गणेश चतुर्थी की उर्जाओं के बीच सिद्ध हुए एक सूंड वाले गणपति रुद्राक्ष अलौकिक सकारात्मक उर्जाओं के भंडार बन जाते हैं। ये दैवीय उर्जा ग्रिड की तरह काम करते हैं। इनका उपयोग करके साधक अपना और दूसरों का जीवन बदल देते हैं। इन्हें जो धारण करे उसके आभामंडल उर्जा चक्रों में रिद्धि-सिद्धि की उर्जायें जाग जाती हैं। इन्हें जहां स्थापित किया जाये वहां की उर्जाओं में सुख, समृद्धि देने वाली सकारात्मकता पैदा हो जाती हैं। नकारात्मक उर्जाएं हटती हैं। उनसे उत्पन्न विघ्न बाधायें नष्ट होती हैं। कर्म योग और पुरुषार्थ फलित होता है। पीढ़ियों तक उन्नति होती रहती है।

गणपति रुद्राक्ष को ऋषि विधान से सिद्ध करें। जिससे वे दैवीय उर्जा ग्रिड की तरह सक्रिय हो जाते हैं। उनकी उर्जायें प्राप्त करके अध्यात्मिक विद्वान न सिर्फ समस्याओं की नकारात्मक उर्जाओं को खत्म कर लेते हैं। बल्कि मनोकामनायें पूरी करने वाली सकारात्मक उर्जाओं का उपयोग करके अपने व दूसरों के जीवन को बदल लेते हैं।
एनर्जी गुरू श्री राकेश आचार्या जी को गणपति रुद्राक्ष सिद्ध करने का ऋषि विधान हिमालय साधना के दौरान सिद्ध संतों से मिला। कोई भी उसे अपनाकर रुद्राक्ष को सिद्ध कर सकता है। खुद न कर सकें तो किसी सक्षम विद्वान से सिद्ध करा लें। चाहें तो मृत्युंजय योग संस्थान से सिद्ध करा सकते हैं।
गणपति रुद्राक्ष सिद्धि लिंक…
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सिद्ध गणेश रुद्राक्ष को घर के मंदिर या लाँकर में स्थापित करें। जिनके कारोबार ठीक नही चल पा रहे। बार बार नहां विघ्न बाधायें आती हैं। वाद, विवाद पैदा होता है। घाटा होता जा रहा है। वे लोग सिद्ध गणपति रुद्राक्ष को अपने कामकाज के प्रतिष्ठान के लाँकर में स्थापित करें।
जो उच्च साधनायें करना चाहते हैं वे इन्हें धारण कर सकते हैं।
विधि विधान से सिद्ध हुए गणेश रुद्राक्ष देवी देवताओं की उर्जा ग्रिड की तरह ब्रह्मांड की सभी तरह की सकारात्मक उर्जाओं को देने में सक्षम होते हैं। ये रुद्राक्ष तीसरे नेत्र और आज्ञा चक्र को प्राकृतिक रूप से उपचारित करते हैं। जिससे पढ़ा हुआ याद होता है। सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता उत्पन्न होती है। बच्चों के पढ़ाई वाले रूम में स्थापित करने से उनकी एकाग्रता बढ़ती है। पढ़ाई का स्तर सुधरता है।
आर्थिक दबाव और कर्ज के तनाव से मुक्ति के लिये गणेश रुद्राक्ष को बहुत उपयोगी पाया गया है। इसके लिये आगे दी साधना विधि अपनायें।
ऋण मोचन मंत्र- सदैव पार्वती-पुत्रः ऋण-नाशं करोतु मे
साधना विधान
सिद्ध हुए गणेश रूद्राक्ष को किसी साफ बर्तन में रखें. उस पर सात तिनके दूर्वा घास के चढ़ायें. उसके समक्ष बैठकर मंत्र जाप करें. मंत्र जप के समय मुह पूर्व की दिशा में रहना चाहिये. मंत्र 10 मिनट रोज जपें. जप का समय पूरा होने पर रुद्राक्ष घर के मंदिर या लाँकर में रख दें. अगले दिन दूर्वा घर के बाहर के किसी मंदिर में गणेश प्रतिमा पर चढ़ा दें. रुद्राक्ष के साथ नई दूर्वा रखें.
संकल्प…
रुद्राक्ष के समक्ष बैठें। श्री गणेशाय नमः बोलें। फिर संकल्प लें। हर दिन ये संकल्प बोलकर मंत्र जप करें।
1. ऋण विनाशक गणेश जी से साधना स्वीकारने का आग्रह करें। कहें- हे गौरीनंदन गणपति भगवान मै देवाधिदेव महादेव को साक्षी बनाकर आपका ऋण मोचन अनुष्ठान कर रहा हूं. इसे स्वीकार करें, साकार करें.
आपका धन्यवाद.
2. देवों के देव महादेव को साक्षी बनायें। कहें- हे देवाधि देव महादेव मै आपको साक्षी बनाकर गणेश ऋण मोचन अनुष्ठान का अनुसंधान कर रहा हूं. मेरे द्वारा किया जा रहा अनुष्ठान शुद्ध, सिद्ध और सुफल हो, इस हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें. आपका धन्यवाद.
3. मंत्र से सिद्धि का आग्रह करें। कहें- हे दिव्य मंत्र
*सदैव पार्वती-पुत्रः ऋण-नाशं करोतु मे*
आप मेरी भावनाओं के साथ जुड़कर मेरे लिये सिद्ध हो जायें। मेरे जीवन को ऋण मोचन सिद्धी की उर्जाओं से परिपूर्ण करें.
आपका धन्यवाद
4. सिद्ध गणेश रुद्राक्ष से उर्जा कनेक्टिविटी का आग्रह करें। कहें- हे दिव्य सिद्ध गणेश रुद्राक्ष आपको मेरे लिये सिद्ध किया गया है। आप मेरी भावनाओं के साथ जुड़कर मेरे लिये सदैव सिद्ध बने रहें। ब्रह्मांड से रिद्धि-सिद्धि-समृद्धि की उर्जाओं को ग्रहण करके उन्हें मेरे आभामंडल में स्थापित करें। उर्जा चक्रों में स्थापित करें। मुझे मेरे गुरूदेव के चरणों से जोड़कर रखते हुए मेरे आभामंडल को ऋण मोचक गौरीनंदल गणेश के आभामंडल के साथ जोड़ दें। मुझे ऋण और आर्थिक समस्याओं से मुक्त रखें। सदैव सुख समृद्धि से परिपूर्ण रखें।
आपका धन्यावाद।
5. अपने उर्जा चक्रों से सिद्धि के लिये सक्रियता का आग्रह करें। कहें- मेरे दिव्य मूलाधार चक्र और आज्ञा चक्र सहित सभी शक्ति केंद्रों आप मेरे द्वारा की जा रही ऋण मोचन साधना की दैवीय उर्जाओं को अपने भीतर स्थापित करें. अपनी सभी पंखुडियों को दिव्यता प्रदान करके जाग्रत हो जायें. मेरे जीवन में समृद्धी और सम्मान का जागरण करें.
आपका धन्यवाद.