सफल मन्त्र संजीवनी उपचारक अपनी ही नही दूसरों की भी समस्यायों को तिनके की तरह उड़ा सकते हैं। सतयुग, त्रेता, द्वापर की तरह कलियुग में भी मन्त्र संजीवनी लोगों का जीवन बदलने में सक्षम है। लोग इसके उपयोग से सांसारिक सुखों का भोग करते हुए मोक्ष तक की राह सुनिश्चित कर सकते हैं। अमीर, गरीब, रोगी, निरोगी, बच्चे, बूढ़े सभी इसे अपना सकते हैं। जिन्हें जहां कहीं भी इस देव विद्या को सीखने का अवसर मिले, वे सीखकर अपना और दूसरों का जीवन जरुर संवारें।
देव विद्या मन्त्र संजीवनी के लाभ…
- षट्चक्रों , कुण्डलिनी, अवचेतन शक्ति का जागरण।
- बीमार अंगों का पुनर्जनन।
- सम्मोहन शक्ति का जागरण।
- मानवीय शक्तियों का जागरण।
- उत्साह और पराक्रम का जागरण।
- आत्मबल और आत्मशक्ति का जागरण।
- सिद्धि, प्रसिद्धि, समृद्धि हेतु देव शक्तियों का जागरण।
- ग्रह दोष, वास्तु दोष, देव दोष, पितृ दोष, प्रारब्ध दोष, बाधा दोष, धन दोष सहित सभी नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति।
- मन्त्र संजीवनी के उचित उपयोग से सांसारिक भोगों का लाभ उठाते हुए मोक्ष की मंजिल।
मन्त्र संजीवनी विद्या का उपयोग युगों से होता आया है। शुक्राचार्य जी ने इसे भगवान शिव से प्राप्त किया। वे मन्त्र संजीवनी का उपयोग करके मरे हुए लोगों को जिंदा कर दिया करते थे। ऋषि दधीचि इसके बड़े ज्ञाता थे। उन्होंने इसका उपयोग करके माता पार्वती की ऊर्जाओं को संतुलित किया। तब उनकी आदि शक्तियों का जागरण हुआ और वे भगवान शिव को प्राप्त कर सकीं। इस तरह मन्त्र संजीवनी न सिर्फ समस्याओं को दूर करने में सक्षम है बल्कि साधना सिद्धि में भी कारगर होती है।
वेद-पुराणों में इसका विभिन्न रूपों में वर्णन है। कालांतर में इसे भुला दिया गया।
कलियुग के इस काल में ऊर्जा गुरुओं द्वारा पुनः इस विज्ञान का उपयोग आरम्भ हुआ है। रेकी, प्राणिक हीलिंग और ऐसे ही तमाम बदले हुए स्वरूपों में लोग विश्व स्तर पर इसका लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
संजीवनी उपचार के मूल स्वरूप से अलग होने के कारण उन विधाओं में एनर्जी की जानकारी तो है। परन्तु वहां विद्वानों द्वारा कल्पना शक्ति (इमेजिनेशन) का सहारा अधिक लिया गया है।
कल्पना शक्ति हमेशा फलित हो ऐसा जरूरी नही। क्योंकि कल्पना आसानी से मिलावट का शिकार हो जाती है। पल पल विचार बदलते हैं और एक विचार के बीच दूसरा विचार घुस जाता है। यही कारण है कि इन दिनों ऊर्जा उपचार की प्रचलित विधाओं में वह लाभ नही मिल पा रहा, जिसके लिये लोग हीलिंग उपचार का सहारा लेते हैं।
मन्त्र संजीवनी उपचार में कल्पना शक्ति की बजाय मन्त्र शक्ति का उपयोग किया जाता है। शुक्राचार्य भी मृत संजीवनी में मन्त्र शक्ति का उपयोग करते थे।
मन्त्र शक्ति का परिचय देने की आवश्यकता नही। इसका कब, कहाँ और कितना उपयोग किया जाए, यह मालूम हो तो चमत्कार रचा जा सकता है।
शिवप्रिया जी ने 40 दिन की शिव सिद्धि के समय मंत्र संजीवनी विद्या की ऋषि तकनीक अर्जित की। जिसमें अथर्व वेद संहिता के सूत्रों की विशेषता प्रमुख है। ब्रह्मापुत्र ऋषि अथर्वा द्वारा रचित अथर्व वेद के सूत्रों को अपनाकर उनके पुत्र ऋषि ददीचि ने महान संजीवनी विज्ञान को डिकोड किया। उनके द्वारा सिखाई संजीवनी उपचार की तकनीक से देव चिकित्सक अश्वनी कुमार देवी देवताओं का उपचार करते हैं। मंत्र संजीवनी में शिवप्रिया जी अथर्व वेद संहिता के सूत्रों को अपना रही हैं। लम्बे इंतजार के बाद उन्होंने अनुशासित साधकों को मंत्र संजीवनी सिखाने की सहमति दे दी है। अब साधक उनसे यह देव विद्या सीख सकेंगे।
शिवप्रिया जी ने अपनी उच्चतर अकेडमिक शिक्षा में लोगों के मन-मस्तिष्क का इलाज करने के लिये साइकोलॉजिस्ट की शिक्षा हाशिल की है। भारत सरकार की प्रतिष्ठित Rehablitation Council Of India ने उनको मनोरोग विशेषज्ञ के तौर पर देश में मनोरोगियों की जांच और उपचार के लिये प्रमाणित किया है। विश्व की प्रसिद्ध संस्था लंदन स्थित British Psychological Society ने अपना सदस्य नियुक्त करके उन्हें दुनिया भर में मनोरोगियों के उपचार के लिये विश्व स्तर पर अधिकृत किया है। वेदांता, फोर्टिस सहित विभिन्न प्रतिष्ठित अस्पतालों में उन्होंने तमाम गम्भीर मनोरोगियों के उपचार में सहयोग किया है।
अपनी शिक्षा के दौरान उन्होंने मन्त्र संजीवनी पर भी व्यापक अनुसंधान किये है। किस तरह की समस्या पर मन्त्र शक्ति का कैसा उपयोग हो, यह उनके अनुसंधान का विषय रहा है।
सतयुग, त्रेता, द्वापर की तरह कलियुग में भी मन्त्र संजीवनी लोगों का जीवन बदलने में सक्षम है। लोग इसके उपयोग से सांसारिक सुखों का भोग करते हुए मोक्ष तक कि राह सुनिश्चित कर सकते हैं। हलांकि यह उच्चतर स्तर का विषय है। सबको ऐसी उच्चतर विद्याओं के अवसर नही मिलते। जिसे अवसर मिले वे इसे सीखकर अपना और दूसरों का जीवन सुखमय बनाएं।
सबका जीवन सुखी हो
यही हमारी कामना है
मन्त्र संजीवनी हेल्पलाइन- 9289500800
मंत्र संजीवनी दीक्षा प्रवेश फार्म