प्रणाम मै शिवांशु
बात किसी अहंकार की नही, बल्कि अपनी शक्तियों के उपयोग की है. उन शक्तियों का उपयोग जिन्हें ब्रह्मांड के भगवान ने रचा.
ब्रह्मांड बनाने वाले ने इंशान रचने के समय कभी न सोचा होगा कि ये प्राणी अपनी कामनाओं को पूरा करने के लिये गिड़गिड़ाना सीख जाएगा. क्योंकि उन्होंने इंशान को ब्रह्मांड से अपनी बात मनवा लेनी की शक्ति दे रखी है.
तो चूक कहां हुई. क्यों गिड़गिड़ाना सीख गये हम.
शायद हमने अपनी उन शक्तियों का उपयोग नही किया. जानबूझकर, अनजानें में या आलस्य में.
जो भी हो अब हम करेंगे ब्रह्मांड से अपनी बात मनवा लेने वाली शक्तियों का उपयोग.
और बनेंगे अपने भगवान. जो चाहेंगे उसे ले लेंगे, बिना दूसरों के अधिकार छीने.
इन शक्तियों को जानने, पहचानने और उपयोग करने का दिन आ गया.
दिन- रविवार.
तारीख- 3 जनवरी 2016
समय- दोपहर 1 बजे.
जगह- हिन्दी भवन, दिल्ली.
अवसर- अवचेतन शक्ति साधना.
गुरुदेव परिचित कराएंगे आपको आपकी ही दिव्य शक्तियों से.
जगाएंगे ब्रह्मांड पर राज करने में सक्षम अवचेतन शक्ति को.
सीखाएंगे उसका उपयोग करना.
बस आप तैयार हो जाइए मन में उत्साह और उमंग के साथ. विचारों के जरिए इसी क्षण जुड़ जाइए साधना की दैवीय उर्जाओं से. महसूस करिए खुद को गुरुवर के साथ साधना करते हुए. उतार लीजिए भविष्य की दिव्य उर्जाओं को अपने आभामंडल में. घुल जाने दीजिए सिद्धियों का खुशनुमा अहसास अपनी भावनाओं में. मुक्त कर दीजिए अपनी खुशियों की उड़ान को खुले आसमान में. वहां बैठे ब्रह्मांड बनाने वाले भगवान को इंतजार है आपकी खुशहाली का, आपकी जीत का, आपके अपने भगवान के जागने का.
हमें इंतजार है आपके गुरुवर तक पहुंचने का.
टीम मृत्युंजय योग आपकी साधना की तैयारियों में व्यस्त है.