सभी अपनों को राम राम

कल से चैत्र नवरात का आरम्भ हो रहा है. इसमें अपने भीतर मौजूद देवी शक्तियों को जगा लेना बहुत कारगर होता है. प्रकृति का निर्माण करने वाली शक्ति ने हम सबके भीतर देवी शक्ति की स्थापना की है. जो विशाल है. इसे जगाकर उपयोग में लाने के विधान को देवी सिद्धि कहा जाता है.
वैसे तो नवरात में करोड़ों लोग देवी सिद्धि के अलग अलग तरीके अपनाते हैं. जगतजननी देवी मां को अपने जीवन में बुलाते हैं. मगर सच्चाई ये है कि कामयाब कम ही लोग होते हैं.
कारण….
देवी शक्ति के जागरण की बजाय लोग जाने अनजाने कई तरह के प्रपंच में उलझ जाते हैं. सिद्धियों का सबसे बड़ा शत्रु प्रपंच और अहंकार ही है. या फिर मिलावटी व अशुद्ध पूजा सामग्री का प्रयोग भी साधना सिद्धि में बाधक बन जाता है.
इस बार आपके भीतर की देवी शक्ति जाग्रत होकर जगत जननी देवी मां की उर्जाओं के साथ मिल जाये और जीवन सफलताओं, प्रतिष्ठा से भर जाये. इसके लिये अपने भीतर सीधे देवी आवाह्न करें.
ध्यान रखें अपने भीतर सीधे देवी आवाह्न का मतलब देवी मां के नाम पर झूमना-चिल्लाना-आंखें तरेरना-गुर्राना या ऊट पटांग हरकतें करना नही होता. ये प्रपंच है. ये एक तरह की मानसिक बीमारी है. देवी शक्ति किसी के भीतर आकर एेसा कुछ नही करती जिसे प्रदर्शित करना पड़े या जिसका प्रदर्शन किया जा सके.
देवी शक्ति के अपने भीतर आवाह्न का मतलब देवी मां की उर्जाओं को अपने हृदय में स्थापित करना.
इसके लिये शक्ति जागरण रुद्राक्ष का सहारा लें तो सफलता मिल ही जाती है. और सुरक्षा भी बनी रहती है.
शक्ति जागरण साधना का औरिक विधान आगे दे रहा हूं. सावधानी पूर्वक समझ लें और अपनायें.
सफलता जरूर मिलेगी.
घर में नवरात पूजा का जो भी तरीका अपनाते हैं उसे पूरा कर लें. ताकि आपको एेसा न महसूस हो कि इस साल कुछ छूट गया.
1. औरिक साधना के लिये किसी भी समय आरम से बैठें. अगर किसी बीमारी के कारण जमीन पर आसन लगाकर नही बैठ सकते तो कुर्सी या सोफे पर सुविधा जनक तरीके से बैठें.
2. ब्रह्मांडीय शक्ति का आवाह्न करते हुए कहें *हे दिव्य संजीवनी शक्ति मुझ पर दैवीय उर्जाओं की बरसात करें. मेरे तन-मन-मस्तिष्क-आभामंडल-उर्जा चक्रों और रोम रोम की सफाई करें. वहां मौजूद ग्रहदोष, वास्तुदोष.तंत्रदोष, बाधादोष,पितृदोष,देवदोष, बीमारियां और मुझसे जाने अनजाने हुई गलतियों की नकारात्मक उर्जाओं को विखंडित करके ब्रह्मांड अग्नि में भेज दें. पूर्ण सफाई के बाद मेरे रोम रोम को उर्जित करके साधना सिद्धि अर्जित करने योग्य सक्षम बनायें. मेरे मन को पवित्र और सुखमय शिवाश्रम बना दें. आपका धन्यवाद.
3. भगवान शिव गुरू स्वरूप में बुलायें. कहें हे देवों के देव महादेव मेरे गुरु के स्वरूप में मेरे मन मंदिर में विराजमान हों. आपको साक्षी बनाकर शक्ति सिद्धि साधना कर रहा हूं. इसकी सफलता हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें. आपका धन्यवाद.
4. शक्ति सिद्ध रूद्राक्ष को हाथ में लेकर प्रार्थना करें. कहें हे दिव्य रुद्राक्ष आपको मेरे लिये सिद्ध किया गया है. आप मेरे भीतर की देवी शक्ति को जाग्रत करने और उसे मेरे जीवन में उपयोग कराने में सक्षम हैं. इसी क्षम मुझे जगत जननी देवी मां के आभामंडल के साथ जोड़ दें. और सदैव जोड़ें रखें. उनकी उर्जाओं के संयोग से मेरे भीतर देवी शक्ति का जागऱण करके उसकी स्थापना करें. आपका धन्यवाद.
5. देवी मां से प्रार्थना करें. कहें देवी जगत जननी मां मै अपने गुरुदेव भगवान शिव को साक्षी बनाकर साधना कर रहा हूं, आप मेरे मन मंदिर में आकर विराजमान हो जायें. मेरी साधना को स्वीकार करें और साकार करें. आपका धन्यवाद है.
6. शक्ति उपयोग मंत्र से प्रार्थना करें. कहें हे दिव्य मंत्र
*आयु देहि धनम् देहि विद्या देहि महेश्वरी समस्तम् अखिलाम् देहि देहि मे परमेश्वरी*
आपको मेरा प्रणाम है. आप मेरी भावनाओं से जुड़कर सिद्ध हो जायें. मेरे भीतर देवी शक्ति का जागरण करके मुझे देवी सिद्धि प्रदान करें. आपका धन्यवाद है.
इसके बाद मंत्र जाप प्रारकम्भ करें. नवरात भर रोज लगातार दो घंटे तक मंत्र जप करें. यदि अपने जीवन में साक्षात चमत्कार नही देखा है तो इसे करके देखें.
जिनके पास पहले से शक्ति जागऱण रुद्राक्ष है वे कल से ही उसे सामने रखकर साधना करें. जिनके पास ये रुद्राक्ष नही है वे यथाशीघ्र कहीं से इसे प्राप्त कर लें. दुर्गा अष्टमी की साधना के दिन उसे साथ जरूर रखें.
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.