समृद्धि-सुख का मतलब है जहां जिस स्थिति में हैं कोई भी काम धनाभाव के कारण रुकने न पाये। जो चाहें वो कर सकें। दूसरे जरूरतमंदों को भी धन दे सकें। चल अचल सम्पंत्ति का सुख मिले। हर तरह के भंडार भरे रहें। लोगों के बीच साधक की मान्यता बढ़ना. लोगों के मन में साधक के प्रति मान-सम्मान की स्थापना होना. क्षमताओं का क्रेडिट मिलना. लोगों के बीच प्रसिद्धि बढ़ना. एेसे अवसर और सफलता मिलना जिससे साधक की चमक हजारों लाखों में एक सितारे की तरह फैल जाये.
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समृद्धि-सुख साधना की तिथियां
- प्रतिपदा (मां शैलपुत्री): 26 सितम्बर 2022
- द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी): 27 सितम्बर 2022
- तृतीया (मां चंद्रघंटा): 28 सितम्बर 2022
- चतुर्थी (मां कुष्मांडा): 29 सितम्बर 2022
- पंचमी (मां स्कंदमाता): 30 सितम्बर 2022
- षष्ठी (मां कात्यायनी): 01 अक्टूबर 2022
- सप्तमी (मां कालरात्रि): 02 अक्टूबर 2022
- अष्टमी (मां महागौरी): 03 अक्टूबर 2022
- नवमी (मां सिद्धिदात्री): 04 अक्टूबर 2022
- दशमी (मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन): 5 अक्टूबर 2022
- दसवां दिन: 6 अप्रैल 2021, व्रत पारण/समापन अनुष्ठान और शक्ति केंद्रों में दैवीय ऊर्जा स्थापना
कलश स्थापनाः
राज सुख साधना के लिये कलश स्थापना करें। जिनके पास कुम्भ कलश है उन्हें अलग से कलश स्थापना की आवश्यकता नहीं। उसी के समक्ष बैठकर साधना सम्पन्न करें। जिनके पास कुम्भ कलश नही है वे निम्न प्रकार घर में या प्रतिष्ठान में कलश स्थापित करके साधना सम्पन्न करें.
कलश स्थापना मुहूर्त –
26 सितंबर 2022, 06.20 AM – 10.19 AM
कलश स्थापना विधि-
कलश स्थापना के लिए मिट्टी के बर्तन (कलश), पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी या बालू, गंगाजल, सुपारी, चावल, नारियल, लाल धागा, लाल कपड़ा, आम या अशोक के पत्ते की जरूर होती है.
- कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन की जाती है.कलश स्थापना से पहले अपने घर के मंदिर को अच्छी तरह साफ कर लें.
- सबसे पहले भगवान शिव को साक्षी बनायें. कहें- हे देवाधिदेव महादेव आपको साक्षी बनाकर चैत्र नवरात्रि देवी सिद्धि हेतु कलश स्थापित कर रहा हूं. देवी कृपा हेतु मुझे दैवीय सहाय़ता और सुरक्षा प्रदान करें। आपका धन्यवाद.
- कलश पात्र में में गंगाजल भरकर रख लें। गंगाजल न हो तो मिनिरल वाटर भर लें.
- मंदिर बड़ा है तो उसके अंदर या पास में मिट्टी का छोटा चबूतरा सा बना दें। इसे मिट्टी के एक चौड़े पात्र में भी बना सकते हैं.
- जौ को मिट्टी के चबूतरे में बो दें.
- अब इस पर जल से भरा कलश रखें.
- कलश के गर्दन जैसे बने भाग पर कलावा बांधें.
- साथ ही कलश में सुपारी, एक सिक्का और थोड़े अक्षत (चावल) डाल दें.
- कलश पर रोली से स्वास्तिक बना दें.
- कलश के मुंह पर आम या अशोक के पांच पत्ते रखें.
- उसके ऊपर लाल कपड़े में लपेटा हुआ नारियल रखें.
वरुण देव से सफल पूजा हेतु आग्रह करें. कहें- हे वरूण देव इस कलश में अपनी शक्तियां स्थापित करके मेरे द्वारा सम्पन्न की जाने वाली देवी साधना की सफलता सुनिश्चित करें। साथ ही मेरे घर में देव शक्तियां स्थापित करके इस स्थान को मेरे और मेरे परिवार जनों के लिये स्वर्ग सा सुखदायी बना दें।
देवी साधना विधि-
देवी साधना के लिये कलश के समक्ष आसान लगाकर आराम से बैठ जायें। सरसों तेल का दीपक जला लें। इससे घर की नकारात्मक समाप्त होती है और सम्पन्नता आती है। पूर्वाग्रह वश सरसों तेल के दीपक को लेकर मन में कोई भ्रांति हो तो अपनी इच्छानुसार कोई भी दीपक जला सकते हैं। पूजा कक्ष में सुगंध कर लें।
हर दिन सबसे पहले भगवान शिव को साक्षी बनायें. कहें- हे देवाधिदेव महादेव आपको साक्षी बनाकर चैत्र नवरात्रि में समृद्धि सिद्धि हेतु देवी साधना सम्पन्न कर रहा हूं. सफलता हेतु मुझे दैवीय सहाय़ता और सुरक्षा प्रदान करें। आपका धन्यवाद.
देवी मां से सिद्धि का आग्रह करें. कहें- हे जगत जननी मां भगवती मेरे मन मंदिर में विराजमान होकर अपने सभी स्वरूपों में मेरी साधना आराधना को स्वीकार करें, साकार करें. मुझे समृद्धि सुख प्रदान करें। आपका धनायवाद।
फिर देवी मां को पुष्प अर्पित करें। फिर भोग अर्पित करें।
देवी स्तुति करें. कहें-
देवी पूजि पद कमल तुम्हारे।
सुर नर मुनि सब होहि सुखारे।।
उसके बाद आगे दिया मंत्र 5 बार बोलें-
आयुर्देहि धनम् देहि विद्या देहि महेश्वरी।
समस्तम अखिलाम देहि देहि मे परमेश्वरी।।
उसके बाद समृद्धि सुख मंत्र का जप 40 मिनट करें।
मंत्र- ऊं. ह्रीं नमः
इसी तरह नवरात भर प्रतिदिन देवी साधना सम्पन्न करें। साधना से प्राप्त दैवीय उर्जायें भौतिक जीवन में धन के रूप में परिवर्तित हो सकें उसके लिये 5 और 6 सितम्बर को साधक 2 दिन समृद्धि यज्ञ अवश्य करा लें। समृद्धि यज्ञ की आहुतियां अनार के दानों से दें। जो साधक अपने स्तर पर यज्ञ नही करा सकते वे संस्थान में अपना संकल्प भेज सकते हैं।
इस यज्ञ पर 5100 की दक्षिणा सम्भावित है।
शिव शरणं।