क्या पितृ प्रेत के रूप में
अपने वंशजों को परेशान करते हैं.
कालसर्प दोष, मंगल दोष, पितृ दोष, प्रेत दोष, ऋण दोष, कुंडली दोष, सम्बंध विच्छेद दोष, बंधन दोष, बीमारी दोष, धनाभाव दोष, भटकाव दोष, असफलता दोष आदि लोगों में भय का कारण बने हैं. ये वो भय है जिसे कुछ लोगों ने अपनी कमाई का हथियार बनाया हुआ है.
इस बारे में हमने एनर्जी गुरू जी से विस्तार में बात की. उन्होंने शास्त्र और उर्जा विज्ञान के आधार पर कल्याणकारी जानकारी दी. उसे हम आपके साथ क्रमशः शेयर करेंगे.
पहला सवाल- क्या पितृ प्रेत या ग्रह दोष के रूप में अपने वंशजों को परेशान करते हैं.
गुरू जी का जवाब- एनर्जी के संदर्भ में पितृ का अर्थ है डी.एन.ए. की भटकी उर्जा. धर्म के द्वारा हम इसे पितृ के नाम से शास्त्र काल से जानते आ रहे हैं. इसलिये पहले धार्मिक परिभाषा पर बात कर लेना उचित होगा.
धार्मिक मान्यता के मुताबिक गुजर चुके पूर्वजों में से कुछ की आत्मा अतृप्त रह जाती है. वे पितृ बन जाते हैं. उनके लिये ब्रह्मांड में पितृलोक बना हैं. पितृलोक से उनका देवलोक में आना जाना रहता है. वे देवलोक के सभासद होते हैं. उन्हें अपने वंशजों की बात रखने का अधिकार होता है.
कहा जाता है कि जिनके पितृ खुश होते हैं वे देव सभा में अपने वंशजों के लिये तन-मन-धन के सुखों की मांग करते हैं. भले ही वंशजों के भाग्य में सुख न हों तो भी उनकी मांग मान ली जाती है. उनके वंशजों के आने वाले जन्मों के सुखों का कुछ हिस्सा इसी जन्म में दे दिया जाता है. ताकि वे इस जन्म में भी पुण्य अर्जित करने योग्य सुखी जीवन जी सकें.
ये भी मान्यता है कि जिनके पितृ नाखुश होते हैं वे देव सभा में अपने वंशजों के सुख रोक देने की मांग करते हैं. उनकी ये मांग भी स्वीकार कर ली जाती है. वंशजों के इस जन्म के भाग्य से मिल रहे सुख रोककर उन्हें अगले जन्म तक के लिये स्तगित कर दिया जाता है. ताकि उनके वंशज सबक ले सकें और अपने पितृों के प्रति कृतघ्न बनें.
पित्र खुश हैं नाखुश. ये कैसे पता करें. और नाखुश पितृों को कैसे खुश करें. इसकी जानकारी हम आगे देंगे.
*इस बीच ध्यान रखें जो लोग अपने माता पिता की अनदेखी करते हैं. उनके पितृ बुरी तरह नाराज हो जाते हैं.*
इस बीच सभी महासाधकों से गुरू जी ने आग्रह किया है कि पितृ भय के शिकार न हों. पितृों के नाम पर फैले पाखंड और लूटघसोट से खुद को बचाये रखें.
*पित्रों को खुश करना उतना ही आसान है जितना एक मुट्ठी मिट्टी उठाकर पानी में डाल देना*.
इसकी विधि हम आगे बताएंगे. क्रमशः।
…. टीम मृत्युंजय योग
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