गुरुदेव की एकांत साधना: वृतांत…2

चौथा दिन- गुरुदेव की एकांत साधना


राम राम मै अरुण.
साधना वृतांत, 
शिवांशु जी की बुक से साभार…
वह गुरुवर की साधना का चौथा दिन था.
लगभग 61 घंटे की अखंड साधना के बाद आज सब कुछ बड़ा मनोहारी लग रहा है। गुरूदेव कुछ देर पहले ही साधना कक्ष से बाहर आये। उनके चेहरे पर बड़ी उपलब्धी और परम संतुष्टि के भाव हैं। जैसे उन्होंने कुछ मनचाहा पा लिया।

आज जब से मै साधना स्थल पर गया तब से अलग ही दुनिया महसूस कर रहा हूं। वहां प्रवेश करते ही मुझे सम्मोहित कर देने वाली सुगंध का अहसास हुआ। मै इत्र और परफ्यूम का बहुत शौकीन हूं। दुनिया के तमाम बेहतरीन परफ्यूम उपयोग कर चुका हूं। मगर एेसी सुगंध पहले कभी महसूस नहीं की। दिव्य, सम्मोहक, अवर्णनीय।
चौथे दिन भी गुरूदेव ने दूध व पानी का उपयोग नहीं किया। उसे फिर बदल दिया गया।

आज साधना स्थल पर जाते ही मुझे लगा वहां कोई और भी है। लगा जैसे किसी कोमल अंगों वाले शरीर से मै टकराया हूं। टकराने का अहसास होने के साथ ही मेरे सारे शरीर में सिहरन सी होने लगी। फिर लगा किसी ने मुझे धीरे से धक्का मारा। जैसे मेरे टकराने का बदला लिया गया हो। जैसे किसी ने हौले से धक्का मार कर कहना चाहा हो कि मुझे धक्का क्यों मारा, लो मैने भी बदला ले लिया. सिर से पांव तक मै दोबारा मीठी सिहरन का अहसास कर रहा था. लगा मेरी रीढ़ की हड्डी के सहारे कोई उर्जा कुण्डली तक उतरती चली गई.
मुझे स्पष्ट लग रहा था कि वहां कोई एेसा है जिसे मै खुली आंखों से देख नहीं पा रहा.

आज देखने से लगा कि गुरूदेव के आसन के पास लगे दूसरे आसन को भी यूज किया गया था। गुरूदेव के इशारे पर आज उसे वहां से हटा दिया गया, जैसे उसका काम पूरा हुआ।

मैने गुरूदेव से पूछा यहां कोई और भी है क्या।
वे बड़े अर्थपूर्ण ढंग से मुस्करा दिए, जैसे कह रहे हों खुद ही देख लो।
पर मै अपनी सामान्य आंखों से कुछ भी देख नहीं पाया। तब से मन में जबरदस्त जिज्ञासा और बेचैनी है।
गुरुदेव अक्सर कहा करते हैं कि अतिरिक्त जिज्ञासा भी पीड़ा देती है। आज से पहले मै सोचा करता था जिज्ञासा तो मन को संतुष्ट करने का परिणाम लेकर आती है। मगर आज उपरोक्त रहस्य जानने की छटपटाहट के कारण मै बेचैनी भरी पीड़ा ही महसूस कर रहा हूं। जबकि बाकी सब लोग गुरूदेव को रिलैक्स भाव में पाकर बहुत खुश हैं।
आज बाहर आकर गुरूदेव ने अपनी छोटी बेटी के हाथ से थोड़ा पानी पिया। बिटिया ने उन्हें तरबूज खिलाना चाहा तो उसकी एक बाइट खा भी ली। छोटी बिटिया से कुछ देर बात भीकी। गुरूमइया आज किसी आवश्यक कार्य से रायपुर जा रही हैं, शायद बेटी से इसी बारे में बतियाये हों।
उनकी एकांत साधना जारी रहेगी।
गुरूदेव ने साधना स्थल बदलने के निर्देश दिए हैं। अब वे हर दिन सिर्फ 10 घंटे ही साधनाकरेंगे। वह भी अपने भवन के नियमित पूजा स्थल में।
आज उन्होंने whatsapp पर आये मैसेज भी पढ़े.
उसके बाद विश्राम के लिए चले गए.
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् ।
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.

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