाकी सब भय का भूत पाले बैठे रहते हैं.
तांत्रिक, ओझा, झाड़फूंक वाले अधिकांश लोग इस मामले में भ्रम उत्पन्न करते हैं. क्योंकि भूत प्रेत के नाम से लोग डर जाते हैं. डरे हुए लोगों से धन उगाही करना उनके लिये आसान होता है. लोगों को डराने के लिये लिये ओझा, तांत्रिक प्रभावित लोगों को तरह तरह की कहानियां सुना कर यकीन दिलाते हैं कि वे प्रेत बाधा के शिकार हैं.
प्रेत बाधा दो तरह की होती है. एक वास्तविक दूसरी मन से उत्पन्न प्रेत. वास्तविक प्रेत बाधा को इलेक्ट्रिक वायलेट उर्जा का उपयोग करके कुछ ही मिनटों में समाप्त किया जा सकता है. आसमानी बिजली की तरह चमकती इलेक्ट्रिक वायलेट उर्जा भूत प्रेत के शरीर को जला देती है.
संजीवनी उपचारक इसे सीधे ब्रह्मांड से प्राप्त कर लेते हैं. कई मंत्रों के जप से भी इलेक्ट्रिक वायलेट उर्जा उत्पन्न होती है. उनके प्रयोग से भूत प्रेत भाग जाते हैं. या जलकर नष्ट हो जाते हैं.
मन से उत्पन्न भूत को खत्म करना बहुत मुश्किल होता है. क्योंकि वह प्रभावित व्यक्ति की अपनी ही विकृत उर्जा होती है. जो प्रेत की तरह काम कर रही होती है. उनके सारे लक्षण भूत प्रेत की तरह ही होती हैं. इसे एेसे समझो कि प्रभावित व्यक्ति भय वश अपने मन की शक्ति से जीते जी अपना भूत पैदा कर लेते हैं.
दोनो ही तरह की प्रेत बाधा से प्रभावित व्यक्ति का बी.पी. लो होता रहता है.
दरअसल सही मायने में यह लो बी.पी. की बीमारी से टूटे कांफीडेंस और भय का मिश्रित परिणाम है. बी.पी. लो होने पर जीवन चलाने वाली मूलाधार की शक्तियां मस्तिश्क सहित ऊपर के अंगों में ठीक से प्रक्षेपित नही हो पाती. जिससे व्यक्ति आंतरिक कमजोरी का शिकार होता है.
एेसे में किसी बात को लेकर वह लम्बे समय से परेशान चल रहा हो या भय में हो तो एेसे बाधा का निर्माण होता है. वास्तविक प्रेत भी उन्हीं लोगों में प्रवेश करने में सक्षम होते हैं जिनकी आंतरिक शक्तियां कमजोर हो जाती हैं. मन से उत्पन्न प्रेत को व्यक्ति में प्रवेश करने की आवश्यकता नही होती. वह भीतर ही होता है. कई बार कुछ लोग लम्बे समय से अनदेखी का शिकार होते हैं, वे अपनी बात मनवाने की कोशिश में स्वयं का भूत पैदा कर लेते हैं. जोकि सबसे अधिक खतरनाक होता है.
इसे समाप्त करने में लम्बा समय लगता है. क्योंकि जल्दबाजी में इसे खत्म किया जाये तो प्रभावित व्यक्ति की उर्जायें जलकर नष्ट हो जाती हैं. वह पागल हो सकता है या उसकी मृत्यु हो सकती है.
प्रेत बाधा कैसी भी हो, परेशानी का कारण बनी ही रहती है. कई बार तो पूरा परिवार तबाह हो जाता हैं.
भगवान शिव का महाकाल स्वरूप प्रेत बाधा को समाप्त करने में बड़ा सहायक होता है.
इसलिये मै शिव गुरू से महाकाल सहायता प्राप्त करने का विधान बता रहा हूं. ध्यान से समझें और सावधानी से अपनायें.


विधान…
दक्षिण मुख होकर आराम से बैठ जायें. भगवान शिव को मन के मंदिर में आमंत्रित करें. कहें हे देवों के देव महादेव आपको मेरा प्रणाम है. मेरे मन को सुखमय शिवाश्रम बनाकर इसमें महाकाल स्वरूप में विराजमान हों. आनंदित हों, मुझे सुख और सुरक्षा प्रदान करें.
2 मिनट तक लम्बी और गहरी सांसें लें.
फिर महाकाल सहायता की मांग करें. कहें हे शिव आप मेरे गुरू हैं मै आपका शिष्य हूं, मुझ शिष्य पर दया करें. भूत भय से मुक्ति हेतु मेरे ( या उस व्यक्ति का नाम लें जो बाधा से प्रभावित है) मूलाधार चक्र, कटिचक्र, विशुद्धि चक्र और आज्ञा चक्र में अपनी महाकाल शक्तियों की स्थापना करें. आवश्कतानुसार मेरे ( या प्रभावित व्यक्ति का नाम) साथ देवदूतों की नियुक्ति करें. बाधा समाप्त होने तक देवदूतों की सहायता और सुरक्षा बनाये रखें.
मूलाधार चक्र, कटिचक्र (नाभि से बिल्कुल पीछे पीठ पर), विशुद्धि चक्र और आज्ञा चक्र पर बारी बारी से ध्यान लगाते हुए शिवगुरू से महाकाल सहायता की मांग को 11-11 बार दोहरायें.
इस बीच आंखें बंद रखें. किसी तरह का भय लगे तो घबरायें नहीं देवदूत रक्षा करेंगे. यदि मांस जलने की दुर्गंध या किसी अन्य तरह की दुर्गंध प्रतीत हो तो विचलित न हों, कुछ देर बाद स्वतः समाप्त हो जाएगी.
अंत में शिव गुरू को, उनके द्वारा नियुक्त देवदूतों को, धरती मां को और विधान से परिचित कराने के लिये मुझे धन्यवाद दें. इच्छिक परिणाम पाने के लिये यह अनिवार्य है.
यदि वास्तविक प्रेत बाधा होगी तो एक ही बार में उससे मुक्ति मिल जाएगी.
यदि मन से उत्पन्न किया गया प्रेत होगा तो ठीक होने में कुछ समय लगेगा. प्रभावित व्यक्ति के ठीक होने तक दिन में दो बार प्रक्रिया को दोहराया जाना चाहिये. साथ ही प्रभावित व्यक्ति पर प्रेत प्रभाव के समय बी.पी. को चेक करते रहें. लो मिले तो उसे नमक चटायें या काफी पिलायें. या चाकलेट खिलायें. या कोल्ड ड्रिंक पिलाया. इससे बी.पी. सामान्य होगा और आंतरिक शक्तियों मजबूत होती जाएंगी.
इसे 21 दिन तक करें।
सबका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.
शिव शरणं
जय माता दी.

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