संजीवनी उपचार- 3 . 

अदृश्य चीजें दिखना, अनसुनी आवाजें सुनाई देना, अनदेखी चीजों का अहसास, परछाई दिखना, शरीर में किसी के घुसने का अहसास, शरीर पर किसी अदृश्य शक्ति का कब्जा करके जोर जबरदस्ती करने का अहसास, शरीर पर पिटाई व खरोच के निशान, खून के धब्बे दिखना, सिर पटकना, सिर को तेजी से गोल गोल घुमाना, आवाज बदल जाना, चेहरा बदल जाना, आंखें लाल हो जाना, कपड़े फट जाना, अपने आप आग लग जाना, एकाएक अत्यधिक ताकत आ जाना, बेवजह चीखना चिल्लाना. हवा में बातें करना, कान में अनियंत्रित आवाजें आना, एेसी ही और भी तमाम बेतुकी गतिविधियां हैं जो व्यक्ति के ऊपरी बाधा का शिकार होने का लक्षण होती हैं.
सभी अपनों को एनर्जी गुरू का राम राम।
आज मै आपको महासंजीवनी रुद्राक्ष से ऊपरी बाधा के शिकार लोगों को उपचारित करना बता रहा हूं. उपचार से पहले समस्या का कारण और प्रवृत्ति जान लेना जरूरी होता है.
ये लोग नकारात्मक तत्वों के शिकार होते हैं. इनकी नकारात्मकता का घर परिवार के दूसरे लोगों की आदतों, सेहत और काम काज पर भी बुरा असर दिखता है. ऊपरी बाधा को बोलचाल की भाषा में प्रेत बाधा या तंत्र बाधा कहते हैं. ये बीमारी दुनिया के हर कोने में मिलती है. चाहे जितना एडवांस देश या समाज हो इसके शिकार सभी जगह होते हैं.
मनोरोग चिकित्सक इसे डिप्रेशन या ओ.सी.डी. का नाम देते हैं. मगर वे इसे ठीक नही कर पाते. जिंदगी भर दवा खाने की सलाह देते हैं. वे मस्तिष्क का इलाज करते हैं. जबकि ये प्राब्लम मस्तिष्क की है ही नही. हां मस्तिष्क को शिथिल करके प्रभावित व्यक्ति को कुछ समय के लिये उग्रता से रोका जा सकता है. मगर इससे उसे ठीक नही किया जा सकता.
दरअसल ये सूक्ष्मशरीर की समस्या है. सूक्ष्म शरीर उर्जा से बना है. इसलिये इसे उर्जाओं से ठीक किया जा सकता है.
प्राकृतिक रूप से हमारी उर्जायें इतनी सक्षम होती है कि वे बाहरी उर्जाओं के हमलों से खुद को सुरक्षित कर लेती हैं. जिनका मन खराब होता है. उनकी उर्जायें कमजोर हो जाती हैं. एेसे में वे तन-मन की बीमारियों से नही लड़ पाते.
ऊपरी बाधा सही मायने में मन का विकार है.
कुछ समय तक मन लगातार खराब रहे तो व्यक्ति की उर्जायें कमजोर हो जाती हैं. बाहरी हमलों से जीतने की उनकी क्षमता खत्म हो जाती है. एेसे में ही व्यक्ति ऊपरी बाधा की गिरफ्त में आता है.
यही कारण है ऊपरी बाधा के शिकार लोगों का पास्ट टटोलने पर उनसे कोई न कोई सैड स्टोरी जुड़ी मिलती है. एेसी स्टोरी जिसमें उनकी भावनायें रौंदी गई हों या उन्हें बड़े स्तर पर इग्नोर किया गया हो.
एेसी घटनाओं के शिकार लोगों में से जिनका बी.पी. लो होता है, वही ऊपरी बाधा के शिकार होते हैं.
ऊपरी बाधा के लिये झाड़ फूंक, टोटके आदि उपचार का प्राचीन तरीका हैं. इसमें मंत्रों के द्वारा उर्जाओं को उपचारित किया जाता है. साथ ही अध्यात्मिक माहौल की क्रियाओं से उत्पन्न विश्वास पीड़ितों के मन को उपचारित करता है. इसलिये झाड़ फूंक सिर्फ वहीं कराना चाहिये, जिनके प्रति पूरा विश्वास हो.
झाड़ फूकं कराते समय किसी के शोषण और ठगी का शिकार न हों पायें, इसकी सावधानी जरूर बरती जानी चाहिये. क्योंकि इस क्षेत्र में अनाड़ी और पाखंडी लोगों ने बड़े स्तर पर घुसपैठ कर ली है.
कुछ लोग पूछते हैं कि ऊपरी बाधा में फंसे लोगों को मनोचिकित्सक क्यों नही ठीक कर पाते. उन्हें जीवन भर दवायें खाते रहने की सलाह क्यों देते हैं.
जवाब- दरअसल दवायें सिर्फ भौतिक शरीर के अंगों पर काम करती हैं. जबकि मन शरीर का अंग नही है. इसलिये उस पर दवायें काम नही करतीं. डाक्टर मस्तिष्क के जरिये मन को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं. मस्तिष्क शरीर का अंग है, उस पर दवायें काम करती हैं. मन भावनाओं का केंद्र है, मस्तिष्क विचारों का केंद्र है. भावनायें विचारों को जन्म देती हैं. दवायें मस्तिष्क को शिथिल करके कुछ देर के लिये विचारों को शिथिल कर देती हैं. मगर उनका भावनाओं पर कोई असर नही होता. दवाओं का असर खत्म होते ही भावनाओं से उत्पन्न विचार फिर उमड़ने लगते हैं.
अब मै ऊपरी बाधा का संजीवनी उपचार बताता हूं. इसे ध्यान से अपनायें.
ऊपरी बाधा से पीड़ित व्यक्तियों का मूलाधार चक्र, हाथों-पैरों के चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मैंगमेंन चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्धि आज्ञा चक्र गड़बड़ाये रहते हैं.
1. पांच मिनट तक हर हर महादेव का योग करके अपनी उर्जाओं को सशक्त बनायें. (विधि जानने के लिये देखें संजीवनी उपचार… 2)
2. भगवान शिव को मन में आमंत्रित करके उन्हें उपचार का साक्षी बनायें. उनसे दैवीय सुरक्षा की मांग करें. (विधि जानने के लिये देखें संजीवनी उपचार… 2)
3. संजीवनी रुद्राक्ष से संजीवनी उपचार का आग्रह करें. (विधि जानने के लिये देखें संजीवनी उपचार… 2)
4. अपना संजीवनी उपचार करें. (विधि जानने के लिये देखें संजीवनी उपचार… 2)
5. अपना सुरक्षा कवच हटा दें. उसकी जगह मनोबल का उपयोग करें. अन्यथा जिसको उपचारित करने जा रहे हैं, एकाएक उसकी तकलीफ बढ़ सकती है.
6. दो बर्तन में कम से कम दो दो लीटर पानी रखें. एक में दो चम्मच नमक डाल दें. आगे इसे नमक वाला पानी कहेंगे, दूसरे को सादा पानी कहेंगे.
7. अपना संजीवनी उपचार करके संजीवनी रुद्राक्ष को नमक वाले पानी में और फिर सादे पानी में डुबोकर निकाल लें. इससे वो अगले संजीवनी उपचार के लिये शोधित होकर तैयार हो जाएगा. इस क्रिया को आगे हम संजीवनी रुद्राक्ष का शोधन कहेंगे.
8. जिसका उपचार कर रहे हैं उसका आभामंडल रुद्राक्ष में आमंत्रित करें. (विधि जानने के लिये देखें संजीवनी उपचार… 2)
9. रुद्राक्ष से कहें *… (पीड़ित का नाम लें..) के आभामंडल और उर्जा चक्रों की इलेक्ट्रिक वायलेट एनर्जी से गहरी सफाई करें. वहां मौजूद नकारात्मक तत्व, नकारात्मक भावनाओं के घुसपैठियों, नकारात्मक भावनाओं सहित सभी तरह की नकारात्मक उर्जाओं को विखंडित करके उनका निष्कासन कर दें. बिजली की तरह चमकती इलेक्ट्रिक वायलेट उर्जा सभी तरह की ऊपरी बाधाओं को जलाकर भस्म करने में सक्षम होती है.
संजीवनी मंत्र ऊं. ह्रौं.जूं. सः …(पीड़ित का नाम..) पालय पालय सः जूं ह्रौं ऊं. का लगातार मानसिक जाप 5 मिनट करें. फिर संजीवनी रूद्राक्ष का शोधन करें.
10. इस बीच संजीवनी मंत्र ऊं. ह्रौं.जूं. सः …(पीड़ित का नाम..) पालय पालय सः जूं ह्रौं ऊं. का लगातार मानसिक जाप करते रहें. संजीवनी उपचार के दौरान मोबाइल पर या सामने से किसी से बिल्कुल बात न करें. सिर्फ मंत्र जाप करें. ये आपकी सुरक्षा के लिये अनिवार्य है.
11. रुद्राक्ष से कहें *… (पीड़ित का नाम लें..) के नाभि के पीछे स्थित मैंगमेन चक्र की गहरी सफाई करें. फिर दो मिनट मंत्र का जाप करें. फिर संजीवनी रूद्राक्ष का शोधन करें.
12. रुद्राक्ष से कहें *… (पीड़ित का नाम लें..) के नाभि के पीछे स्थित मैंगमेन चक्र को उचित उर्जा से उर्जित करके इनके ब्लड प्रेसर को सामान्य करें. फिर दो मिनट मंत्र का जाप करें. इसी से पीड़ित व्यक्ति नियंत्रण में आने लगेगा.
13. रुद्राक्ष से कहें *… (पीड़ित का नाम लें..) के मणिपुर चक्र की गहरी सफाई करें. फिर दो मिनट मंत्र का जाप करें. इससे भय समाप्त होगा. फिर संजीवनी रूद्राक्ष का शोधन करें.
14. रुद्राक्ष से कहें *… (पीड़ित का नाम लें..) के मणिपुर चक्र को नीली उर्जाओं से संतुलित करें. फिर दो मिनट मंत्र का जाप करें. इससे नकारात्मक भावनायें समाप्त होंगी. मन ठीक होने लगेगा.
15. रुद्राक्ष से कहें *… (पीड़ित का नाम लें..) के मूलाधा चक्र, हाथों पैरों के चक्रों की गहरी सफाई करें. फिर दो मिनट मंत्र का जाप करें. फिर संजीवनी रूद्राक्ष का शोधन करें.
16. रुद्राक्ष से कहें *… (पीड़ित का नाम लें..) के मूलाधार चक्र, हाथों पैरों के चक्रों को उचित उर्जा से उर्जित करके शक्तिशाली बनायें. फिर दो मिनट मंत्र का जाप करें. इससे आत्मबल बढ़ेगा.
17. रुद्राक्ष से कहें *… (पीड़ित का नाम लें..) के स्वाधिष्ठान चक्र, विशुद्धि आज्ञा चक्र,थर्ड आई चक्र, सहस्रार चक्र की गहरी सफाई करें. फिर दो मिनट मंत्र का जाप करें. फिर संजीवनी रूद्राक्ष का शोधन करें.
18. रुद्राक्ष से कहें *… (पीड़ित का नाम लें..) के स्वाधिष्ठान चक्र, विशुद्धि आज्ञा चक्र,थर्ड आई चक्र, सहस्रार चक्र को उचित उर्जाओं से उर्जित करके सशक्त बनायें. फिर दो मिनट मंत्र का जाप करें.
19. रुद्राक्ष से कहें *… (पीड़ित का नाम लें..) को इलेक्ट्रिक वायलेट उर्जा का अभेद सुरक्षा कवच प्रदान करें. जिसमें वह अगले संजीवनी उपचार तक पूरी तरह सुरक्षित रहे. उनके लिये तवच में प्रेम और प्रकाश के आने जाने का उचित मार्ग भी प्रदान करें. फिर दो मिनट मंत्र का जाप करें. फिर संजीवनी रूद्राक्ष का शोधन करें.
20. अपना संजीवनी उपचार करके खुद की सुरक्षा सुनिश्चित करें. चाहें तो अपना कवच पुनः निर्मित कर लें.
प्रभावित व्यक्ति के ठीक होने तक इसे हफ्ते में 2 दिन करते रहें.
विशेष-
1.शानदार परिणामों के लिये संजीवनी उपचार में हीलिंग की किसी भी विधि की मिलावट बिल्कुल न करें.
2.संजीवनी उपचार के दौरान कल्पना का उपयोग कहीं न करें. रुद्राक्ष के द्वारा उर्जाओं को सीधे कमांड दें.
3. पीड़ित व्यक्ति के घर वालों से कहें ठीक होने तक वे उससे किसी भी मुद्दे पर बहस न करें. न ही उसकी अनदेखी करें. अन्यथा पूरे घर के कामकाज पर प्रतिकूल असर दिखने लगेगा.