27 मई 2016, मेरी कुण्डली आरोहण साधना- 10
कुंडली शक्ति में दुनिया बदलने की क्षमता
प्रणाम मै शिवांशु
अब तक आपने जाना बनारस में कैम्प किये योग गुरु तुल्सीयायन महाराज अपने 44 शिष्यों का सामूहिक कुंडली जागरण करना चाहते थे. मगर योग-साधना के द्रारा सामूहिक रूप से एेसा नही हो पा रहा था. तो उन्होंने हमारे गुरुवर एनर्जी गुरु से उर्जा विज्ञान की मदद मांगी. गुरुवर को उनके अध्यात्मिक मित्र उर्जा नायक कहकर सम्बोधित करते हैं. उर्जा नायक महाराज ने उन्हें कुंडली शक्ति के विज्ञान की जानकारी देकर बताया कि पर्याप्त शारीरिक व मानसिक श्रम करने वालों की कुंडली बिना योग-साधना के ही जाग जाती है. तपस्वी अपनी कुंडली शक्ति का उपयोग करके दुनिया पर आने संकटों को रोक लेते हैं.
अब आगे…
कुंडली शक्ति कितनी पावर फुल होती है और ये कैसे काम करती है. ये सवाल भी मैने ही पूछा. दरअसल तुल्सीयायन महाराज के शिष्यों के मन में उठे सवाल भी मुझे ही पूछने पड़ रहे थे. क्योंकि उन्हें सवाल पूछने से पहले अपने गुरु की आज्ञा लेनी होती थी. सो वे धीरे से मुझसे ही पूछ लेते और मै गुरुदेव के समक्ष सवाल रख देता था.
कुंडली शक्ति वाकई बहुत पावर फुल होती है. कल्पना से भी कई गुना ज्यादा. गुरुदेव ने बताया. इसकी शक्ति का अंदाजा आज तक कोई नही लगा पाया. मेरा अनुमान है कि इसमें ब्रह्मांड बनाने बिगाड़ने भर की उर्जा से भी अधिक पावर होती है. सबसे खास बात ये ही कि कुंडली शक्ति स्वपोषित होती है. इसे किसी भी बाहरी शक्ति की जरूरत ही नही होती. ये सिर्फ इंशान के भीतर की शक्तियों का उपयोग करके ही व्यक्ति को देवताओं की तरह शक्ति सम्पन्न बना देती है. दरअसल इसे ब्रह्मांड की सभी शक्तियों के रहस्य जान लेना आता है. साथ ही उनका उपयोग करना भी आता है.
इसे आप एेसे समझे जैसे किसी व्यक्ति के पास हवाई जहाज नही है. मगर उसे पता है कि हवाई जहाज कहां और कैसे मिलेगा. वो वहां पहुंच भी जाये. उसे हवाई जहाज उड़ाना भी आता है. सो उसने हवाई जहाज उड़ाया भी, अपना काम किया. और वापस लाकर जहाज वहीं छोड़ दिया जहां खड़ा था. इस तरह उसने हवाई जहाज का मालिक न होते हुए भी उसका इश्तेमाल मालिक की तरह ही कर लिया.
यहां ध्यान रखें प्राकृतिक सम्पदा पर तेरा मेरा का कानून लागू नही होता. जिसने इश्तेमाल कर ली सम्पदा उसी की.
इसी तरह कुंडली शक्ति भी ब्रह्मांड की शक्तियों का इश्तेमाल करके अपने काम निकाल लेती है.
प्राकृतिक रूप से कुंडली शक्ति के काम करने का अपना कोई उद्देश्य नही होता है. ये तो सिर्फ उस व्यक्ति की मंशा और जरूरत को पूरा करती है जिसने इसे जगाया है.
अब मै बताता हूं कि ये कब और कैसे काम करती है. गुरुदेव ने आगे जानकारी देते हुए कहा. मूल रूप से कुंडली शक्ति पंचतत्वों की उर्जाओं को अपनी शक्ति के रूप में इश्तेमाल करती है.
जब ये मूलाधार चक्र का भेदन करती है, तब इसे पृथ्वी तत्व की शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं. एेसे में जिसकी कुंडली ने मूलाधार का भेदन किया है उसे इसके उपयोग की विधि न मालुम हो तो भी ये पृथ्वी तत्व से जुड़ी उपलब्धियां स्वतः दे देगी. जैसे समृद्धि, साहस, आत्मबल आदि.
जो लोग इसका ब्रह्मांडीय इश्तेमाल करना जानते हैं वे इसके द्वारा गुरुत्वाकर्षण पर नियंत्रण पा लेते हैं. हनुमान जी को पृथ्वी तत्व का व्यापक उपयोग आता था. जिसके कारण वे हवा में उड़े जाते थे. पृथ्वी तत्व की उर्जाएं लाल होती हैं. इसी कारण हनुमान जी को लाल चोला चढ़ाया जाता है. ज्योतिषीय उपायों के दौरान हनुमान जी की इन्ही उर्जाओं को प्राप्त करके मंगल ग्रह को भी ठीक किया जाता है. क्योंकि मंगल ग्रह की उर्जायें भी पृथ्वी तत्व से प्रभावित हैं. शायद इसी कारण मंगल को धरती का पुत्र कहा जाता है.
जब कुंडली स्वाधिष्ठान चक्र का भेदन करती है तो जल तत्व का उपयोग करती है. उसके प्रभाव से जल तत्व जाग्रत हो जाता है. एेसे में व्यक्ति की रचनात्मक क्षमता फलीभूत होती है. कला के क्षेत्र से जुड़े लोग फेमस होने लगते हैं. बनाई गई योजनायें सफल होने लगती हैं. धर्म के जानकार कहते हैं कि एेसे व्यक्ति में यहां मौजूद ब्रह्मा जी की शक्तियों का जागरण हो जाता है. कई तपस्वी कुंडली शक्ति के द्वारा जल तत्व की शक्ति का उपयोग करके जल प्रलय जैसी स्थितियों को नियंत्रित करने की कोशिश करते रहते हैं.
जब कुंडली मणिपुर चक्र का भेदन करती है तो अग्नि तत्व का उपयोग करती है. प्राकृतिक रूप से एेसा व्यक्ति जबरदस्त प्रसिद्धी हासिल करता है. उसका सोचा हुआ हर काम सफल होने लगता है. बड़े बड़े मंत्री, राजा, महाराजा भी एेसे व्यक्ति से मिलकर खुद को गौरान्वित महसूस करते हैं. उसके किये हुए कार्यों से लाखों लोगों का पालन पोषण होता है. धर्म के जानकार मानते हैं कि मणिपुर चक्र पर पहुंची कुंडली व्यक्ति के भीतर विष्णु तत्व का जागरण कर देती है. दूसरे शब्दों में व्यक्ति विष्णु की तरह तेजस्वी पालनकर्ता बन जाता है. क्योंकि यहां कुंडली मणिपुर चक्र में मौजूद विष्णु की ब्रह्मांडीय उर्जाओं का इश्तेमाल करने लगती हैं.
जब कुंडली अनाहत चक्र का भेदन करती है तो व्यक्ति के भीतर के वायु तत्व का उपयोग करती है. साथ ही उसके भीतर का शिव तत्व जाग्रत हो जाता है. तब व्यक्ति शिव के समान दयालु, उदार, सुखी और शक्ति सम्पन्न हो जाता है. एेसे में व्यक्ति को मन की गति से ब्रह्मांड की सारी गतिविधियों की जानकारी मिल जाती है. किसी जमाने में तपस्वी और दानव योद्धा कुंडली के द्वारा वायु तत्व पर नियंत्रण करके वायुगमन किया करते थे.
धर्म के जानकार कहते हैं कि एेसे व्यक्ति में शिव की शक्तियां समाहित हो जाती हैं. कुछ तो मानते हैं कि व्यक्ति शिव समान हो जाता है. क्योंकि यहां कुंडली अनाहत चक्र में मौजूद शिव की ब्रह्मांडीय उर्जाओं का इश्तेमाल करने लगती हैं.
जब कुंडली गले में स्थित विशुद्धी चक्र का भेदन करती है तो आकाश तत्व का उपयोग करती है. जिसके कारण व्यक्ति का आत्म जागरण हो जाता है. वह अंतरीक्ष के सभी रहस्यों को जानने लगता है. यहां तक कि उसे ब्रह्मांड संचालन में अपनी भूमिका का भी पता चल जाता है. वह जीवन मरण और उसके बीच के सभी रहस्यों को जान लेता है. या यूं कहें कि उसके लिये कुछ भी जानना शेष नही बचता.
जब कुंडली आज्ञा चक्र का भेदन करती है तो वह गुरु तत्व का उपयोग करती है. एेसे व्यक्ति के भीतर गुरुतत्व जाग जाता है. उसमें सब कुछ जानने वाले व्यक्ति का भी गुरु बनने की सामर्थ्य आ जाती है. वह हर तरह के हालातों पर नियंत्र करने में सक्षम हो जाता है.
जब कुंडली ब्रह्म चक्र अर्थात सहस्रार चक्र का भेदन करती है तो वह विधाता अर्थात दुनिया बनाने वाले तत्व का उपयोग करती है. एेसे में व्यक्ति के भीतर रचयिता की क्षमता जाग उठती है. धर्म के जानकार कहते हैं कि एेसा व्यक्ति ब्रह्ममय होकर स्वयं ब्रह्म हो जाता है. वो ब्रह्मांड बनाने की क्षमताओं से भर जाता है.
हम सब विशुध से गुरुदेव की बातें सुन रहे थे. उनकी एक चुटकी ने हमारी तंद्रा भंग की. वे बोले इससे एेसा मत कहने लगना कि मै हवा में चल कर दिखाऊं या दूसरी दुनिया का निर्माण कर दूं. मैने तो शिव गुरु द्वारा दिया ज्ञान बताया है. कुंडली का एेसा उपयोग मुझे नही आता.
उनकी बात सुनकर हममें से ज्यादातर ने एेसी गहरी सांस ली जैसे सोचे बैठे थे कि अभी गुरुवर हमें आकाश गमन सिखाएंगे. और अचानक हमें मना कर दिया गया हो. दरअसल हम सब उनकी बातों में इतना खो गये थे कि अपनी कुंडली को ब्रह्म चक्र तक पहुंची मान बैठे.
गुरुदेव ने कहा कुंडली का उपयोग जरूरत के मुताबिक ही किया जाना चाहिये.
कैसे. ये मै आपको आगे बताउंगा.
…. क्रमशः ।
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.
Aschariy Janak adbhut jankari keep liye koti koti dhanybad b naman.ram ram .Acharya vinay Krishna srivastava..
Ach
Pujya shri
I want to know how do I get feel that my kundali jagrat ho chuki hai ya nahi.
Kis prakar ka mansik aur sharirik kaam karne se kundali jagrat hoti hai aur kitna time done prakar ke kaam to dene se kitne samay men kundali jagrat hoti hai.
Pranam
Amit hardia