नवरात साधना

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5 बातें ध्यान रखीं तो देवी मां 

आपके जीवन में उतर ही आएंगी

साधना के दौरान कई तरह की अनुभूतियां होंगी, विचलित न हों. ध्यान जप में लगाये रखें. कहीं दूर से संगीत की सुहानी धुन, कान में किसी की फुसफुसाहट या जब लगे कि कोई आपको स्पर्श कर रहा है, या कोई पास आकर बैठ गया है तो भी ध्यान भटकने न दें. देवी दर्शन के स्तर तक पहुंचने पर उनसे सिर्फ एक ही कामना कहें.
सभी अपनों को राम राम
कल से देवी सिद्धी के दिन शुरू हो रहे हैं. शरदीय नवरात. मां के उपासकों के लिये बहुत खास.
नवरात में देवी पूजा करोड़ों लोग करते हैं. मगर फलित कुछ हजार की की होती है. कारण कुछ छोटी बातें जिन्हें देवी के उपासक नजर अंदाज कर देते हैं. इस बार आप नवरात में देवी मां को मनाने के लिये कोई भी पूजा पद्धति अपना रहे हों. 5 बातों का ध्यान रखें. देवी मां आपके जीवन में आ जाएंगी.
देवी उपासना में ध्यान रखने वाली 5 बातों को बताने से पहले देवी साधना की उर्जा पद्धति पर बात कर लेते हैं. क्योंकि तमाम साधकों ने इस बारे में जानकारी चाही है. जो साधक ब्रह्मांडीय उर्जा के विज्ञान के मुताबिक देवी सिद्धी करना चाहते हैं, वे इसे अपना लें.
1. देवी उपासना के लिये अपनी सुविधानुसार समय चुनें. उपासना स्थल और अपने शरीर की शुद्धता सुनिश्चित कर लें. सुगंध कर लें.
2. शरीर उपासना से मिली देवी उर्जाओं को ग्रहण कर सके इसके लिये 5 मिनट कोई योग, व्य्याम या हर हर महादेव का योग करें.
3. मन की शुद्धता के लिये ब्रह्मांडीय उर्जा से सूक्ष्म शरीर की सफाई करें. मणिपुर और अनाहत चक्रों को व्यवस्थित करें. इसके लिये भगवान शिव को साक्षी बनाकर ब्रह्मांडीय उर्जा से कहें- *दिव्य उर्जा मै भगवान शिव को साक्षी बनाकर देवी साधना कर रहा हूं, उसकी सफलता हेतु मेरे आभामंडल, उर्जा चक्रों पर शक्तिपात करके उन्हें स्वच्छ करें, स्वस्थ करें. मणिपुर और अनाहत चक्रों को उपचारित करके मेरे मन में देवी साधना का उत्साह उत्पन्न करें.
4. देवी मां से प्रार्थना करें. कहें-*हे जगत जननी मेरे मन मंदिर में विराजमान हों. मेरी साधना को स्वीकार करें. साकार करें. आपका धन्यवाद.
5. यदि किसी मंत्र को सिद्ध करने का पहले से संकल्प लिया हो तो उसे अपनी उर्जाओं में स्थापित करें.
6. पहले से एेसा कोई संकल्प नही लिया है तो सुख-समृद्धि-प्रतिष्ठा के लिये नीचे लिखे मंत्र को सिद्ध कर लें.
*मंत्र*- *देवी पूजि पद कमल तुम्हारे, सुर नर मुनि सब होंगी सुखारे*.
ये मंत्र श्री रामचरित मानस से है. इसकी सिद्धी जन्मों के दुख भोग रहे लोगों के भी जीवन में सुख स्थापित करने में सक्षम है.
इसे अपनी उर्जाओं में स्थापित करें. कहें- *हे दिव्य देवी सिद्धी मंत्र देवी पूजि पद कमल तुम्हारे, सुर नर मुनि सब होंगी सुखारे*, आपको मेरा प्रणाम है. आप मेरी भावनाों से जुड़कर मेरे आभामंडल और उर्जा चक्रों में व्याप्त हो जाइये. मुझे देवी सिद्ध प्रदान करिये. आपका धन्यवाद.
7. शांत मन से मंत्र का जाप शुरू करें. कम से कम 30 मिनट जप करें. साधना के दौरान कई तरह की अनुभूतियां होंगी, विचलित न हों. ध्यान जप में लगाये रखें. कहीं दूर से संगीत की सुहानी धुन, कान में किसी की फुसफुसाहट या जब लगे कि कोई आपको स्पर्श कर रहा है, या कोई पास आकर बैठ गया है तो भी ध्यान भटकने न दें. देवी दर्शन के स्तर तक पहुंचने पर उनसे सिर्फ एक ही कामना कहें. मंत्र जप के बाद पुनः कम से कम 5 मिनट का योग या एक्सरसाइज करें. अपने अनुभव सक्षम व्यक्ति से ही शेयर करें. चाहें तो शिवचर्चा ग्रुप में कर सकते हैं.
देवी सिद्ध के लिये 5 जरूरी बातें….
1. जो लोग अपनी जीवित या मृत मां के प्रति सम्मान का नजरिया नही रखते उन्हें कभी भी देवी सिद्धी प्राप्त नही हो सकती. क्योंकि उनके डी एन ए की उर्जा बहुत बिखरी हुई होती है. ये स्थिति देवी उपासना के विपरीत है. देवी उपासना की विफलता का ये सबसे बड़ा कारण होता है.
2. छंद का अनुपालन किये बिना जपा गया मंत्र कभी फलदायी नही होता. मंत्र किस छंद में जपा जाये. इसकी जानकारी उसके विनियोग में होती है.
3. देवी उपासना के दिनों में की गई आलोचनाओं से आभामंडल में आई दूषित उर्जायें साधना फलित नही होने देंती. सो उन दिनोें किसी की आलोचना न करें.
4. जो लोग दूसरों के किये अहसान के बदले उनमें कमियां निकालते हैं, देवी उपासना उन्हें कभी फलित नही होती. क्योंकि उनका आभामंडल अपने आप को संकुटित करके सकारात्मक उर्जाओं के प्रति अपनी ग्रहणशीलता समाप्त कर लेता है. इसका विशेष ध्यान रखें.
5. देवी उपसाना की उर्जाओं की आवृत्ति तीब्र होती है. जिससे आवेश या उतावलापन उत्पन्न होता है. एेसे में साधक मन में बदले की भावना लाये तो उर्जाओं का तीब्र क्षरण होता है. उपासना के परिणाम उलट जाते हैं.
जो इन बातों को न निभा सकें उन्हें देवी साधना नही करनी चाहिये. देवी मां के प्रति अपनापन बनाये रखें. जीवन में सुख जरूर स्थापित होगा.
जय माता दी.

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