तीसरे विश्वयुद्ध की उर्जावाणी

पाकिस्तान सहित कुछ देश खत्म हो जाएंगे1377747287_Nuclear-war-forcetoknow.com_-780x300

हमारी दुनिया महायुद्ध के मुहाने पर है. कुछ देशाध्यक्षों द्वारा 2017 में लिये गए फैसले तीसरे विश्वयुद्ध का कारण बनने जा रहे हैं. सितम्बर के पहले हफ्ते से बिगड़ने को तैयार ब्रह्मांडीय उर्जायें कई राष्ट्राध्यक्षों की मति खराब करने वाली हैं. उनके उन्मादी फैसले विश्वयुद्ध के रूप में सामने आएंगे.


हलांकि कारण धर्म नही होगा, फिर भी तीसरा महायुद्ध दो अध्यात्मिक महाशक्तियों की अगुवाई में लड़ा जाएगा.

भारत को दुनिया निर्विवाद रूप से अध्यात्मिक महाशक्ति स्वीकारती है.

अध्यात्म की दूसरी शक्ति है चीन.

वहां के अराध्य बुद्धा भारत में जन्में. यहीं गौतम बुद्ध से भगवान बुद्ध बनें. वे चीन की आस्था का प्रबल केंद्र हैं. चीन में 91 प्रतिशत यानी लगभग 122 करोड़ से अधिक लोग बौद्ध हैं. उनके गुरुजन अध्यात्म की उर्जाओं का बेहतर उपयोग करना जानते हैं. प्राचीन काल में चीन का नाम हरिवर्ष था. ये नाम सनातन संस्कृति के राजा हरिवर्ष के नाम पर पड़ा. जम्बूद्वीप के राजा ने अपने राज्य का ये हिस्सा अपने बेटे हरिवर्ष को राज करने के लिये दिया था. इसीलिये चीन के अध्यात्म में भारत के अध्यात्म की गहरी छाप है.

इस महायुद्ध में भारत को विजय हासिल होगी.

ब्रह्मांड में महायुद्ध की उर्जाओं का ध्रुवीकरण तेजी से हो रहा है. नेकनीयती की सुनहरी रंग वाली उर्जाओं में बदनीयती की धुंवे सी काली नकारात्मक उर्जाओं की घुसपैठ जनवरी 2017 में शुरू हो गई थी. ये घुसपैठ पूर्व से पश्चिम की तरफ मु़ड़ रही है. ब्रह्मांड की उर्जाओं का आकलन करने से पता चलता है कि धुंवे सी विषैली उर्जाओं ने इन दिनों लाल उर्जाओं में भी मिलावट कर दी है. जिससे दुनिया के प्रभावशाली लोगों में अहंकार पनपेगा.

साथ ही ब्रह्मांड की सुनहरी उर्जाओं में हो रही मिलावट की गति शनै शनै बढ़ रही है. ऊर्जाओं में ये बदलाव 360 डिग्री का घुमाव एक साल में पूरा करेगा. तब तक महायुद्ध का खतरा लगातार मंडराता रहेगा. मिलावट की रफतार से लगता है अक्टूबर तक ब्रह्मांड काफी दूषित हो चुका होगा. ये मिलावट लोगों के दिमाग पर सीधा असर डालने वाली है. इनके प्रभाव से अच्छे लोग भी विपरीत फैसलों की तरफ प्रेरित होते हैं.

ये ब्रह्मांडीय बदलाव दुनिया के प्रभावशाली शासकों की सोच भी प्रभावित करेगा. उनमें कई शासक गलत फैसलों के शिकार हो जाएंगे. इसी कड़ी में कुछ देशाध्यक्षों के निर्णय तीसरे विश्वयुद्ध का कारण बनेंगे.

खराब उर्जाओं के ध्रुवीकरण से लगता है कि तीसरे विश्वयुद्ध का केंद्र पूरब होगा. यहीं की दो अध्यात्मिक शक्तियां युद्ध की अगुवाई करेंगी. इनमें एक पक्ष भारत का होगा. जिसकी तरफ से दशकों से एक दूसरे के कट्टर शत्रु चले आ रहे रूस और अमेरिका एक साथ लड़ेंगे.

दूसरे पक्ष की अगुवाई चीन के हाथ होगी. हमें ध्यान रखना होगा कि चीन की अध्यात्मिक शक्तियां भी प्रबल हैं. इससे कोई फर्क नही पड़ता कि वे लोग क्या खाते हैं. या कि उनकी पूजा पद्धति क्या है.

हलांकि ये धार्मिक युद्ध नही होगा. फिर भी अघोषित रूप से ये युद्ध अध्यात्म के शुद्धीकरण को तय करेंगा.

इस क्रम में कट्टरपंथी धर्मों का खात्मा होगा. सिर्फ उन्हीं धर्मों का वजूद बचेगा जो लचीले हैं और दूसरों से परहेज नही करते.

हमें याद रखना चाहिये कि धर्म और अध्यात्म अलग अलग चीजें हैं.

अध्यात्म इंशानियत का पोषण करता है.

धर्म एक व्यवस्था है जो अध्यात्म को लागू कराने और संयमित जीवन जीने के लिये तैयार की जाती है.

कोई भी व्यवस्था समय के साथ संशोधित हो तो ही उपयोगी बनी रहती है. अन्यथा रूढ़िवादी हो जाती है. जिस धर्म के कट्टरपंथी समय के साथ बदलना नही चाहते. तो वे इंशानियत के लिये नुकसानदेह बनते चले जाते हैं.

तीसरे विश्वयुद्ध में जड़ता को प्राप्त कर चुके धर्म नष्ट हो जाएंगे.

युद्ध के विनाश के बाद जो दुनिया बचेगी उसमें आतंकवाद और आतंकी दोनो ही बचते नही दिख रहे.

हलांकि इंशान के प्रति इंशान के लगाव की वापसी की ये कीमत बहुत मंहगी होगी.

कई संस्कृतियां नष्ट हो जाएंगी.

कुछ देशों का वजूद खत्म हो जाएगा.

उनमें पड़ोसी पाकिस्तान भी एक होगा.

उन्माद में पाकिस्तान के शासक भारत पर परमाणु हमले की नादानी करेंगे. जवाब में रूस या अमेरिका द्वारा पाकिस्तान पर भारी हमला बोला जाएगा. जिससे पाकिस्तान दुनिया के नक्शे से गायब सा हो जाएगा. वहां की जमीन जलकर बंजर हो जाएगी. जिसमें फसलें ही नही आने वाली नश्नें भी अपंग पैदा होंगी.

पाकिस्तान के साथ कुछ इश्लामिक देशों का ध्रुवीकरण बढ़ेगा. उनमें से भी कुछ देश खत्म होते नजर आ रहे हैं. खासतौर से वे देश जहां आतंकियों को जाने अनजाने पनाह मिली है. वे देश जिनके शासक कट्टरपंथी हैं.

तीसरे विश्व युद्ध में आश्चर्यजनक रूप से कई मित्र देश शत्रु हो जाएंगे. कई शत्रु देश मित्र हो जाएंगे.

ब्रह्मांड की उर्जाओं में हो रही घातक मिलावट से संकेत मिलते हैं कि तीसरे विश्व युद्ध में बड़े पैमाने पर पानी का प्रदूषण उत्पन्न होगा. हो सकता है कुछ उन्मादी देशाध्यक्ष नदियों को रासायनिक हथियारों का शिकार बना दें.

कुछ ग्लेशियर भी टूटेंगे. उनके पिघलने से बड़ी तबाही होगी. आशंका है कि कोई उन्मादी राष्ट्राध्यक्ष बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर बमबारी करके उन्हें पिघलाने की कोशिश करें. जिसमें उनके अपने देश के भी तमाम हिस्से बह जाएंगे.

परमाणु बम की तबाही से सभी परिचित हैं. इस युद्ध में इनका उपयोग होने से रोका नही जा सकता. जहां परमाणु बम गिरेंगे वहां कई किलोमीटर तक सब कुछ सेकेंडों में जलकर भस्म हो जाएगा. पलक झपकने से पहले जो इमारत आसमान चूमती नजर आ रही थी, पलक झपकने के बाद वह राख के ढेर में ढहती नजर आएगी.
तीसरे विश्वयुद्ध में सेटेलाइट साइबर हमला होगा. जिसमें दुनिया भर के कम्यूटर प्रभावित होंगे. इंटरनेट से चलने वाली हर चीज बंद हो जाएगी. इसका प्रभाव बहुत व्यापक होगा. लोगों के हाथ में पकड़े मोबाइल अचानक बंद हो जाएंगे. सड़क पर चलती गाड़ियां, पटरी पर दौड़ती ट्रेन जाम हो जाएंगी. हवा में उड़ते प्लेन बेकाबू हो जाएंगे. कम्प्यूटर, लेपटाप, टैब, टी.वी., फ्रिज सहित वे सभी उपकरण बंद हो जाएंगे जो इलेक्ट्रानिक प्रोग्रामिंग से चलते हैं. बिजली की सप्लाई ठप हो जाएगी. ट्रेन, बसों, कारों, बाइक में लगे इलेक्ट्रानिक इंजन बंद हो जाएंगे. ट्राफिक सिग्नल बंद हो जाएंगे. बैंक, आफिस, कारखाने ठप पड़ जाएंगे.

इसी क्रम में फाइटर प्लेन और मिसाइलों को भी ठप किया जा सकता है.

सेटेलाइट साइबर हमला दुनिया को दोबारा बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी के युग में पहुंचा देगा.

इसी कारण हिंदु धर्म के आठवे अवतार कलि अवतार को घोड़े पर दिखाया गया है. क्योंकि तब तक मशीनों से चलने वाले वाहन नष्ट हो चुके होंगे.

भगवान शिव इंशानों की रक्षा करें, यही हमारी कामना है.

हर हर महादेव

(एनर्जी गुरु श्री राकेश आचार्या जी ने ब्रम्हांड की बदलती ऊर्जाओं का विश्लेषण करके भविष्य में महायुद्ध की ऊर्जा वाणी की है)

4 responses

  1. राम त्यागी | Reply

    राम राम गुरुजी, क्या इस विनाश को हम सब किसी तरह से रोक नही सकते? या ऐसा कुछ करें की हमारे देश मे विनाश न हो या बहुत कम हो,🙏🏼🙏🏼

  2. Sir Bilkul Sahi Vo rahenge to janglo m ghane trees m honge. Radiation Waha nahi pahuchega shyad, fir nahi shuruwat……

  3. Ye toh bhut darane vali bhavisyavani h, ye hoga kab? Etni jaldi dunia katam hone ke bare me toh gita me nahi likha. Usme toh kali avtar lakho varsh bad likha h.

  4. Kya ye youdh roka nhi ja sakta..itni spiritually powerful log he to iska prabhav control nhi kiya ja sakta.. Namah shivay..🙏

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