जिनकी बरक्कत रुकी है वे मां अन्नपूर्णा को घर में स्थान दें

annpurna

सभी अपनों को राम राम।
पूरी मेहनत। पूरी ईमानदारी। पूरी निष्ठा। पूरी लगन। खूब क्षमता।
फिर भी बरक्कत नहीं।
न मनचाहा पैसा। न मनचाहा सम्मान। न मनचाही स्थिरता।
जो लोग उपरोक्त स्थितियों के शिकार हैं। वे देवी अन्नपूर्णा के श्राप के प्रभाव में हो सकते हैं।
उन्हें घर में माता अन्नपूर्णा का चित्र स्थापित करना चाहिये। उन्हें रोज प्रणाम करके संकल्प लें कि भोजन बनाने और खाने की प्रक्रिया प्रशन्नता पूर्वक सम्पन्न करेंगे।
भोजन बनाने या खाने के समय गुस्से या कलह का वातावरण बने तो माँ अन्नपूर्णा के श्राप का खतरा रहता है। विशेष रूप से भोजन बनाने वाला गुस्से या तनाव या अपमान से ग्रसित है तो निश्चित रूप में घर में यह श्राप व्याप्त हो जाता है।
भोजन बनाने वाली घर की गृहणी हो या नौकर, नौकरानी। किचन में काम के समय उसे गुस्से, तनाव, अपमान की स्थिति में नही होना चाहिये।
इसी तरह खाने के समय घर के सदस्य गुस्से या तनाव में नही होने चाहिये।
देवी अन्नपूर्णा के श्राप की मार घर परिवार की उन्नति रोक देती है। सुख खत्म भंग कर देती है। सम्मान खत्म कर देती है।
इस श्राप से मुक्ति के लिये माता अन्नपूर्णा का चित्र घर के किचन में लगाएं। ऐसा चित्र लें जिसमें भगवान शिव माता अन्नपूर्णा से भिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। खाना बनाने से पहले माता से घरेलू विवादों के लिये क्षमा मांगें। और संकल्प लें कि भोजन प्रशन्नता पूर्वक बनाया जाएगा, प्रशन्नता पूर्वक परोसा जाएगा, प्रशन्नता पूर्वक ग्रहण किया जाएगा। माता से कहें हे परमेश्वरी मेरे घर परिवार में सुख, समृद्धि, सम्मान स्थापित करें। उन्नति स्थापित करें।
ध्यान रहे किचन में लगे फोटो के समक्ष अगरबत्ती, धूपबत्ती या दीपक जलाने की आवश्यकता नही। वहां अलग से किसी तरह की पूजा करने की जरूरत नहीं। किचन में जलने वाला चूल्हा (गैस का हो या कोई अन्य) ही माता के लिये दीपक है, वहां बन रहे भोजन की खुशबू ही उनके लिए अगरबत्ती या धूपबत्ती है, वहां बना भोजन ही उनका भोग प्रसाद है।
माता अन्नपूर्णा उन लोगों से बहुत खुश रहती हैं जो भोजन के समय अपना मन प्रशन्न रखते हैं। जिन पर माँ अन्नपूर्णा प्रशन्न होती हैं उनकी तरक्की संसार में कोई नही रोक सकता। वे इतनी सक्षम हैं कि भगवान शिव भी उनसे भिक्षा प्राप्त करते है।
शिव शरणं!

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