होलाष्टकः मतलब परेशानियों का समय, कुछ दान कर लें

होलाष्टक की शुरूआत हो चुकी है. प्राकृतिक रूप से इन 8 दिनों में ब्रह्मांड की उर्जाओं में हनिकारक मिलावट होती है. जो तन-मन-धन की पीड़ा उत्पन्न करती है. होली के दिन जगह जगह जलने वाली अग्नि से इन उर्जाओं का शोधन हो जाता है. इन्हीं दिनों
एक समय एेसा आया था कि एक पिता (हिरण्यकश्यप) की मति भ्रस्ट हुई. उसने अपने मासूम पुत्र (प्रह्लाद) को 8 दिन तक भारी प्रताड़ना दी. उसके प्राण लेने पर उतारू हो गया.
दरअसल इन दिनों सभी रंगों की उर्जायें एक दूसरे में मिलकर अपने मूल स्वरूप खो देती हैं. जिसका इंशानी जीवन पर बहुत खराब असर पड़ता है. ज्योतिष वाले कहते हैं कि इन आठ दिनों में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि, राहू ग्रह उग्र हो जाते हैं. वे भारी अनिष्ट उत्पन्न करते हैं.
दुष्प्रभाव से बचने के लिये अपनी उर्जाओं की सफाई नियमित करें. अनाज, पहने हुए कपड़ों का दान करने से आभामंडल की सफाई हो जाती है. नमक के पानी से नहाने से भी आभामंडल साफ हो जाता है.
नियमित महासाधना करने वाले साधकों को बिल्कुल चिंता करने की जरूरत नही है.
जिन लोगों ने लम्क्षी सम्मोहन बूटी घर में स्थापित की है, वे भी इसके दुष्प्रभाव से प्राकृतिक रूप से बचे रहेंगे. क्योंकि बूटी में नकारात्मक उर्जाओं को समाप्त करने की प्राकृतिक क्षमता है. इसीलिये इसे दुखनेश्वरी बूटी भी कहा जाता है.
जिनके पास लक्ष्मी बूटी यानि दुखनेश्वरी बूटी है वे होली के दिन 4 गोमती चक्र लाकर बूटी के साथ रख दें. ये बूटी घर में फैली तन-मन-धन की विपदायें पैदा करने वाली उर्जाओं को खींचकर गोमती चक्र में डाल देती है. इन गोमती चक्रों को होली में दहन करने पर घर की नकारात्मक उर्जायें जलकर भस्म हो जाती हैं. यहां तक की तंत्र के दुष्प्रभाव, ऊपरी बाधाओं के दुष्प्रभाव, अासूरी शक्तियां भी निकाल कर जला दी जाती हैं.
रात में इन गोमती चक्रों को होली दहन वाले स्थान पर ले जायें.
*ऊं. ह्रीं नमः*
मंत्र का जाप करते हुए जलती होली की परिक्रमा करें. हर चक्कर में एक गोमती चक्र होली की आग में डालें. इससे घर में ब्याप्त हर तरह की दुख देने वाली उर्जायें जल कर भस्म हो जती हैं. साथ ही परिवार में मां लक्ष्मी का वास होता है. समृद्धि की स्थापना होती है.
जिनके पास दुखनेश्वरी बूटी या लक्ष्मी बूटी नही है, वे 4 किलो शुद्ध हवन सामग्री में 1 किलो गाय का शुद्ध घी मिला लें. उसमें होली से 4 दिन पहले सोने का कोई आभूषण दबाकर रख दें. होली दहन से 2 दिन पहले उसमें 4 गोमती चक्र दबा दें. होली दहन की रात में आभूषण निकाल कर वापस लाकर में रख दें. उसके एक घंटे बाद चारो गोमती चक्र भी निकाल लें. रात में उपरोक्त तरीके से होली की आग में उनका दहन कर दें. इससे भी समृद्धि की स्थापना होती है.
होलाष्टक यानि होली से 8 दिन पूर्व शुरू होने वाला समय, जिसे विशेषकर उत्तर भारत में अशुभ समय माना जाता है। इन 8 दिनों के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन समेत सभी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक प्रभावी रहते हैं। होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक समाप्त हो जाते हैं। इस साल होलाष्टक 23 फरवरी 2018 से शुरू होंगे और 1 मार्च 2018 को समाप्त हो जाएंगे। इसी दिन से होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं। होलाष्टक के शुरुआती दिन में ही होलिका दहन के लिए 2 डंडे स्थापित किये जाते हैं। जिसमें से एक को होलिका तथा दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है।