मेरी कुंडली आरोहण साधना… 15

प्रणाम मै शिवांशु
उन दिनों गुरुदेव के अध्यात्मिक मित्र तुल्सीयायन महाराज बनारस में कैम्प कर रहे थे. वे सामूहिक रूप से अपने 44 श्रेष्ठ शिष्यों की कुंडली जाग्रत करके उसे ऊपर के चक्रों में मूव कराना चाहते थे। तुल्सीयायन महाराज उच्च कोटि के योगी थे. ध्यान साधना में भी वे सिद्ध थे. मगर ध्यान योग से एक साथ 44 शिष्यों की कुंडली आरोहण में वे सफल नही हो पा रहे थे. क्योंकि उसमें समय अधिक लग रहा था. उन्होंने गुरुवर से उर्जा विज्ञान का सहयोग मांगा. गुरुदेव ने उन्हें सहयोग का आश्वासन दिया. और मुझे उनके सभी शिष्यों की उर्जा जांच करने को कहा. मैने उनके आभामंडल व उर्जा चक्रों की जांच की. जिसके आधार पर 18 सन्यासियों को कुंडली आरोहण साधना में शामिल होने से रोक दिया गया.
अब आगे…
मुझे उर्जा की जांच करनी तो आती थी. मगर कुंडली जागरण के लिये उर्जा स्तर के पैमाने की जानकारी नही थी. सो मै नही जान पाया कि गुरुदेव ने जिन सन्यासियों को कुंडली जागरण साधना में शामिल होने से रोका उनकी उर्जा में क्या विकार थे. मै डरा हुआ था कि कहीं मेरी उर्जा भी कुंडली शक्ति के आरोहण के लायक न निकली तो क्या होगा. जब गुरुवर ने बताया कि तुम्हें साधना में शामिल किया जा रहा है. तो एेसा लगा जैसे सारी खुशियां एक साथ मिल गई हों.
साधना से पहले तुल्सीयायन महाराज के आग्रह पर गुरुदेव ने कुंडली शक्ति के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला. उसके हानि लाभ से अवगत कराया. जिसे जानकर सभी साधक कुंडली शक्ति के उपयोग के लिये व्याकुल से हो उठे.
साधना का दिन आ गया. सामूहिक कुंडली आरोहण साधना. ज्यादतर साधकों ने बिना मंत्र की साधना करने की इच्छा जताई थी. सो गुरुदेव ने वैसी ही तैयारी कराई. सभी चयनित साधकों के लिये कुंडली आरोहण यंत्र का निर्माण किया गया था. आपको बताता चलूं कि इस यंत्र का निर्माण बिल्ली की नाल (झेर) पर किया जाता है. बिल्ली की नाल की उर्जाओं की खासियत है कि वे समृद्धि की उर्जाों को तेजी से आकर्षित करती हैं. कुंडली की उर्जाओं की प्रवृत्ति भी समृद्धी की होती है.
इस नाते दोनो के बीच समधर्मी उर्जाओं का रिश्ता बनता है.सभी जानते हैं कि समधर्मी उर्जायें एक दूसरे को आकर्षित करती हैं. इसके कारण तकनीकी तौर पर ये यंत्र कुंडली आरोहण के लिये बहुत सक्षम होता है. मगर बिल्ली की नाल बहुत ही दुर्लभ होती है. उसका मिल पाना बहुत कठिन होता है. जिनके पास बिल्ली की असली नाल होती है उनके पास धन हमेशा खुद ही आकर्षित होकर आता रहता है. उनके खाते भरे रहते हैं. इसलिये वे उसे लाखों रुपये लेकर भी इसे किसी को देना ही नही चाहते.
गुरुदेव के एक अध्यात्मिक मित्र के आश्रम में तमाम बिल्लियां पली हैं. डिलिवरी के समय पीड़ा से बचने के लिये वे आश्रम के स्वामी जी की गोद में आकर बैठ जाती हैं. स्वामी जी उसी समय उनकी नाल को कपड़े से ढककर सुरक्षित कर लेते हैं. अन्यथा बिल्लियां बच्चा देते ही उनकी सफाई करते समय अपनी नाल खुद ही खा डालती हैं. कुंडली आरोहण यंत्र निर्माण के लिये गुरुवर के आग्रह पर स्वामी जी ने ही बिल्ली की नालों को भेजवाया था. उन्हीं पर यंत्र तैयार हुए.
उर्जा विज्ञान की भाषा में साधना सिद्धी के एेसे यंत्रों को उर्जा उपकरण कहा जाता है.
साधकों को यंत्र पहना दिये गये. साधना से पहले गुरुदेव ने बताया कि कुंडली जागरण करके उसे ऊपर के चक्रों में आरोहित करने के लिये दूषित व बाधित उर्जाओं से मुक्त होना जरूरी होता है. वर्ना कुंडली जागरण में मुश्किल होती है. अगर कुंडली जाग भी जाये तो उसके व्यवहार में विकार की आशंका रहती है. जो विनाशकारी भी हो सकती है. इसके तहत साधना से पहले साधक को ग्रहों की दूषित उर्जा, देवदोष यानि बिगड़ी साधनाओं की उर्जा, पितृ दोष यानि डी.एन.ए. की असंतुलित उर्जा और तंत्र यानि नकारात्मक भावनाओं के घुसपैठियों की दूषित उर्जा से मुक्त किया जाता है.
गुरुदेव ने इनके नियमों की जानकारी देकर दूषित उर्जाओं का मुक्तीकरण शुरू कराया.
जिसे मै आगे विस्तार से बताउंगा. ताकि अपनी कुंडली आरोहण साधना के समय आप लोग उसे विधि पूर्वक कर सकें.
क्रमश: …
सत्यम शिवम् सुंदरम
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.
Pranam guruji hum sadhana se kaise Jud sakte hai?.?.kundlini Rudraksh ki prise kitni hai.hum do din se apka programs TV pe dekhte hai .
Sanjivani vidhya ke bare main puri jankari bheje