जन्माष्टमी पर विशेष….3

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क्यों जाना पड़ा कृष्ण की माँ देवकी को जेल ?

राम राम मैं शिवप्रिया ।
 
श्री सुकदेव जी ने आगे कि कहानी सुनाते हुए बताया -” जब कंस ने देवकी के पहले पुत्र को छोड़ दिआ और उसे वासुदेव जी को लौटा दिया , उसके पश्चात् उसके पास नारद मुनि आये ।
नारद मुनि ने कंस से कहा -‘ कंस ! व्रज में रहने वाले नन्द आदि गोप एवं उनकी स्त्रियां, वासुदेव आदि वृष्णिवंशी , देवकी आदि यदुवंश कि स्त्रियां और उनके बच्चे , वासुदेव के सभी सगे-सम्बन्धी एवं सभी मित्र , सब के सब देवी-देवता हैं ।’
आगे नारद मुनि ने ये भी बताया कि -‘ दैत्यों के अत्याचार और कुकर्मों से धरती का भार बढ़ गया है , इसीलिए देवी देवताओं ने दैत्यों के वद कि तैयारी शुरू कर दी है । “
देवर्षि नारद कंस को यह सब बता कर अंतरध्यान हो गए ।
इन सब बातों को सुनकर कंस व्याकुल हो उठा ।उसके मन में अलग अलग प्रश्न उठने लगे ।उससे यह निश्चय हो गया कि देवकी के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु ही जन्म लेंगे । उसके मन में अशांति छा गयी , उस को बहुत क्रोध आ गया । भय कि वजह से और आकाशवाणी को बदलने के उद्देश्य से उसने यह निश्चय किया की अगर वह वासुदेव और देवकी को सभी मनुष्य रूपी देवी देवताओं से अलग कर देगा और अपनी निगरानी में उनकी हर एक संतान को मार देगा तोह उसकी जान को कोई खतरा नहीं है ।
उसने इसी विचार पर अमल करते हुए उसने देवकी और वासुदेव को हथकड़ियों-बेड़ियों में जकड़कर कारागार में डाल दिया ।
आने वाले वक़्त में उन दोनों के जो भी संतान होती गयी उसे वह मारता गया क्यूंकि उसे हर बार मन में यह शंका रहती थी की कहीं यह संतान विष्णु का रूप तो नहीं ।
कंस अपनी बल के नशे में चूर था ।कंस जनता था कि मैं पहले कुल में असुर था और विष्णु ने मुझे मार डाला था ।इस वजह से उसने यदुवंशियों से घोर विरोध ठान लिया ।कंस बहुत ही शक्तिशाली था ।उसने यदुवंश , भोजवंश और अंधकवंश के अधिनायक अपने पिता उग्रसेन को भी कैद कर लिया ।
शूरसेन राज्य पर भी कब्ज़ा करके वह वहां खुद राज करने लगा ।”
आगे कि कहानी सुनाते हुए श्री सुकदेव जी ने कहा -” कंस एक तो बहुत बलवान था और दूसरे , मगधनरेश जरासंध की उसे साथ प्राप्त था ।
तीसरे, उसके साथी थे- प्रलम्बासुर , बकासुर, चाणूर, तृणावर्त , अधासुर, मुष्टिक, अरिष्टासुर, द्विविद, पूतना, केशी और धेनुक।
तथा बाणासुर और भौमासुर आदि बहुत से दैत्य राजा उसके सहायक थे ।इनको साथ लेकर वह यदुवंशियों को नष्ट करने लगा ।जो बचे हुए यदुवंशी थे वो सब भयभीत होकर वहां से दूर देशों में जा बसे और कुछ मन के विपरीत जा कर कंस का साथ देने लगे ।
जब कंस ने एक एक करके देवकी के छः पुत्रों की हत्या कर डाली तब देवकी बहुत ही हताश हो गयी थी और भयभीत थी ।तब उनकी सातवी संतान के रूप में उनकी गर्भ में प्रवेश किया ………..
……क्रमशः!

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