फेसबुक शिवचर्चा ग्रुप के एक साथी अनुपम ने राहु केतु पर सवाल किया है. हम यहां उनका जवाब दे रहे हैं.Anupam Chakraborty का सवाल-
Kripya Kar apnnay shishyo rahu aur ketu Joe ki chaaya grah hai Joe Manush. Kay jeevan kaal mein uthhal putthal maccha deytay. Hai, kripya ashirwad de aur sambandhit. Niwaran batlaay
गुरुजी का जवाब…
राहू-केतु ब्लैक होल की तरह होते हैं. जिनके एक सिरे से उर्जाओं खींचकर दूसरे सिरे से निकाल दी जाती हैं.
राहु हमारे सूक्ष्म शरीर की सफाई का काम करता है. इसीलिये ज्योतिष वाले स्वीपर को इसका प्रतिनिधि मानते हैं. बाईं पसली के नीचे स्थिति प्लीहा चक्र के द्वारा उर्जाओं को निरंतर साफ करना इसका काम है. ये हर तरह की विषाक्त उर्जाओं को निकालता है. इसकी प्लेसिंग ठीक न हो तो विषाक्त उर्जाों को शरीर से नही निकाल पाता. इसीलिये ज्योतिष वाले राहू खराब होने पर फूड प्वाइजनिंग की भविष्य वाणी करते हैं.
राहू शरीर और मन से नकारात्मकता को भी निकालता है. इसकी प्लेसिंग खराब हो तो ये इस काम को ठीक से नही कर पाता. इसीलिये ज्योतिष वाले राहू खराब होने पर भूत-भय- ब्लैक मैजिक के हावी होने की भविष्यवाणी करते हैं.
राहू की खराब प्लेसिंग का मतलब है एनर्जी शोधन की जगह बदल जाना. यदि एनर्जी अगले प्लीहा चक्र की बजाय कहीं और से साफ होने लगे तो इसे एसे मानो जैसे गंदा पानी नाली की बजाय किचन या बेडरूम में जाने लगा. एेसी दशा की कल्पना से पता चल जाएगा कि सफाई की होने की बजाय घर में गंदगी फैलने लगी. जो कि उथल पुथल मचाने वाली है.
इसी तरह सूक्ष्म शरीर की बीमार व नकारात्मक उर्जाओं के बाहर निकलने का स्थान बदलने का मतलब है राहू का स्थान बदलना. एेसे में राहू उस अंग की सकारात्मक उर्जाओं को भी निकालकर फेंक देता है. जिससे भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है.
अगला प्लीहा चक्र अर्थात राहू का स्थान मणिपुर चक्र अर्थात् सूर्य स्थान के ठीक बगल में होता है. इसीलिये राहू की खराब स्थिति सूर्य क्षेत्र मणिपुर को सर्वाधिक प्रभावित करती है. गड़बड़ हो तो राहू सबसे अधिक मणिपुर को ही बिगाड़ता है. ज्योतिष वाले इसे सूर्य पर राहू का ग्रास करार देते हैं.
इसी तरह अगले प्लीहा चक्र से 180 डिग्री की सीधी लाइन में पीठ पर पिछला प्लीहा चक्र होता है. वह केतु का स्थान है. अगले प्लीहा चक्र द्वारा सूक्ष्म शरीर अर्थात् अाभामंडल की नकारात्मक व बीमार उर्जाओं को खींचकर पिछले प्लीहा चक्र द्वारा निकालकर उन्हें ब्रह्मांड में फेंक दिया जाता है.
इससे शरीर और सूक्ष्म शरीर दोनो ही स्वस्थ रहते हैं. मन भी स्वस्थ रहता है. मन स्वस्थ होने पर समस्यायें कुछ नही बिगाड़ पातीं.
इस तरह राहू-केतु हमारे जीवन के लिये अनिवार्य हैं. ठीक उसी तरह जैसे सफाई कर्मचारी. प्रकृति में इनका निर्माण मानव जीवन के सुचारू संचालन के लिये किया गया है. उर्जा की सफाई की प्रक्रिया में ये उल्टी दिशा में चलते प्रतीत होते हैं. सही कहा जाए तो ये चलते ही नहीं है. दूसरे ग्रह चल रहे होते हैं तो उनके सापेक्ष लगता है कि ये उल्टी तरफ (बक्री) जा रहे हैं.
मगर प्लेसिंग खराब होने पर ये सफाई कार्य ठीक से नही कर पाते. उल्टे कंफ्यूजन का शिकार होकर उपयोगी जीवन शक्ति को खींचकर ब्रह्मांड में फेंक देते हैं. जिसका नतीजा अनगिनत समस्याओं के रूप में सामने आता है.
छाती पर आगे और पीछे स्थित हृदय स्थान मन और चंद्रमा का क्षेत्र होता है. पिछला प्लीहा चक्र (केतु) पिछले हृदय चक्र से बिल्कुल नजदीक होता है. इस कारण पिछले प्लीहा चक्र (केतु) के बिगड़ने पर सबसे खराब असर हृदय स्थल (चंद्र क्षेत्र) पर पड़ता है. ज्योतिष वाले इसे चंद्रमा पर केतु का ग्रास कहते हैं.
किसी भी व्यक्ति का कुंडली चार्ट उसके आभामंडल में ग्रहों की प्लेसिंग को दर्शाता है. कुंडली चार्ट से यह भी पता चलता है कि उस व्यक्ति के आभामंडल में किन किन उर्जाओ की मिलावट है. किन चक्रों में उर्जा की मिलावट है. मिलावट के नतीजे किस रूप में सामने आ सकते हैं.
इसी तरह राहू-केतु की प्लेसिंग का भी पता चलता है.
यदि वे अपने मूल स्थान प्लीहा चक्रों की बजाय कहीं और स्थित हैं, खराब नतीजे भी दे सकते हैं. आमतौर से राहू-केतु का अपना कोई अस्तित्व नही होता. ये जिस रंग की एनर्जी क्षेत्र में होते हैं उसी तरह का विहेव करते हैं. इसीलिये ज्योतिष वालों का मानना है कि राहू-केतू जिस राशि में होते हैं उसके ग्रह जैसा प्रभाव देते हैं.
बचने के उपाय…
जिन्हें राहू-केतु खराब बताये गये हैं वे घबरायें बिल्कुल नही. घबराहट में उर्जायें तेजी से खराब हो जाती हैं. ये दोनो उन्हें कचरा समझकर बाहर निकालते रहते हैं. जिससे लोगों में में जीवन उर्जाओं की भारी कमी हो जाती हैं. और समस्याओं सुखों को तहस नहस कर डालती हैं.
पाखंडियों से बचें. उनसे भी नकारातमकता तेजी से बढ़ती है.
1. राहु-केतु के खराब प्रभाव से बचने के लिये हमेशा छोटे उपायों का ही सहारा लें. इस अवधि में बड़े उपाय या अनुष्ठान अक्सर नुकसान ही करते हैं.
खुद को घबराहट व हड़बड़ी से रोकें. इसके लिये हृदय चक्र और मणिपुर चक्र को साफ रखें. इसके कोई विधि न ज्ञात हो तो संजीवनी उपचार या रुद्राभिषेक का सहारा लें.
2. प्लीहा चक्रों की सफाई से राहु-केतु के दुष्प्रभाव तत्काल रुक जाते हैं.
3. स्वीपर को कपड़े या भोजन दान दें. इससे राहू की निगेटिविटी निकलकर स्वीपर पर चली जाती है. स्वीपर में उस उर्जा को बर्दास्त करने की प्राकृतिक क्षमता होती है. ज्योतिष वालाों के मुताबिक स्वीपर से विवाद होने पर राहू तुरंत खराब हो जाता है, और अपमान कराता है.
4. आवारा कुत्तों को मीठे बिस्किट खिलायें या दूध पिलायें.. इससे केतु की निगेटिविटी खत्म होती है. आवारा कुत्तों में एेसी उर्जाओं को खत्म करने की प्राकृतिक क्षमता होती है. केतु खराब हो तो कुत्ते परेशान करते हैं, एेसा ज्योतिष वाले कहते हैं.
5. राहु-केतु के खराब होने पर निगेटिव उर्जायें उत्पन्न करने वाली चीजें नही खानी पीनी चाहिये. क्योंकि इस समय आभामंडल से दूषित उर्जाओं को निकालने का काम ठीक तरीके से नही हो रहा होता है. ज्योतिष वाले एेसे में नशाखोरी, सट्टेबाजी और अन्य बुरी लतों से बचने की सलाह देते हैं. क्योंकि इनसे बहुत अधिक निगटिव उर्जायें उत्पन्न होती हैं.
6. महासाधना नियमित करने वाले को राहु-केतु से डरने की जरूरत नहीं. महासाधना के तुरंत बाद गले में धारण देवत्व जागरण रुद्राक्ष से अपने प्लीहा चक्रों को साफ करने का आग्रह करें. उनसे कहें * हे दिव्य रूद्राक्ष आपको मेरे लिये सिद्ध किया गया है. आपको ग्रहों के दुष्प्रभाव पर नियंत्रण के लिये भी प्रोग्राम किया गया है. आप मेरे प्लीहा चक्रों को आगे पीछे से साफ करके सशक्त करें. आपका धन्यवाद.*
इसक बाद 5 मिनट तक वहीं बैठकर ऊं. ह्रौं जूं सः माम पालय पालय मंत्र का जप करें.
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.