30 मई 2016
मेरी कुंडली आरोहण साधना… 13
… तब कुंडली साधक को बरबाद कर डालती है.
प्रणाम मै शिवांशु
हमारे गुरुदेव ऊर्जा नायक महाराज अपने आध्यात्मिक मित्र तुल्सीयायन महाराज के 44 शिष्यों को कुंडली शक्ति विज्ञान की जानकारी दे रहे थे. उन्होंने विस्तार से बताया कि सांसारिक जीवन जी रहे लोगों की तुलना में सन्यासियों की कुंडली का जागरण क्यों अधिक मुश्किल होता है.
अब आगे…
सन्यासी कुंडली जागरण के लिए प्राकृतिक राह पर चलने की बजाय विभिन्न तरह की साधनाओं का सहारा लेते हैं। जो इस काम के लिये लंबा और कम सफलताओं वाला रास्ता है. लेकिन कुंडली विज्ञान का तकनीकी पक्ष न पता होने के कारण साधू, सन्यासी इसी डगर पर चलते रहते हैं.
हमारे समाज में नकलची हर जगह सक्रिय हैं. गुरुदेव ने आगे की जानकारी देते हुए बताया. अध्यात्म में भी नकलचियों की कमी नही. खासतौर से लोग साधू सन्यासियों द्वारा की जाने वाली क्रियाओं, गतिविधियों की नकल कुछ ज्यादा ही करते हैं. क्योंकि एक आम धारणा है कि पूजा पाठ, ध्यान, योग, साधना में साधू सन्यासियों को महारत हासिल है, सो वे जो करते हैं वो ठीक ही होता है.
जबकि सच्चाई ये नही है.
सभी साधू सन्यासी ध्यान, योग, साधना, पूजा पाठ में पारंगत नही होते. वे तो खुद ही इनकी सटीक जानकारी के लिए गुरुओं के दर पर सालों भटकते रहते हैं.
हाँ वे अपनी लग्न के पक्के होते हैं. उनके जीवन में तनाव कम होने के कारण उनमें धैर्य अधिक होता है. सो एक बार उन्हें पता चल जाये कि फला व्यक्ति से उन्हें साधना सिद्धि की सटीक जानकारी मिल सकती है तो वे उसका पीछा नही छोड़ते. कई बार तो वे उनसे जानने, सीखने के लिये सालों इंतजार करते हैं. मै कई ऐसे सन्यासियों को जानता हूँ जो साधना सिद्धि के लिये अपने मार्गदर्शक की हाँ का 20 साल से इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें पता है कि अध्यात्म के रहस्यों को ठीक से जानने और सफल साधनाएं कराने वालों की बहुत कमी होती है.
साधू सन्यासियों में सामान्य साधकों की तुलना में साधनाओं सिद्धियों के लिये उतावलापन कम होता है. वे सिद्ध साधना कराने वालों की हाँ का जवाब पाने के लिये महीनों, सालों यहां तक कि जन्मों तक इंतजार का धैर्य रखते हैं. क्योकि सिद्धि ही तो उनकी कमाई है.
एक और खास बात. प्रायः सन्यासी किताबें पढ़कर साधनाएं नही करते. वे सिद्ध मार्गदर्शक के सनिग्ध में ही साधनाएं करते हैं. वे साधनाओं की विफलता से घबराते भी नही हैं. क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि जो सिद्ध है वो उनको भी सिद्धि दिला ही देगा. अपने गुरु के कहने पर वे कई कई साल खुद को साधना के लायक बनाने में समय खर्च करते हैं. वे बार बार अपना गुरु नही बदलते. साधू, सन्यासी अपने गुरुओं से कभी कोई सवाल नही करते. जो उनके गुरु ने बता दिया, वे आँख बन्द करके उसी रास्ते पर चल पड़ते हैं.
फिर भी उनका कुंडली जागरण भौतिक संसार में जीने वालों की तुलना में देर से होता है. क्योंकि वे कुंडली विज्ञान का प्राकृतिक तरीका नही जानते. उन्हें नही पता कि नियमित शारीरिक और मानसिक श्रम करने से कुंडली खुद ही जाग जाती है. उनके पास शारीरिक और मानसिक श्रम करने के मौके भी कम होते हैं.
सो वे योग, मुद्राओं, साधनाओं, बंध, नाड़ियों, जाप व् अन्य आध्यात्मिक क्रियाओं का सहारा लेते हैं. उनके पास उपलब्ध जानकारियों के मुताबिक कुंडली जागरण के यही श्रेष्ठ साधन हैं. ऐसा नही है कि ये साधन हर बार फेल ही हो जाते हैं. कई साधक इसमें सफल भी होते हैं. बल्कि ये कहने में कोई संसय नही कि युगों युगों से साधक इन्हें अपना रहे हैं. मगर इनमे समय और संयम बहुत लगाना पड़ता है. कलयुग में लोगों के पास संयम की कमी हैं.
कुंडली जागरण साधनाओं के लिये बहुत जरूरी है कि साधक के ऊर्जा चक्र पूरी तरह सक्रिय हों. अगर उनमें नकारात्मक या बीमार ऊर्जाओं का जमाव हुआ तो चक्र का भेदन करते ही कुंडली के पथ भ्रष्ट होने का खतरा रहता है.
गुरुदेव ने कुंडली साधना के खतरों के बारे में बताना शुरू किया. पथ भ्रष्ट कुंडली साधक के विनाश का कारण बनती है. दरअसल प्रकृति ने कुंडली शक्ति में नकारात्मक ऊर्जाओं के साथ काम करने का फीचर डाला ही नही है. सो गंदी या बीमार ऊर्जा वाले चक्र पर पहुँचते ही इसका व्यवहार अनियंत्रित हो जाता है.
इसे ऐसे समझें जैसे कम्प्यूटर में वायरस फ़ैल गया हो.
इस दशा में तमाम लोगों का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है. वे बेतुकी गतिविधियाँ करने लगते हैं. कुछ तो बहुत उग्र हो जाते हैं. ऐसा बिहैव करते हैं जैसे उन पर प्रेत चढ़ गया हो.
कालान्तर में ऐसे साधक अपनी योग्यताओं, क्षमताओं का उपयोग नही कर पाते. वे भारी आर्थिक संकट में फंस जाते हैं. उनकी सभी योजनाएं फेल होने लगती हैं. रिश्ते टूटने लगते हैं. ऐसी बीमारियां घेर लेती हैं जिनके कारण ही समझ में नही आते. वे इधर उधर मारे मारे घूमते हैं. उनकी ऊर्जाओं में हर समय विस्फोट होता रहता हैं. जिससे वे बेहाल हो जाते हैं. उनकी दशा न डॉ की समझ में आती है और न गुरु की.
कई गुरुओं को मैंने कुंडली बिगड़ जाने पर अपने शिष्यों को भटकने के लिए छोड़ते देखा है. गुरुदेव ने बताया. दरअसल वे समझ ही नही पाते हैं कि करें तो क्या करें! क्योंकि ऐसी साधनाएं, क्लासेस ऑर्गनाइज करने वाले अधिकांश गुरुओं, मास्टरों को पता ही नही होता कि बिगड़ी कुंडली शक्ति पर काबू कैसे पाया जाये. वे तो बस थोड़े से निजी लाभ के लिये बिच्छू का मन्त्र जाने बिना सांप के बिल में हाथ डालने जैसा काम कर रहे होते हैं.
एक लाइन में कहा जाये तो कुंडली का बिगड़ जाना भयानक दुर्भाग्य होता है.
सो कुंडली जागरण साधना कराने से पहले साधकों की पात्रता परखना बहुत जरूरी होता है. ताकि गड़बड़ी होने की गुंजाइश न रहे. यदि फिर भी गड़बड़ हो जाये तो उसे संभाला जा सके.
गुरुदेव ने बताया कि ऐसी दशा में सबसे पहले बिगड़ी कुंडली शक्ति की प्रोग्रामिंग करके उसे फिक्स कर देना चाहिये. उसे तत्काल सातवें सुरक्षा चक्र के भीतर सीमांकित कर देना चाहिये.
यदि साधक पर पागलपन के लक्षण नजर आने शुरू हो गए हों तो तुरन्त मानसिक चिकित्सक की मदद भी लें. उनकी राय पर दवाएं देकर मस्तिष्क का शिथिलीकरण कराना काफी सुरक्षित होता है.
साथ ही जहां कुंडली बिगड़ी है उस चक्र को और उसके आगे वाले चक्र को लगातार तब तक उपचारित किया जाये, जब तक साधक सामान्य न हो जाये. हो सकता है उसे सामान्य होने में कुछ महीने या साल लगें. उसके जीवन को बचाने के लिये धैर्य के साथ चक्रों को उपचारित करते ही रहें. किसी भी हालत में उपचार बीच में रुकने न पाये.
भविष्य में ऐसे साधक को कुंडली जागरण की साधना से सदैव दूर रखा जाना चाहिये. अगर बहुत जरूरी हो तो उसकी कुंडली जागरण के लिये शारीरक, मानसिक श्रम की प्राकृतिक तकनीक ही अपनाएं. उससे पहले साधक के सभी चक्रों को व्यवस्थित करना न भूलें.
गुरुदेव की बातें सुनकर हम सबकी बोलती बंद हो गयी. जिसे हम दुनिया जीत लेने वाली मुफ़्त की ताकत समझ रहे थे, वो तो विनाश की परछाई भी निकली.
आगे गुरुदेव ने उन साधकों के बारे में बताया जो नकलची होते हैं. किसी को देखकर या किताबों में पढ़कर साधनाएं करने बैठ जाते हैं. उनका जीवन तो बड़े ही खतरे में रहता है.
कैसे? ये मै आगे बताऊंगा.
क्रमश: …
सत्यम शिवम् सुंदरम
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.
Nice very nice,Ram ram guruji,bahut rochak jankari,Guruji kya aap meri kundali jagrit kar sakte ho
Very important information for everyone human