whatsapp के शिव साधिका और शिव साधक ग्रुप में से 21 लोगों को आज गुरु जी के साथ दिल्ली आश्रम में यक्षिणी साधना करने का सुअवसर मिला. उन सब को मेरी शुभकामनायें
इस साधना में जुड़ते ही आप लोग खास साधकों की श्रेणी में आ गये हैं. अब आपको साधना के तमाम गुप्त रहस्यों को जानने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा. वे रहस्य जो सामान्य साधकों को नहीं बताये जा सकते. इसके लिये मै आज ही साधना रहस्य के नाम से एक नया ग्रुप बना रहा हूं. जिसमें आपको शामिल किया जाएगा.
उसके लिए आप मेरे नं. पर अपने रिक्वेस्ट सेंड कर दें. साथ ही यक्षिणी साधना में आपको जो साधक कोड मिला है उसे भी लिखें. जिनके पास साधक कोड है उन्हें ही इस ग्रुप में शामिल किया जाएगा.
इस ग्रुप में बतायी जाने वाली बातें और साधना रहस्य नितांत गुप्त होंगे. उन्हें आप किसी के साथ शेयर नहीं कर सकते. जो एेसा करते मिले उन्हें उसी क्षण ग्रुप से हटा दिया जाएगा.
एेसी साधनाओं के सभी निर्देश आपको उसी ग्रुप में प्राप्त होंगे.
सच कहूं तो आप सोच भी नहीं सकते कि आप कितने भाग्यशाली हैं.
आपको अन्दाजा भी नहीं होगा कि आप गुरुवर के दिल के कितने करीब हैं. बस इससे अनुमान लगाइये कि मुझे इस साधना का अवसर गुरुदेव ने 9 साल के इंतजार के बाद दिया था.
मै दावे से कह सकता हूं कि आपका गुरुवर के साथ कई जन्मों का नाता है. जिसके कारण आपको यह अवसर 1 साल की गुरु सेवा के भीतर ही मिल गया. अब तो मुझे आप लोगों से थोड़ी जलन सी फील होने लगी है. सच में आप बहुत बहुत बहुत भाग्यशाली हैं. अगर गुरुदेव ने इस साधना से परीक्षण काल से आपको गुजारा होता तो शायद 21 में से 2 लोग ही वहां तक टिक पाते.
फिर से आपको शुभकामनायें.
इस साधना के अपने कुछ अनुभव आपके साथ शेयर कर रहा हूं. ताकि आप आज ही से साधना की महान उपलब्धियों को महसूस करना शुरू कर सकें.
जब मैने साधना शुरू की तो कुछ क्षणों बाद ही मेरे शरीर में जगह जगह इचिंग और दर्द होने लगा. एक समय एेसा आया कि लगा मै कांटीन्यूव नहीं कर सकुंगा. गुरुदेव मुझ पर नजर रखे थे. शायद उन्हें मुझे पर तरस आ गया. मेरे पास आकर लौट गए. दर्द और बेचैनी गायब हो गई. पहले दिन इसके अलावा कोई खास अनुभव न हो सका.
दूसरे दिन कुछ देर बाद ही मेरे कानों में मीठी आवाज सुनाई दी. जैसे दूर कहीं से किसी सुंदरी के चलने से पायल झनक रहे हों. मै उनकी आवाज में खोने लगा तो गुरुदेव ने मेरे कंधे पर थाप देकर रोक दिया. मै समझ गया कि साधना का एक पड़ाव पार हुआ. अगर गुरुवर की कृपा न होती तो मै उसी मधुर आवाज में उलझकर रह गया होगा. उसके बाद मंद मंद सुगंध का अहसास होता रहा.
तीसरे दिन मुझे किसी ने छुआ, वे गुरुदेव नहीं थे, छुवन स्त्री वर्ग की थी. उस मीठी छुवन ने फिर मुझे मोहना शुरू कर दिया. फिर गुरुवर ने पीठ पर थाप दी. छुवन दूर हुई. तो मंद मंद सुगंध फिर आने लगी. पास में किसी सुंदरी के होने का अहसास होने लगा. मै फिर लालच में पड़ गया. उस समय रात के लगभग दो बज रहे थे. सर्दियों के दिन थे. मै पूरा गीला हो गया. क्योंकि गुरुदेव ने देवी के मोह से बाहर निकालने के लिए मुझ पर पूरा एक जग पानी उड़ेल दिया था.
कुछ देर के लिये साधना रुकी. आगे की राह कठिन हो गई. गुरुदेव के आदेश पर बिना पूरे कपड़े पहने ही दोबारा साधना शुरू करनी पड़ी. मै कांप रहा था. मन में सोच रहा था अब किसी सुंदरी की तरफ मोहित नहीं हूंगा. डर रहा था कि अबकी गड़बड़ हुई तो कहीं बाल्टी भर पानी न पड़ जाये. क्योंकि गुरुदेव ने एक बाल्टी ठण्डा पानी पास में रख लिया था.
लगभग एक घंटे बाद सामने बनी बेदी पर देवी के दर्शन हुए.
बस आपकी साधना का सफर यहीं तक है.
इसके बाद जब देवी को सामने बुलाकर बात करने की साधना करेंगे. तो आगे का अनुभव बताउंगा.
नीचे चित्रों में स्वर्ण यक्षिणी साधना करते साधक. पहले दिन ही उनके चेहरों पर दिव्यता दिखने लगी.