
कुछ साधकों ने संजीवनी उपचार की बेसिक जरूरतों के बारे में जानकारी चाही है. एनर्जी गुरू श्री राकेश आचार्या जी ने लम्बे अनुसंधान के बाद संजीवनी उपचार विद्या को सरल स्वरूप प्रदान किया. यहां हम उनके बताये संजीवनी उपचार के संकल्पों और उपकरणों की जानकारी दे रहें. इनसे किया जाने वाला संजीवनी उपचार तन-मन-धन के विकारों को नष्ट करने में सक्षम सिद्ध हुआ है….टीम मृत्युंजय योग
1. संजीवनी मंत्र-
संजीवनी उपचार के दौरान ब्रह्मांड की शक्तिशाली संजीवनी शक्ति का उपयोग किया जाता है. इसके लिये शास्त्रों में दिये संजीवनी मंत्र- ऊं ह्रौं जूं सः का उपयोग किया जाता है. इसे लघु या त्रयक्षरी मृत्युंजय मंत्र भी कहते हैं. ब्रह्मांड में उर्जा के सबसे बड़े उपचारक भगवान शिव हैं. उन्हें अच्छी बुरी सभी तरह की उर्जाओं का सटीक उपयोग पता है. उनके ज्ञान से इस मंत्र का उपयोग करके विशाल संजीवनी शक्ति को मनोवांछित निर्देश दिये जाने का विधान बना.
संजीवनी उपचार के समय आभामंडल, उर्जा चक्रों, अंगों की सफाई और उर्जन करते हुए मंत्र को निम्न प्रकार कम से कम दो-दो मिनट जपें.
ऊं. ह्रौं जूं सः…..(जिसका उपचार कर रहे हैं उसका नाम)….. पालय पालय सः जूं ह्रौं ऊं.
2. संजीवनी रुद्राक्ष-
ये हर क्षण ब्रह्मांड से संजीवनी शक्ति प्राप्त करने के लिये सिद्ध होता है. टेलीपैथी करके इसे संजीवनी उपचारक की भावनायओं के साथ जोड़ दिया जाता है. तब ब्रह्मांड से प्राप्त संजीवनी शक्ति को उपचारक की इच्छानुसार लोगों के आभामंडल, उर्जा चक्रों, कुंडलिनी, ग्लांट्स, अंगों आदि को देता है. उनकी सफाई करके वहां मौजूद सभी तरह की नकारात्मक उर्जाओं को बिखंडित करता है. बिखंडित उर्जाओं को ब्रह्मांड अग्नि में प्रेक्षेपित करता है. ताकि वे वापस लौटकर परेशानी न पैदा करें. विधिपूर्वक सिद्ध व प्रोग्राम हुआ संजीवनी उपचार रुद्राक्ष देवदूतों की तरह काम करने में सक्षम होता है. इसीलिये कुछ विद्वान इसे देवदूत रुद्राक्ष कहते हैं.
3. रुद्राक्ष शोधन जल संयत्र-
आभामंडल, उर्जा चक्रों, अंगों की सफाई के दौरान नकारात्मक उर्जायें रुद्राक्ष की कोशिकाओं में जाकर भर जाती है. इसलिये हर सफाई के बाद उसे साफ करना अनिवार्य होता है. इसके लिये संजीवनी उपचार के समय अपने पास दो बर्तन में कम से कम दो दो लीटर पानी रखें. एक में दो चम्मच नमक डाल दें. दूसरे को सादा पानी ही रहने दें. नमक में नकारात्मक उर्जाओं के बिखंडन का विशेष गुण होता है. पानी बिखंडित उराजाओं को निकाल देता है.
हर सफाई के बाद संजीवनी रुद्राक्ष को नमक वाले पानी में और फिर सादे पानी में डुबोकर निकाल लें. इससे वो अगले संजीवनी उपचार के लिये शोधित होकर तैयार हो जाएगा. इस क्रिया को संजीवनी रुद्राक्ष का शोधन कहते हैं. एक बार के पानी से 10 संजीवनी उपचार कर सकते हैं. संजीवनी उपचार पूरे हो जाने के बाद दोनो बर्तन के पानी को फ्लैस कर दें.
रुद्राक्ष का औरिक शोधन-
यदि आप एेसी जगह हैं जहां उपरोक्त जल संयंत्र उपलब्ध नही हो सकता तो रुद्राक्ष की औरिक सफाई करें. इसके लिये रुद्राक्ष को हथेली पर रखकर कहें *हे दिव्य रूद्राक्ष आप ब्रह्मांड से इलेक्ट्रिक वायलेट उर्जा प्रप्त करके अपनी सफाई करें.* फिर रुद्राक्ष को अपलक देखते हुए दो मिनट आगे लिखे संजीवनी मंत्र का जाप करें.
ऊं. ह्रौं जूं सः रुद्राक्ष शोधन शोधन सः जूं ह्रौं ऊं.
4. हर हर महादेव योग-
उपचार शुरू करने से पहले हर हर महादेव योग करें. इससे उर्जा का स्तर तत्काल बढ़ जाता है. उपचार अधिक प्रभावशाली होता है और उपचारक की सुरक्षा सुनिश्चत होती है. इसके लिये दोनो हाथों को कुहनी से मोड़कर कंधों के पास लायें. मुट्ठी बंद कर लें. फिर हाथों को तेजी से उढ़ाते हुए सिर के ऊपर तक ले जायें. ऊपर जाते जाते मुटि्ठयां खुल जायें. साथ ही हर हर महादेव का उच्चारण करें. इसे कम से कम 5 मिनट तक करें. जोश में किया जाये तो यह योग डिप्रेशन तक की उर्जायें समाप्त करने में सक्षम हैं.
संजीवनी उपचार के संकल्प…
चौथे संकल्प को छोड़कर अन्य सभी संकल्प उपचार के आरम्भ में एक ही बार कहने हैं.
1. मृत संजीवनी के रचयिता से आग्रह-
भगवान शिव ने मरे हुये को जिंदा करने वाली विद्या मृत संजीवनी उपचार की रचना की. संजीवनी उपचार में उनको साक्षी बनाने से बड़े लाभ होते हैं. उनसे कहें हे मृत्युंजय महादेव मै आपको साक्षी बनाकर संजीवनी उपचार कर रहा हूं. इसकी सफलता हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें. मेरे साथ संजीवनी उपचारक देवदूतों की नियुक्ति करें. आपका धन्यवाद, देवदूतों का धन्यवाद.
2. संजीवनी रुद्राक्ष से आग्रह-
हे दिव्य संजीवनी रुद्राक्ष आपको सिद्ध करके मेरी भावनाओं से जोड़ा गया है. संजीवनी उपचार हेतु मेरे द्वारा इच्छित लोगों के सूक्ष्म शरीर को अपने भीतर आमंत्रित कर लें. मेरी इच्छानुसार उनके आभामंडल, उर्जा चक्रों, अंगों की सफाई व उर्जन करें. उनके सफल और सुरक्षित उपचार में हर क्षण मेरी सहायता करें. आपका धन्यवाद.
3. संजीवनी मंत्र से आग्रह-
हे संजीवनी मंत्र आप मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरे लिये सिद्ध हो जाये और संजीवनी उपचार के दौरान मेरे द्वारा इच्छिक लोगों पर मृत्युंजय शक्ति का शक्तिपात करके उन्हें तन से,मन से, धन से स्वस्थ-सुखी-सुरक्षित बनायें. आपका धन्यवाद.
4. व्यक्ति के सूक्ष्म शरीर से आग्रह-
जिस व्यक्ति को उपचारित करना है उसका नाम लेकर कहें* ….. (नाम)… के सूक्ष्म शरीर संजीवनी उपचार हेतु मेरे हाथ में पकड़े दिव्य रुद्राक्ष के भीतर आ जायें. मेरे द्वारा दिये जा रहे निर्देशों को स्वीकार करें, साकार करें. आपका धन्यवाद.
शानदार परिणामों के लिये-
पहले खुद का संजीवनी उपचार करें. उसके बाद ही दूसरों को उपचारित करें. सबके उपचार पूरे होने के बाद अंत में पुनः खुद को उपचारित करें. ये अनिवार्य है.