7 अगस्त 17.
चंद्र ग्रहण. मंत्र सिद्धी का दिन.
अबकी ग्रहण पर त्रयक्षरी मृत्युंजय मंत्र *ऊं. ह्रौं जूं सः* को सिद्ध कर लें. ये आपको तन से, मन से, धन से स्वस्थ, सुखी और सुरक्षित बनाएगा.
इस चंद्र ग्रहण का असर सभी पर पड़ने वाला है.
उससे बचने के लिये ग्रहण के दौरान किसी की आलोचना न करें. सम्भव हो तो मौन रखें. इससे ग्रहण से उत्पन्न नकारात्मक विकिरण का दुष्प्रभाव नही होगा.
*ज्योतिष का कोई प्रिडेक्शन आपको डरा रहा है तो घबरायें नहीं*.
किसी भी ग्रह, राशि के व्यक्ति हैं, ग्रहण के दौरान मौन रखते हैं. किसी की आलोचना न करें. नकारात्मक बातें न करें. नकारात्मक न सोचें. तो आपका बाल भी बाका नही होने वाला. अगले दिन अन्न दान करें तो पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे.
ग्रहण का विकिरण हमेशा नुकसान ही करेगा एेसा बिल्कुल नही है, मगर ये बड़े नुकसान का कारण बन सकता है, इससे इन्कार नही किया जा सकता. इसीलिये अध्यात्म का विज्ञान ग्रहण के समय सतर्कता पर जोर देता है.
कल ग्रहण रात 10.53 बजे से 12.55 बजे तक लगेगा. जो लोग गहराई से ग्रहण का विचार करना चाहते हैं वे सूतक का भी ध्यान रखते हैं. ग्रहण का सूतक दोपहर 1.53 बजे से लग जाएगा.
ग्रहण को लेकर आधुनिक विज्ञान का निष्कर्ष बड़ा हास्यास्पद होता है. उसके मुताबिक ग्रहण एक साधारण घटना है. उसका किसी पर कोई असर नही पड़ता.
ब्रह्मांड में घटने वाली इतनी बड़ी घटना का किसी पर कोई असर नही पड़ता, एेसा तभी कहा जा सकता है जब घटना की बारीकियों की पूरी जानकारी न हो. दरअसल वैज्ञानिक ग्रहों से आने वाले प्रकाश को ही जानते हैं, उनके विकिरण *रेडिीएशन* की तरफ उनका ध्यान ही नही. जो ग्रहण के दौरान सीधे प्रभावित होता है.
इसके प्रभाव को समझना चाहें तो दो गिलास कच्चा दूध लें. एक को ग्रहण के दौरान खुले में रखें. दूसरे के गिलास पर गेरू का गाढ़ा लेप लगाकर रखें. (गेरू के तत्व ग्रहण के विकिरण को अप्रभावी बनाते हैं). ग्रहण का सूतक खत्म होने तक उसे वहीं रखा रहने दें. उसके बाद दोनो गिलास के दूध का गहन वैज्ञानिक परीक्षण करें. पता चल जाएगा दूध के अवयेव में क्या बदलाव आया.
अभी हम यहां विज्ञान की समझदारी या नासमझी पर बात नही कर रहे.
लेकिन ये सबसे ज्यादा जरूरी है कि ग्रहण के नाम पर खुद को ठगे जाने से बचायें.
ग्रहण की नकारात्मक उर्जाओं से बचने का सर्वाधिक असरदार तरीका खुद को सकारात्मक बनाये रखने का है. इसीलिये ग्रहण के समय शुद्धता और देव आराधना पर जोर दिया जाता है. विकिरण का प्रभाव अधिक संवेदनशील वस्तुओं पर ज्यादा होता है. खाने पीने की चीजें अधिक संवेदनशील होती हैं. इसीलिये ग्रहण के समय कुछ भी न खाने की सलाह दी जाती है.
अध्यात्म विज्ञान ग्रहण का लाभ उठाने की भी सलाह देता है.
उस समय ब्रह्मांड में अध्यात्मिक उर्जाओं की आवृत्ति विस्तारित होती है. जिसका लाभ उठाने के लिये मंत्र सिद्धी की जाती है.
यदि कोई मंत्र सालों जपने के बाद भी सिद्ध नही हो रहा है तो भी ग्रहण के समय उसके सिद्ध होने की सम्भावना कई गुना बढ़ जाती है.
अबकी ग्रहण पर त्रयक्षरी मृत्युंजय मंत्र *ऊं. ह्रौं जूं सः* को सिद्ध कर लें. ये आपको तन से, मन से, धन से स्वस्थ, सुखी और सुरक्षित बनाएगा.
ग्रहण के समय इसे बिना माला मानसिक रूप से कम से कम 20 मिनट जपें. अधिक भी जप सकते हैं.
मन्त्र सिद्धि के लिये ग्रहण शुरू होने से समाप्त होने तक लगातार जाप करें. उससे पहले भगवान शिव को साधना का साक्षी जरूर बना लें.
इस विधि से कोई भी मन्त्र सिद्ध कर सकते हैं.
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.
हर हर महादेव.