
जो लोग बेवजह बदनामी के शिकार होते हैं, जिनके रिश्ते बार बार बिगड़ते हैं, जो फिल्म, टी वी सीरियल व कला के अन्य क्षेत्रों से जुड़े हैं, जो राजनीति से जुड़े हैं, जो सामाजिक कार्यों से जुड़े हैं, जो मनचाहा नेम-फेम चाहते हैं. प्रतिष्ठा पोटली उनके लिये बड़ी कारगर साबित होती है.
हर साल इन दिनों में ब्रह्मांड की सुनहरी उर्जाओं में लाल-पीली उर्जाओं की तीब्र मिलावट होती है. जिसका असर लोगों के भावनाओं के केंद्र मणिपुर चक्र पर पड़ता है. उसकी स्पीड बढ़ जाती है. जिससे ईगो, गुस्सा, तनाव, रिश्ते बिगड़ने, अकारण असफलता, उच्चाधिकारियों से बिगाड़, अपयश, बी पी, सुगर, ह्रदय रोग, खून के रोग, त्वचा के रोग, मस्तिष्क के रोगों की स्थितियों का निर्माण होता है.
ब्रह्मांड में ये मिलावट 15 दिसम्बर के आस पास शुरू होकर मकर संक्रांति तक दिखाई पड़ती है. जिसका सर्वाधिक असर इसके मध्यकाल अर्थात जनवरी की शुरुआत में नजर आता है. इस बीच प्रेमी-प्रेमिकाओं और पति-पत्नी को अपने ईगो पर कंट्रोल रखना चाहिये. अन्यथा बात अलगाव तक पहुंच सकती है. इसी वजह से इन दिनों शादी-ब्याह, ग्रह प्रवेश सहित कई तरह के शुभ कार्य नही किये जाते. खास तौर से उन कार्यों को टाला जाता है जो सीधे भावनाओं से जुड़े होते हैं.
हमारे शास्त्रों ने इस समय को खरमास घोषित किया है. जिसमें वेदकाल के विज्ञान ने पाया कि इस अवधि में लोगों के मन के साथ ही उनके डी.एन.ए. पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है. इसी कारण शास्त्रकाल के वैज्ञानिकों ने इन दिनों डी.एन.ए. को मजबूत करने वाली उर्जाओं के आवाह्न वाले अनुष्ठानों को प्राथमिकता दी. जोकि प्रायः पितृों से सम्बंधित होते हैं. पितृों के अनुष्ठान से लोगों का डी.एन.ए. स्ट्रांग होता है, इसे वैज्ञानिक तौर पर कभी भी प्रमाणित किया जा सकता है.
1 जनवरी के दिन सूर्य की गति धनु क्षेत्र में 14 से 16 डिग्री के बीच होती है. यह दिन ब्रह्मांड की सुनहरी उर्जा में लालिमा युक्त पीली उर्जा की मिलावट चरम स्तर पर होता है. उस दिन इस मिलावट के दुष्प्रभाव से बचने के लिये कुछ वनस्पतियों-औषधियों को इकट्ठा करके प्रोग्राम कर लिया जाये तो वे दोबारा सूर्य के इसी क्षेत्र में इसी डिग्री पर वापसी तक अचूक सुरक्षा देती हैं. यही नही वनस्पतियों का ये संग्रह लोगों के कर्म और प्रतिष्ठा में शानदार सफलतायें स्थापित करता है.
*पोटली बनाने की विधि*-
वनस्पतियों के इस संग्रह को विद्वान प्रतिष्ठा पोटली के नाम से जानते हैं. इसमें हल्दी, बेल, काली सुपारी, कुश, मुलैठी आदि रखी जाती है. प्रतिष्ठा पोटली का बेस गेहूं और चने की दाल का होता है. मगर इस बार की मिलावट में नीली उर्जा का भी अंश दिख रहा है. इसलिये काले तिल भी बेस में रखें.
इस सब वस्तुओं का वजन 200 ग्राम के आस पास होना चाहिये. वस्तुओं की शुद्धता और क्वालिटी पर विशेष ध्यान दें. मिलावटी वस्तुवें या क्वालिटी में खराब चीजें उद्देश्य पूरे नही कर सकेंगी. इन्हें 1 जनवरी से पहले एकत्र कर लें.
साथ में एक क्रिस्टल बाल भी ले लें. 1 जिनवरी को सूर्योंदय से 2 घंटे पहले क्रिस्टल बाल की प्रोग्रामिंग करें. टेलीपैथी करके उसे निर्देश दें कि वह एकत्र की गई वनस्पतियों को 1 जनवरी 2019 तक अपने (जो प्रोग्रमिंग कर रहा है) और परिवार जनों की भावनाओं के अनुकूल बनाये रखें. वनस्पतियां हर पल ब्रह्मांड से अपने रंगों की सकारात्मक उर्जायें ग्रहण करके उनके आभामंडल और उर्जा चक्रों को उपचारित करती रहें. उन्हें तन से मन से धन से सुखी और प्रतिष्ठित बनायें रखें.
जो लोग क्रिस्टल के साथ टैलीपैथी नही कर सकते वे प्रतिष्ठा पोटली को ब्रह्मांड मंत्रों की आहुतियां देकर यज्ञ के द्वारा सिद्ध कर लें.
1 जनवरी को सिद्ध करने के बाद इसे कभी भी अपने घर में किसी साफ सुथरी जगह पर स्थापित कर दें.
जो लोग किसी कारण खुद प्रतिष्ठा पोटली का निर्माण नही कर सकते, वे भी निराश न हों. हमारे संस्थान में अपना नाम, माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी, गोत्र का नाम नोट कराकर इसे तैयार करा सकते हैं.
हमें विश्वास है प्रतिष्ठा पोटली आगामी साल आपके जीवन को बुलंदियों तक पहुंचाएगी.
सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है.
पोटली हेल्पलाइन- 9999945010