[काबिलियत, मेहनत, लगन, ईमानदारी और बहुत अच्छे ग्रह नक्षत्रों के बाद भी वास्तु की बिगड़ी ऊर्जाएं लोगों को आगे नहीं बढ़ने देतीं।
जिस काम से दूसरे लोगों की सफलताएं आसमान छूने लगती हैं। उसी काम में वास्तु दोष से पीड़ित लोग सारी जिंदगी संघर्ष करते रह जाते हैं। कर्ज, मर्ज, कलह उनका पीछा नहीं छोड़ते।]
वास्तु दोष की नकारात्मक ऊर्जाएं हर पल प्रभावित करती हैं।
काबिलियत, मेहनत, लगन, ईमानदारी और बहुत अच्छे ग्रह नक्षत्रों के बाद भी वास्तु की बिगड़ी ऊर्जाएं लोगों को आगे नहीं बढ़ने देतीं।
जिस काम से दूसरे लोगों की सफलताएं आसमान छूने लगती हैं। उसी काम में खराब वास्तु में रहने वाले लोग सारी जिंदगी संघर्ष करते रह जाते हैं।
दूसरों की तुलना में वे मान, सम्मान, धन, संपत्ति, वैवाहिक सुख, संतान सुख, स्वास्थ सुख में पिछड़े रहते हैं।
उनके लिए कर्ज, मर्ज, कलह से छुटकारा मिलना नामुमकिन सा होता है।
वास्तु शास्त्र में अधिकांश उपाय घर में तोड़फोड़ के होते हैं। जो सबके वश की बात नहीं। घर में तोड़फोड़ से भी सब ठीक हो जाए, ऐसा जरूरी नहीं।
दरअसल वास्तु दोष से घर/कार्यस्थल की ऊर्जाएं बिगड़ती हैं।
वास्तु की बिगड़ी ऊर्जाएं वहां रहने/काम करने वाले लोगों के आभामंडल, ऊर्जा चक्रों की ऊर्जाओं को बिगाड़ देती हैं।
ऊर्जाओं का यह बिगाड़ कर्ज, मर्ज, कलह सहित सभी तरह की पीड़ा और परेशानी पैदा करता हैं।
पूरे के पूरे परिवार जीवन भर संघर्ष में जूझते रहते हैं।
वास्तु की बिगड़ी ऊर्जाओं को ठीक कर लिया जाए तो बिना तोड़फोड़ या मंहगे उपायों के लोगों के जीवन को सुधारा जा सकता है, संवारा जा सकता है।
वास्तु ऊर्जा वर्कशॉप में वास्तु की बिगड़ी ऊर्जाओं को ठीक करने की टेक्निक सिखाई जाएगी।
जिसके जानकार लोग अपने और दूसरों के घर/कार्यस्थल की ऊर्जाओं को ठीक करके लोगों का जीवन सुधारने में सक्षम होते हैं।
वास्तु एनर्जी वर्कशॉप के विषय
1. घर में बिना तोड़फोड़ वास्तु दोष ऊर्जा निवारण टेक्निक
2. दक्षिण मुखी वास्तु दोष निवारण ऊर्जा टेक्निक
3. पश्चिम मुखी वास्तु दोष निवारण ऊर्जा टेक्निक
4. ईशान कोण ट्वायलेट दोष निवारण ऊर्जा टेक्निक
5. ब्रह्म स्थान कूप दोष निवारण ऊर्जा टेक्निक
6. सिंह मुखी ग्रह दोष निवारण ऊर्जा टेक्निक
7. कार्यस्थल-कामकाज दोष निवारण टेक्निक
8. ग्रह कलह निवारण के लिए घर में गुलाबी ऊर्जाओं से औरिक पेंटिंग की टेक्निक
9. परिवार के लिये मुसीबत बनी अवांछित उर्जाओं को डिफ्यूज करने की टेकनिक
10. घर-कार्यस्थल में सुख,समृद्धि,सुरक्षा देने वाली ऊर्जाओं की स्थापना की टेक्निक

वास्तु दोष की ऊर्जाओं का पता लगाएं
आमतौर पर बने हुए मकान की स्थिति को देखकर पता लगाया जाता है कि उसमें क्या क्या वास्तु दोष हैं। उनके क्या दुष्परिणाम होंगे। उनके मुताबिक उपाय किए जाते हैं।
किन्तु बहुत बार देखने में आता है कि बनावट के हिसाब से कोई वास्तु दोष नजर न आने के बावजूद मकान में वास्तु की बिगड़ी ऊर्जाएं होती हैं। जिनके कारण वहां रहने वाले या काम करने वाले लोग पीड़ा, परेशानियों से घिरे रहते हैं।
- एनर्जी स्कैनिंग तकनीक
वास्तु ऊर्जा तकनीक में हम मकान के वास्तु संकेतों की बजाय वहां की एनर्जी डिकोड करेंगे। इसके लिए एनर्जी स्कैनिंग तकनीक का उपयोग करेंगे। - दस दिशाओं की एनर्जी स्कैन कर वास्तु दोष का पता लगाएं
1- ब्रह्म स्थान
2- पूरब
3- पश्चिम
4- उत्तर
5- दक्षिण
6- ईशान कोण
7- अग्नि कोण
8- नैऋत्य कोण
9- वायव्य कोण
10- ऊर्ध्व ऊर्जा क्षेत्र
3. मकान में रखी चीजों से वास्तु दोष
तमाम बार देखने में आता है कि घर/कार्यस्थल में रखी कुछ चीजें वास्तु दोष पैदा कर देती हैं। जिनका पता वास्तु स्टैंडर्ड से नहीं चलता। मगर वे घर की उन्नति नहीं होने देतीं।
आपको ऊर्जा स्कैनिंग से इनका पता लगाना।
4. तंत्र दुष्प्रभाव, बिगड़ी पूजा से उत्पन्न वास्तु दोष
तंत्र, मंत्र, बिगड़ी पूजा, टोना टोटका की नकारात्मक ऊर्जाएं गंभीर वास्तु दोष उत्पन्न करती हैं। वास्तु चेक करने के मानकों से इनका पता नहीं चलता। किन्तु घर के लोगों पर उनका दुष्प्रभाव बहुत तेज होता है।
आपको ऊर्जा स्कैनिंग उनका पता लगाना है।
5. ऊपरी बाधाओं से उत्पन्न वास्तु दोष
वास्तु स्टैंडर्ड से इनका भी पता नहीं चलता। किन्तु ये भी बड़ी परेशानी का कारण बनती हैं। वास्तु दोष की ऊर्जाओं की तरह ये भी हर समय उथल पुथल मचाती हैं।
आपको ऊर्जा स्कैनिंग के द्वारा इनका पता लगाना है।
6. ऊर्जा पिरामिड और एनर्जी पेंटिंग तकनीक
स्कैन करके पीड़ा, परेशानी वाली नकारात्मक ऊर्जाओं को डिकोड करके नोट कर लें। फिर उन्हें ऊर्जा पिरामिड और ऊर्जा पेंटिंग की तकनीक से ठीक करें।
उपरोक्त तकनीक वास्तु ऊर्जा अगली ऑनलाइन वर्कशॉप में सिखाई जाएंगी।
7. निगेटिव उर्जाओं को डिफ्यूज करने की तकनीक
स्कैनिंग में मिली नकारात्मक उर्जाओं को डिफ्यूज करके वास्कु सकारात्मकता बढ़ाई जाती है। यह बहुत कारगर तकनीक है। इसे सावधानी पूर्वक सीखें और अपनायें।
वास्तु दोष की नकारात्मक ऊर्जाएं हर पल प्रभावित करती हैं।
काबिलियत, मेहनत, लगन, ईमानदारी और बहुत अच्छे ग्रह नक्षत्रों के बाद भी वास्तु की बिगड़ी ऊर्जाएं लोगों को आगे नहीं बढ़ने देतीं।
जिस काम से दूसरे लोगों की सफलताएं आसमान छूने लगती हैं। उसी काम में खराब वास्तु में रहने वाले लोग सारी जिंदगी संघर्ष करते रह जाते हैं।
दूसरों की तुलना में वे मान, सम्मान, धन, संपत्ति, वैवाहिक सुख, संतान सुख, स्वास्थ सुख में पिछड़े रहते हैं।
उनके लिए कर्ज, मर्ज, कलह से छुटकारा मिलना नामुमकिन सा होता है।
वास्तु शास्त्र में अधिकांश उपाय घर में तोड़फोड़ के होते हैं। जो सबके वश की बात नहीं। घर में तोड़फोड़ से भी सब ठीक हो जाए, ऐसा जरूरी नहीं।
दरअसल वास्तु दोष से घर/कार्यस्थल की ऊर्जाएं बिगड़ती हैं।
वास्तु की बिगड़ी ऊर्जाएं वहां रहने/काम करने वाले लोगों के आभामंडल, ऊर्जा चक्रों की ऊर्जाओं को बिगाड़ देती हैं।
ऊर्जाओं का यह बिगाड़ कर्ज, मर्ज, कलह सहित सभी तरह की पीड़ा और परेशानी पैदा करता हैं।
पूरे के पूरे परिवार जीवन भर संघर्ष में जूझते रहते हैं।
वास्तु की बिगड़ी ऊर्जाओं को ठीक कर लिया जाए तो बिना तोड़फोड़ या मंहगे उपायों के लोगों के जीवन को सुधारा जा सकता है, संवारा जा सकता है।
वास्तु ऊर्जा वर्कशॉप में वास्तु की बिगड़ी ऊर्जाओं को ठीक करने की टेक्निक सिखाई जाएगी।
जिसके जानकार लोग अपने और दूसरों के घर/कार्यस्थल की ऊर्जाओं को ठीक करके लोगों का जीवन सुधारने में सक्षम होते हैं।
वास्तु ऊर्जा वर्कशॉप हेल्पलाइनः +91 9250500800
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पूर्व मुखी घरों में वास्तु दोष होने के कई कारण हो सकते हैं
जैसे कि उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई होना, ईशान कोण में सीढ़ियां बनाना, या उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम में शौचालय का होना. इन दोषों को दूर करने के लिए वास्तु सिद्धांतों के अनुसार कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर स्थापित करना, मुख्य द्वार को खुला रखना, और घर के अंदर हल्के ठंडे रंग का उपयोग करना.
वास्तु दोष के संभावित कारण
- उत्तर-पूर्व में रसोई:वास्तु के अनुसार, उत्तर-पूर्व दिशा शुभ मानी जाती है, और यह दिशा भोजन के लिए नहीं, बल्कि पूजा और ध्यान के लिए सबसे अच्छी है.
- उत्तर-पूर्व में सीढ़ियां:ईशान कोण में सीढ़ियां बनाने से आर्थिक नुकसान हो सकता है.
- उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम में शौचालय:वास्तु के अनुसार, इन दिशाओं में शौचालय बनाना स्वास्थ्य और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
- दक्षिण दिशा की ओर ढलान:दक्षिण दिशा की ओर ढलान वाले भूखंड वास्तु दोष का कारण बन सकते हैं.
- अव्यवस्थित घर:घर को व्यवस्थित न रखने से भी वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है, क्योंकि अव्यवस्था से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
वास्तु दोष को दूर करने के उपाय:
- उत्तर-पूर्व में मंदिर:पूर्वमुखी घरों में उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर स्थापित करना शुभ माना जाता है.
- उत्तर-पूर्व में पानी की टंकी:पानी की टंकी उत्तर-पूर्व दिशा में रखने से वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है.
- मुख्य द्वार को खुला रखें:मुख्य द्वार को किसी पेड़ या अन्य बाधा से अवरुद्ध नहीं होना चाहिए.
- हलके रंग का उपयोग करें:घर के अंदर हल्के ठंडे रंगों का उपयोग करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
- उत्तर-पूर्व कोने को खुला रखें:उत्तर-पूर्व कोने को अव्यवस्था मुक्त और खुला रखने से दैवीय ऊर्जा का प्रवाह सुचारू रहता है.
- उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व में सीढ़ियां:सीढ़ियों को उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व में बनाना चाहिए, ना कि घर के बीच में.
- अव्यवस्थित चीजों को हटाएं:घर में अव्यवस्थित चीजों को हटाकर, सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुचारू कर सकते हैं.
इन उपायों को करके, आप अपने पूर्व मुखी घर में वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित कर सकते हैं
पश्चिम मुखी घर में वास्तु दोष
होने का अर्थ है कि घर की पश्चिम दिशा में कोई ऐसी कमी है जो घर के निवासियों के लिए नकारात्मक परिणाम ला सकती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, पश्चिम दिशा का स्वामी शनि और तत्व का स्वामी वरुण है। ऐसे में पश्चिम दिशा में किसी भी प्रकार का दोष होने पर व्यक्ति को कई तरह की परेशानियाँ हो सकती हैं, जैसे कि आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य समस्याएं, और परिवार में क्लेश आदि।
वास्तु दोष के लक्षण:
- आर्थिक समस्याएं:पश्चिम दिशा में दोष होने पर घर में धन नहीं टिकता है, और आर्थिक रूप से नुकसान हो सकता है।
- स्वास्थ्य समस्याएं:फेफड़ों, छाती, सांस या त्वचा संबंधी रोगों का सामना करना पड़ सकता है।
- परिवार में क्लेश:परिवार के सदस्यों के बीच अक्सर झगड़े और मतभेद हो सकते हैं।
- व्यवसाय और नौकरी पर बुरा प्रभाव:पश्चिम दिशा में दोष होने से व्यवसाय और नौकरी में भी नुकसान हो सकता है।
पश्चिममुखी घर के लिए उपाय:
- मुख्य द्वार:पश्चिममुखी घर का प्रवेश द्वार उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
- रसोईघर:रसोईघर कभी भी घर के दक्षिण-पश्चिम में नहीं होना चाहिए।
- पानी की मोटर:पानी की मोटर, पंप या बोरवेल को कभी भी घर के दक्षिण-पश्चिम में न रखें।
- पूजा कक्ष:पूजा कक्ष उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
- रंग:पश्चिम दिशा में दरवाजों व खिड़कियों पर ऐसे परदे इस्तेमाल करें जिनका रंग लाइट ग्रे या धातु के रंग का हो।
- खिड़कियाँ:पश्चिम दिशा की खिड़कियों को सुबह खोलें और दोपहर तक खोलने में कोई समस्या नहीं है।
- दीपक:घर के अंदर दक्षिण-पश्चिम दिशा में हर शाम को दीपक जलाना चाहिए।
- अशोक का पेड़:पश्चिम से दक्षिण-पश्चिम की ओर एक अशोक का पेड़ लगाना चाहिए।
- काला घोड़ा:काले घोड़े की नाल U टाइप में घर के बाहर लगानी चाहिए।
- काला कुत्ता:घर में एक काला कुत्ता पालना चाहिए या सड़क के किसी भी काले कुत्ते की सेवा करनी चाहिए।
अन्य उपाय:
- नकारात्मक ऊर्जा को दूर करें: घर के मुख्य द्वार पर नमक का एक छोटा सा उपाय करें।
- घर के मुख्य दरवाजे के पायदान के नीचे रखें: ये 3 चीजें, आने लगेगा पैसा।
- घर के मुख्य द्वार पर कूड़ादान न रखें: इससे नेगेटिव एनर्जी आती है।
- पूजा का सामान सही दिशा में रखें: वास्तु के अनुसार पूजा का सामान किस दिशा में भूलकर भी नहीं रखना चाहिए?
ध्यान रखें:
- पश्चिम दिशा में शनि का प्रभाव होने के कारण इस दिशा में बैठकर कार्य करना, सोना, या पश्चिम दिशा की ओर मुख करके कार्य करना वर्जित माना जाता है।
- घर की पश्चिम दिशा की ऊंचाई घर के दूसरे हिस्सों से कभी कम नहीं होनी चाहिए।
- घर का मुख्य दरवाजा पश्चिम दिशा में होने से घर की बरकत खत्म होती है।
पश्चिममुखी घर में वास्तु दोष होने पर कई तरह की परेशानियाँ हो सकती हैं। इन उपायों को करके आप घर में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं और वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं।
दक्षिणमुखी घर अशुभ माना जाता है
और यह घर में रहने वालों के लिए दुर्भाग्य लाता है। दक्षिण मुखी घर नकारात्मकता को आमंत्रित करता है, जिससे उसमें रहने वाले लोगों के लिए प्रतिकूलता और निराशा उत्पन्न होती है।
दक्षिण मुखी घर का वास्तु दोष दूर करने के लिए, आप घर के मुख्य द्वार पर लाल रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं, हनुमान जी की मूर्ति लगा सकते हैं, या नीम का पेड़ लगा सकते हैं.
विस्तार से:
- मुख्य द्वार:दक्षिणमुखी घर के मुख्य द्वार को लाल रंग से रंगवाएं और उस पर पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें.
- नीम का पेड़:घर के मुख्य द्वार के सामने नीम का पेड़ लगाने से दक्षिण दिशा के दोष का प्रभाव कम होता है, साथ ही हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है.
- आईना:यदि घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है, तो दरवाजे के सामने एक बड़ा आईना लगाने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती.
- गणेश जी:दक्षिणमुखी घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए, आप दो गणेश जी की प्रतिमाएं लाएं, एक को घर के अंदर की ओर और दूसरी को बाहर की ओर इस तरह से स्थापित करें कि गणेश जी की पीठ न दिखे.
- स्वास्तिक:मुख्य द्वार पर स्वास्तिक और गणेश जी की प्रतिमा लगाना भी शुभ माना जाता है.
- अन्य उपाय:
- हनुमान जी का चित्र लगाना.
- लाल रंग का प्रयोग करना.
- तांबे से बने सजावटी सामान का उपयोग करना.
- हरे पौधे लगाना.
- ध्यान दें:
- दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है, इसलिए इस दिशा में घर का मुख्य द्वार होना वास्तु दोष माना जाता है.
- सही वास्तु प्लानिंग के साथ दक्षिणमुखी घर भी भाग्यशाली बन सकता है.
- सीढ़ियों को घर के दक्षिण/दक्षिण-पूर्व,/पश्चिम/उत्तर-पश्चिम भाग में रखना उचित है.
- उत्तर-पूर्व भाग में सीढ़ियां रखने से बचना चाहिए
उत्तर मुखी घरों में कुछ वास्तु दोष
होते हैं जिनसे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है और घर के सदस्यों को परेशानी हो सकती है। इन दोषों को दूर करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं, जो वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार होते हैं।
उत्तर मुखी घर में वास्तु दोष और उनके समाधान:
- 1. मुख्य द्वार का गलत स्थान:उत्तर मुखी घर में मुख्य द्वार यदि पश्चिम की ओर अधिक बढ़ा हुआ है, तो घर के लोग अधिक समय तक घर में नहीं टिक पाते हैं। इस दोष को दूर करने के लिए, मुख्य द्वार को उत्तर-पूर्व दिशा में रखें या पूर्व दिशा की ओर थोड़ा सा बढ़ा दें।
- 2. अवरुद्ध प्रवेश द्वार:यदि प्रवेश द्वार पर कोई बाधा है, तो सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बाधित होता है। इस दोष को दूर करने के लिए, प्रवेश द्वार पर से सभी बाधाओं को हटा दें और प्रवेश द्वार को साफ-सुथरा रखें।
- 3. रसोई का गलत स्थान:वास्तु के अनुसार, रसोईघर को उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि यह दिशा अशुभ मानी जाती है। रसोईघर को दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाना चाहिए, और खाना बनाते समय रसोइया का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
- 4. बाथरूम और शौचालय का गलत स्थान:बाथरूम और शौचालय को वास्तु के अनुसार पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है।
- 5. रंगों का गलत प्रयोग:वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, घर की दीवारों को नीले या हरे जैसे रंगों से पेंट करना चाहिए। यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाता है।
- 6. उत्तर दिशा में सीढ़ियाँ:उत्तर दिशा में सीढ़ियाँ बनाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे बाधाएँ पैदा हो सकती हैं।
ईशान कोण (पूरब उत्तर का कोना) जिसे वास्तु शास्त्र
में घर का सबसे शुभ और पवित्र स्थान माना जाता है, में वास्तु दोष होने पर घर के सदस्यों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ, धन हानि, और परिवार में अशांति।
ईशान कोण में वास्तु दोष के कारण होने वाली समस्याएँ:
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं:ईशान कोण में दोष होने से घर के सदस्यों को बीमारियाँ लग सकती हैं, जैसे कि सर्दी, खांसी, और पेट संबंधी समस्याएं।
- धन हानि:इस दिशा में दोष होने पर घर में धन की कमी हो सकती है, और आर्थिक परेशानियाँ बढ़ सकती हैं।
- परिवार में अशांति:ईशान कोण में दोष होने से घर में कलह और तनाव बढ़ सकता है, जिससे परिवार में अशांति उत्पन्न होती है।
- दुर्भाग्य:ईशान कोण में दोष होने से व्यक्ति को दुर्भाग्य का सामना करना पड़ सकता है, और जीवन में सफलता प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।
ईशान कोण में वास्तु दोष होने के कारण:
- टॉयलेट:ईशान कोण में टॉयलेट बनाना एक गंभीर वास्तु दोष माना जाता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को अवरुद्ध करता है।
- भारी फर्नीचर:ईशान कोण में भारी फर्नीचर रखने से भी नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है।
- अव्यवस्थित स्थान:ईशान कोण को हमेशा साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए, क्योंकि गंदगी से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है।
- अन्य:इस दिशा में कुछ और भी चीजें ऐसी हैं जिन्हें नहीं रखना चाहिए, जैसे कि कूड़ा-करकट, जूते-चप्पल, आदि।
ईशान कोण में वास्तु दोष निवारण के उपाय:
- ईशान कोण को साफ-सुथरा रखें:इस दिशा को हमेशा साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखें, और गंदगी को दूर करें।
- ईशान कोण में मंदिर बनाएं:ईशान कोण में मंदिर बनाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है, और घर में शांति स्थापित होती है।
- ईशान कोण में गंगाजल का छिड़काव करें:गंगाजल का छिड़काव करने से इस दिशा को पवित्र किया जा सकता है, और नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है।
- भगवान शिव का चित्र या शिवलिंग स्थापित करें:ईशान कोण में भगवान शिव का चित्र या शिवलिंग स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है, और घर में शांति स्थापित होती है।
- पिरामिड या वास्तु यंत्र स्थापित करें:पिरामिड या वास्तु यंत्र स्थापित करने से नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है, और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित किया जा सकता है।
- टॉयलेट को बंद करें या बाथरूम के रूप में उपयोग करें:यदि ईशान कोण में टॉयलेट है, तो उसे स्थायी रूप से बंद करना या फिर केवल बाथरूम के रूप में उपयोग करना ही बेहतर है।
- शेर का चित्रः टायलेट के बाहर मुंह खोले या दहाड़ते शेर का चित्र लगाने से उर्जाओं में सुधार बताया जाता है।
- दर्पण का प्रयोग करें:टॉयलेट के दरवाजे पर एक दर्पण लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो सकता है।
- नमक या फिटकरी रखें:टॉयलेट में नमक या फिटकरी रखने से भी नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है।
ईशान कोण को वास्तु शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, और इस दिशा में वास्तु दोष होने से घर के सदस्यों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, ईशान कोण को हमेशा साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए, और वास्तु दोष निवारण के उपाय करने चाहिए।
आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) वास्तु शास्त्र में
अग्नि तत्व से संबंधित माना जाता है और इसका वास्तु दोष होने का मतलब है कि इस दिशा में कुछ चीजें गलत तरीके से रखी गई हैं, जिससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। आग्नेय कोण में जल से संबंधित चीजें रखना, बेडरूम बनाना, या सीढ़ियां बनवाना अशुभ माना जाता है।
आग्नेय कोण वास्तु दोष के कारण:
- पानी से संबंधित चीजें:आग्नेय कोण में पानी की टंकी, बोरिंग, हैंडपंप आदि नहीं रखने चाहिए, क्योंकि अग्नि और जल विरोधी तत्व हैं.
- बेडरूम:आग्नेय कोण में बेडरूम बनाने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, जैसे अनिद्रा और तनाव हो सकता है, साथ ही वैवाहिक जीवन पर भी बुरा असर पड़ता है.
- सीढ़ियां:आग्नेय कोण में सीढ़ियां बनवाने से संतान के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
- अशुभ चीजें:इस दिशा में सैप्टिक टैंक, पूजाघर, तिजोरी आदि भी नहीं बनवाना चाहिए.
उपाय:
- पानी से संबंधित चीजें हटाना:आग्नेय कोण में पानी से संबंधित चीजें न रखें.
- सही जगह पर बेडरूम बनाना:बेडरूम को आग्नेय कोण में न बनाएं, बल्कि पश्चिम, उत्तर या ईशान कोण में बनाएं.
- सीढ़ियों का निर्माण:आग्नेय कोण में सीढ़ियां बनवाने से बचें.
- सुंदरता और सकारात्मकता:आग्नेय कोण में गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर, या मनी प्लांट का पौधा लगाएं, और शुक्र यंत्र की स्थापना करें.
- सही रंग:आग्नेय कोण में हरा रंग करवाएं, क्योंकि यह इस दिशा का नैसर्गिक रंग है, जो सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है.
निष्कर्ष:
आग्नेय कोण वास्तु दोष को दूर करने के लिए इन उपायों को अपनाकर घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाया जा सकता है, जिससे परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य, धन और रिश्तों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
नैऋत्य कोण (दक्षिण पश्चिम का कोना) में वास्तु दोष
होने से घर के मुखिया और अन्य सदस्यों के जीवन में अनेक परेशानियां आ सकती हैं। यह दक्षिण-पश्चिम दिशा को दर्शाता है, और इसे वास्तु शास्त्र में राहु-केतु का स्थान माना जाता है.
नैऋत्य कोण में वास्तु दोष के कारण होने वाली परेशानियां:
- घर के मुखिया का स्वास्थ्य: नैऋत्य कोण के दूषित होने से घर के मुखिया के नितंब और पांव की एड़ियों में समस्या हो सकती है.
- आर्थिक समस्याएं: दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार होने से घर की आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है.
- रिश्तों में तनाव: नैऋत्य कोण में रसोई या शौचालय होने से पति-पत्नी के बीच संबंध बिगड़ सकते हैं.
- मानसिक तनाव: नैऋत्य कोण में पानी का स्रोत (जैसे कुआं) होने से गृह स्वामी को मानसिक तनाव हो सकता है.
- दुर्भाग्य और दुश्मनों से परेशानी: नैऋत्य कोण में दोष होने से दुश्मनों से परेशानी और कोर्ट-कचहरी से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं.
नैऋत्य कोण में क्या होना चाहिए:
- भारी और ऊंचा: नैऋत्य कोण पूरे घर के बाकी हिस्सों से भारी और ऊंचा होना चाहिए.
- मुख्य द्वार नहीं: दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार नहीं होना चाहिए.
- पानी का स्रोत नहीं: नैऋत्य कोण में कुआं, बोरिंग या कोई अन्य पानी का स्रोत नहीं होना चाहिए.
- सफाई: नैऋत्य कोण साफ-सुथरा रहना चाहिए.
- बेडरूम: इस दिशा में बेडरूम बनाना अच्छा माना जाता है, खासकर घर के मुखिया का.
- भारी सीढ़ियां:नैऋत्य कोण में भारी सीढ़ियां बनाई जा सकती हैं, जो क्लॉकवाइज घुमती हों.
ध्यान दें: नैऋत्य कोण में वास्तु दोष दूर करने के लिए उचित उपाय करना महत्वपूर्ण है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे.
वायव्य कोण, जो कि घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में होता है,
वास्तुशास्त्र में एक महत्वपूर्ण दिशा है। यह दिशा वायु तत्व से संबंधित है और यह घर की उन्नति और विकास से जुड़ी मानी जाती है.
यदि वायव्य कोण में कोई दोष है, तो यह घर के सदस्यों के लिए नकारात्मक परिणाम ला सकता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, वायव्य कोण में कुछ चीजें नहीं होनी चाहिए, जैसे:
- मंदिर:वायव्य कोण में मंदिर का निर्माण नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे घर के सदस्यों को पेट संबंधी समस्याएं और वाणी में दोष हो सकता है
- तिजोरी:वायव्य कोण में तिजोरी रखना भी शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि इससे घर में धन की हानि हो सकती है.
- पानी की बोरिंग:वायव्य कोण में पानी की बोरिंग नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे जीवन में अस्थिरता आ सकती है.
- खाली स्थान:वायव्य कोण खाली होने से घर के सदस्यों को दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है.
- बेडरूम:यदि वायव्य कोण में बेडरूम है तो यह विदेश जाने के इच्छुक लोगों के लिए सहायक होता है, लेकिन यह बेडरूम उत्तर-पश्चिम दिशा में ही होना चाहिए.
यदि वायव्य कोण में कोई दोष है, तो आप कुछ उपायों द्वारा इसे दूर कर सकते हैं, जैसे:
- हनुमान जी की तस्वीर:वायव्य कोण में हनुमान जी की तस्वीर लगाना शुभ माना जाता है
- फूल:वायव्य कोण में ताजे फूलों का गुलदस्ता रखना भी अच्छा होता है.
- मछली घर या फव्वारा:वायव्य कोण में मछली घर या फव्वारा लगाने से भी दोष दूर होता है.
- सफेद रंग:वायव्य कोण में फर्श के लिए सफेद रंग का चुनाव करना बेहतर होता है
- उपचार:पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव को खीर का भोग लगाएं, ब्राह्मण को दान करें, और खुद और परिवार के सदस्यों को भी दें.
- यंत्र:घर के पूजा स्थान में मारुती यंत्र, सोम यंत्र, और चंद्र यंत्र स्थापित करें.
वायव्य कोण वास्तुशास्त्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और यदि इसे सही ढंग से रखा जाए तो यह घर के सदस्यों के लिए सकारात्मक परिणाम ला सकता है