26 मई 2016, मेरी कुण्डली आरोहण साधना- 9
कुंडली शक्ति से अनहोनी रोक देते हैं तपस्वी
प्रणाम मै शिवांशु
हमारे गुरुदेव उर्जा नायक महाराज कुंडली शक्ति के जिस विज्ञान की चर्चा कर रहे थे, वो सीधा शिव ज्ञान था. गुरुवर ने बताया कि शारीरिक व मानसिक श्रम करने वालों की कुंडली बिना योग-साधना किये खुद ही जाग्रत हो जाती है. जिसके कारण वे प्रसिद्ध होने लगते हैं. समृद्ध होने लगते हैं. प्रभावशाली होने लगते हैं. जैसे राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी, फिल्मी कलाकार, खिलाड़ी आदि. साथ ही उन्होंने बताया कि योग-साधनाओं, पूजा पाठ, अध्यात्म की राह पर चलने वालों का कुंडली जागरण सामान्य सांसारिक व्यक्ति की अपेक्षा कठिन क्यों होता है.
अब आगे…
44 शिष्यों के साथ कुंडली शक्ति का वैज्ञानिक पक्ष जान रहे तुल्सीयायन महाराज ने गुरुदेव से कहा मित्र इन लोगों को बताओ कि क्या कुंडली शक्ति मोक्ष का कारण बन सकती है. और साधु-संतों के लिये इसका उपयोग कितना सरल है.
कुंडली शक्ति का मोक्ष से सीधा ताल्लुक नही है. गुरुवर ने बताना शुरू किया. ये एक स्वतंत्र और प्राकृतिक शक्ति है. जो दैवीय कृपा की मोहताज नही. इसी का उपयोग करके दैत्य व राक्षस वंश के योद्धा देवताओं के लोक में बल पूर्वक घुस जाया करते थे. यहां तक कि वे देवताओं को जीत भी लेते थे. उनके राज्य पर कब्जा भी कर लेते थे. जाहिर है कि देवताओं को जीतने के लिये कोई दैवीय शक्ति तो मदद करेगी नही. कुंडली शक्ति ही उनकी जीत का आधार होती थी. उसमें कुछ विशेष वरदान शामिल होने से देवताओं का सीमा बंधन हो जाता था.
गुरुदेव ने आगे बताया कुंडली शक्ति देवतुल्य क्षमतायें जगाने में सक्षम है. ये हमारे चक्रों में मौजूद पंचतत्वों की उर्जाओं के साथ मिलकर ब्रह्मांड के अधिकतम रहस्यों का उपयोग कर लेती है. बस इसका उपयोग करना आना चाहिये. उपयोग सक्षम गुरु ही बता सकता है.
शायद इसी कारण सक्षम गुरु को कई बार भगवान से अधिक महत्व दिया गया है. क्योंकि भगवान भक्त की कामनायें पूरी करते हैं. जबकि कुंडली का उपयोग करके व्यक्ति दूसरों की भी कामनायें पूरी करने में सक्षम हो जाता है. वो मांगने वाले से देने वाला बन जाता है. लेकिन विशेष ध्यान रखें इसे सक्षम गुरु से ही सीखें. अगर गलती से कुंडली शक्ति के उपयोग में गड़बड़ हुई तो व्यक्ति का जीवन तबाह होने से कोई नही बचा सकता. इसे एेसे समझें कि अगर गैस सिलेंडर का उपयोग करना नही आता है, तो गलत तरीके से उपयोग करने पर गैस खाना पकाने की बजाय पूरे घर को जला देगी.
अब बात करते हैं कुंडली जागरण से मोक्ष प्राप्त करने की. गुरुवर ने कहा, सीधे तौर पर कुंडली मोक्ष का कारण नही बन सकती. हां ये व्यक्ति को इतना सक्षम बना देती है कि वो मोक्ष की राह पर आसानी से बढ़ सके.
साधु संतों का कुंडली जागरण मुश्किल तो है मगर उनका उद्देश्य बड़ा होता है. वे कुंडली शक्ति से समृद्धी, प्रसिद्धी, मान्यता या प्रभावशाली होते जाने की कामना नही करते. एक तपस्वी गुफाओं कंदराओं में बैठकर सालों साल कुंडली जागरण में लगा रहता है. कुंडली जाग्रत हो जाने के बाद भी वह वहीं रहता है. न उसे प्रसिद्ध होने से मतलब है और न ही प्रभावशाली होने से. वो तो दूसरे ही उद्देश्य से तपस्यारत है. वह उद्देश्य भौतिक जीवन से बिल्कुल अलग है.
उनके उद्देश्य क्या होते हैं. ये सवाल मैने पूछा था.
उनके उद्देश्यों को विस्तार से नही बताया जा सकता. बस ये समझो कि वे दुनिया की भलाई के लिये वे ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने में लगे होते हैं. कुछ तपस्वी ब्रह्मांड में घटने वाली एेसी अज्ञात घटनाओं पर नियंत्रण की कोशिश करते हैं जो अवांक्षित और जनमानस के लिये हानिकारक होती हैं. उदाहरण के लिये इन दिनों ब्रह्मांड के पश्चिमी क्षोर से उठ रही उर्जा की विशाल तरंगे उत्तर की तरफ मुड़ रही हैं. जो कि अवांक्षित है. क्योंकि उन्हें पूरब की तरफ जाना चाहिये. इससे विचित्र सी बीमारियां फैल सकती हैं. या जल क्षेत्र में खतरनाक हलचल होगी.
प्रायः वैज्ञानिक समय रहते इसे नही समझ पाते. इसी कारण संकट के समय उनके पास समाधान नही होता.
उच्च तपस्वियों को इस तरह के बदलावों का अहसास समय रहते हो जाता है. वे अपनी उर्जाओं का उपयोग करके खतरनाक बदलावों पर नियंत्रण की कोशिश में जुटे रहते हैं. इस तरह से दुनिया में आने वाले कई तरह के संकट उच्च तपस्वियों द्वारा तबाही से पहले ही रोक दिये जाते हैं.
हम मान सकते हैं कि उच्च तपस्वियों की सजगता से दुनिया को सिर्फ 17 प्रतिशत संकटों का ही सामना करना पड़ता है. बाकी को आने से पहले ही रोक दिया जाता है. लेकिन ब्रह्मांड में घट रही हर घटना को नही रोका जा सकता. कुछ घटनायें दूसरे ग्रहों की हलचल से उत्पन्न होती हैं. उन्हें रोक पाना कठिन होता है. उदाहरण के लिये किसी देश द्वारा अचानक बड़ी तादाद में नदी का पानी छोड़ दिया जाये, तो उससे आगे के देशों में बाढ़ आ ही जाएगी. पता चल जाने के बाध भी उसे नही रोका जा सकता है. दूसरे उदाहरण में समझें कि पड़ोसी देश में परमाणु बम फटें. जिसकी विनाशक परिधि 500 किलोमीटर हो. जहां बम फटा वो क्षेत्र किसी दूसरे देश की सीमाओं से लगा हो. तो बम का नुकसान दूसरे देश के उन इलाकों में भी होगा जो वहां से 500 किलोमीटर की परिधि में आते हैं. उसे भी रोका नही जा सकता. इसे कहते हैं पड़ोसी हरकतों से होने वाला नुकसान.
यहां हम जान लें कि उच्च तपस्वियों के काम देश की सीमाओं में बंधे नही होते. पूरी धरती ही उनका कार्य क्षेत्र है.
उच्च स्तर पर उपयोग किया जाये तो कुंडली शक्ति ब्रह्मांड में होने वाले अवांक्षित बदलावों को रोक पाने में बहुत कारगर होती है. तपस्वी इसी शक्ति का उपयोग करते हैं.
कैसे करते हैं वे इस शक्ति का उपयोग. इसके जवाब में गुरुदेव ने जो जानकारी दी वो मै आपको आगे बताउंगा.
…. क्रमशः ।
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.
Ram Ram
Thank you Shivanshu Ji for sharing this mystery.