गुरुवर की गहन साधना आरम्भ

प्रणाम मै शिवांशु
साधकों के सामूहिक कुंडली आरोहण के लिये गुरुदेव ने आज भोर में गहन साधना शुरू कर दी. वे 19 जुलाई 2016 को गुरु पूर्णिमा के असवर पर उच्च साधकों के कुण्डली आरोहण के लिये शक्तिपात करेंगे. उनकी गहन साधना उसी सामूहिक शक्तिपात की तैयारी है. जिसके लिये वे हर दिन लगभग 14 घंटे साधना करेंगे. क्योंकि कुण्डली आरोहण के लिये किये जाने वाले शक्तिपात में विशाल उर्जाओं की जरूरत पड़ती है. ताकि साधकों के उर्जा चक्रों को शोधित व उर्जित करके उन्हें कुण्डली शक्ति को धारण करने योग्य बनाया जा सके.
अन्यथा कुण्डली शक्ति के मूवमेंट से मानसिक विकार उत्पन्न होने का खतरा रहता है.
आगे मै आपको बताउंगा कि जब मेरा कुण्डली आरोहण हुआ तो क्या हुआ. उससे पहले मै क्या फील कर रहा था और बाद में क्या महसूस हुआ. कुण्डली जागरण के समय की अनुभूति क्या थी. गुरुवर की कड़ी निगरानी के बाद भी मुझसे एक चूक हो गई. जिससे मै विक्षिप्त होते बचा. कैसे बचाया गुरुदेव ने मुझे. फिर उन्होंने कैसे काम लेना सिखाया अपनी कुण्डली शक्ति से. कुण्डली आरोहण साधना मेरे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना कैसे बनी.
ये सब मै आगे बताउंगा. ताकि जो साधक कुण्डली आरोहण साधना में शामिल होने जा रहे हैं. वे साधना के बीच आने वाले पड़ावों से परिचित हो जायें. और उनकी सफलता की सम्भावनायें बढ़ जाये.
पहले जान लेते हैं कि कुण्डली आरोहण साधना है क्या.
सभी के पास कुण्डली शक्ति होती है, ये तो आप सब जानते ही हैं. कुण्डली जाग्रत होने से उच्चतम सफलतायें मिलती हैं. इससे भी आप परिचित हैं. इसके जागते ही व्यक्ति प्रसिद्ध होने लगता है. सोहरत और धन-समृद्धि उसके पीछे लग जाती है. उसके सोचे हुए हर काम में सफलता मिलने लगती है. कामनायें पूरी होने लगती हैं. लोगों के बीच प्रतिष्ठा बढ़ने लगती है. लोक मान्यता मिलती है. व्यक्ति अपने परिवार, समाज, देश में प्रेरणाश्रोत की तरह उभर कर सामने आता. लोग उसके बनाये या बताये रास्ते पर चलने लगते हैं.
अध्यात्म से जुड़े विद्वान मानते हैं कि कुण्डली जागरण से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.
कुण्डली जागरण किसी भी व्यक्ति के जीवन की अत्यधिक महत्वपूर्ण घटना है. इसके लिये लाखों लोग जीवन भर साधनायें करते हैं. मगर साधना या ध्यान के जरिये कुण्डली जागरण की राह थोड़ी लम्बी है.
अगर किसी सक्षम गुरु के शक्तिपात से इसे जाग्रत किया जाये तो ये उतना ही आसान है जितना चावी घुमाकर गाड़ी स्टार्ट करना. बशर्ते चावी सही हो और उसे सही तरीके से ही घुमाया जाये. एेसा सक्षम गुरु ही कर सकता है.
कुण्डली के जाग्रत हो जाने मात्र से ही सारी उपलब्धियां नही मिल जाती. जरूरी है कि इससे काम लिया जाये. वैसे तो हर उस व्यक्ति की कुण्डली प्राकृतिक रूप से जाग्रत होती है जो शारीरिक और मानसिक श्रम बराबर अनुपात में करते हैं. मगर उन्हें पता ही नही होता कि उनकी कुण्डली जाग्रत है. एेसे में वे उससे काम ही नही ले पाते. इस कारण कुछ समय बाद कुण्डली पुनः शिथिल हो जाती है. क्योंकि हम अपने शरीर ( स्थुल या सूक्ष्म) के जिन अंगों से काम नही लेते वो निष्क्रिय होते जाते हैं. कुण्डली हमारे सूक्ष्म शरीर का एक अंग है.
कुण्डली को जाग्रत करके उससे काम लेते हुए उसे मूलाधार चक्र से सहस्रार चक्र की तरफ ले जाने को कुण्डली आरोहण साधना कहते हैं.
गुरुदेव 19 जुलाई को गुरु पूर्णिमा में आने वाले उच्च साधकों को यही साधना कराने की तैयारी कर रहे हैं.
आगे मै आपको बताउंजा कि जब मैने कुण्डली आरोहण साधना की तो मेरे साथ क्या क्या हुआ.
…. क्रमशः ।
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.
जो साधक कुण्डली आरोहण साधना में सामिल होना चाहते हैं वे अपनी पात्रता परीक्षण के लिये +91 9999945010, +91 9210500800 पर काल या whatsapp के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं.
जिनके आभामंडल और उर्जा चक्रों की स्थिति उच्च साधना के अनुकूल होगी उन्हीं को कुण्डली आरोहण साधना में सामिल किया जाएगा. काफी समय से उच्च साधनाओं से जुड़े होने के कारण इस साधना में हमारे फेसबुक के शिव साधक ग्रुप और संजीवनी उपचारक ग्रुप से जुड़े साधकों को प्राथमिकता दिये जाने का निर्णय लिया गया है.
इस साधना की अधिक जानकारी के लिये आप हमारे शिव चर्चा ग्रुप को ज्वाइन कर सकते हैं.
उसका लिंक नीचे दे रहा हूं.