20 मई 2016, मेरी कुण्डली आरोहण साधना- 5
हर उस व्यक्ति की कुंडली जाग्रत है जो मशहूर है. जिनकी बातों का प्रभाव लोगों पर या किसी समूह विशेष पर पड़ता है. दरअसल जब तक किसी व्यक्ति की कुंडली जाग्रत होकर नाभि चक्र का भेदन नही कर लेती तब तक वो व्यक्ति प्रसिद्ध नही हो सकता. तब तक उसकी बातों का सामूहिक रूप से लोगों पर प्रभाव नही पड़ता. तब तक लोगों के बीच उसे मान्यता नही मिलती. समृद्धि उसके जीवन में नही टिक सकती. इससे कोई फर्क नही पड़ता कि वो व्यक्ति काम क्या करता है, नैतिक है या अनैतिक है, सच्चा है या झूठा है, ईमानदार है या बेइमान है, संत है या असंत है… गुरुदेव ने रहस्य खोला तो हम सब चकित रह गये.
प्रणाम मै शिवांशु
बनारस में गुरुदेव के अध्यात्मिक मित्र तुल्सीयायन महाराज कैम्प कर रहे थे. वे सामूहिक रूप से अपने 44 श्रेष्ठ शिष्यों की कुंडली जाग्रत करके उसे ऊपर के चक्रों में मूव कराना चाहते थे। उर्जा जांच के दौरान उनमें 18 सन्यासी कुंडली जागरण के लिये अयोग्य मिले.
अब आगे…
जिन 18 सन्यासियों की उर्जा कुंडली जागरण के लिये तैयार नही थी. उनमें एक सीतारमणम् जी भी थे. वे तुल्सीयायन महाराज के बहुत ही प्रिय शिष्यों में से थे. वे एक अच्छे योगी थे. कई कई घंटे ध्यान लगाने में समर्थ थे. उनकी अयोग्यता ने तुल्सीयायन महाराज को विचलित किया.
पहली बार मैने संत मोह देखा. अपने शिष्य के प्रति मोह. मेरी नजर में तुल्सीयायन महाराज की छवि एक बड़े त्यागी की भी थी. मगर उस दिन मै एक त्यागी को भी मोह ग्रस्त देख रहा था. तब मै समझ पा रहा था कि गुरुदेव शिष्यों के प्रति खुद को निर्मोही सा बनाकर क्यों रखते हैं. उन्हें भगवान शिव का निर्मोही स्वरूप ही क्यों सबसे ज्यादा पसंद है.
उच्च कोटि के संत होते हुए भी तुल्सीयायन महाराज सीतारमणम् जी की पात्रता न होने से खुद को विचलन से रोक नही पा रहे थे. उनके चेहरे पर पहली बार मै उलझन देख रहा था. योगी के चेहरे पर बेचैनी भा नही रही थी. फिर भी वे बेचैन थे.
वे गुरुदेव के सिद्धांतों से परिचित थे. जानते थे कि उर्जा नायक जी उर्जा के स्तर पर कमजोर मिले लोगों को कुंडली आरोहण साधना में शामिल होने की इजाजत बिल्कुल नही देंगे. इसलिये उन्होंने गुरुदेव पर सीतारमणम् जी या किसी अन्य को साधना में शामिल करने का दबाव नही बनाया. मगर विचलित इतने थे कि साधना की पात्रता न रखने वाले लोगों की घोषणा खुद नही की. बल्कि गुरुदेव से आग्रह किया कि वे लोगों को इसकी जानकारी दें.
मुझे याद है गुरुवर उस समय बड़े ही अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कराये थे. जैसे कह रहे हों मोह की अधिकता तनाव का कारण बनती है. फिर गुरुवर ने मेरी तरफ देखा. ये मेरे लिये इशारा था कि मै एकांत में जाकर तुल्सीयायन महाराज की संजीवनी हीलिंग करके उनके मन से विचलन की नकारात्मक उर्जायें निकाल दूं. मै धीरे से उठा और पंडाल के पीछे एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया. वहां बैठकर मैने तुल्सीयायन महाराज का संजीवनी उपचार किया.
जब लौटा तब तक साधना में शामिल किये जाने वाले नामों की घोषणा हो चुकी थी. अब गुरुदेव एक सवाल का जवाब दे रहे थे. सवाल पूछा था पंचानन जी ने. उनका नाम भी उन 18 सन्यासियों में था जिन्हें साधना से अलग रखा गया था. उन्होंने अपने गुरु तुल्सीयायन महाराज से आज्ञा लेकर गुरुदेव से पूछा था कि हम कई वर्षों से योग और ध्यान कर रहे हैं. ब्रह्मचर्य सहित उन सभी नियमों का पालन कर रहे हैं, जो कुंडली आरोहण के लिये जरूरी हैं. गुरु महाराज (तुल्सीयायन महाराज को वे लोग गुरु महाराज कहते हैं) ने हम पर अथक परिश्रम किया है. फिर हमारी उर्जायें इस योग्य क्यों नही बन पायीं. आप कारण बतायें तो हम आगे सुधार और एहतियात बरतते चलेंगे.
जवाब में गुरुदेव ने कुंडली शक्ति का रहस्य खोला. जिसकी जानकारी मुझे भी पहले नही थी. तुल्सीयायन महाराज की प्रतिक्रिया से एेसा प्रतीत हो रहा था जैसे वे भी इस सत्य से पहली बार रुबरू हो रहे थे.
गुरुदेव ने बताया कि कुंडली जागरण की प्रक्रिया किसी साधना, योग, त्याग, नैतिकता या सदाचरण की मोहताज नहीं. ये एक प्राकृतिक अवस्था है. तमाम लोगों के जीवन में ये अवस्था खुद उत्पन्न हो जाती है. मगर जानकारी न होने के कारण वे कुंडली शक्ति का उपयोग नही कर पाते. सो उन्हें इसका व्यापक लाभ नही मिलता. जैसे अधिकांश नेताओं, प्रसाशनिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, फिल्मी कलाकारों, खिलाड़ियों की कुंडली जाग्रत होती है. लेकिन ये बात उन्हें नही पता क्योंकि उन्होंने कुंडली जागरण के लिये कभी कोई प्रयास ही नही किया. न कोई साधना की, न इसके लिये योग किया. बल्कि उनमें से ज्यादातर ने तो इस बारे में सोचा भी नहीं. फिर भी जब मै टी वी चैनलों पर उनको देखकर उनकी कुंडली रीड करता हूं तो वो जाग्रत मिलती है. यहां तक कि कई कुख्यात अपराधियों, आतंकवादियों की भी कुंडली जाग्रत मिलती है. जबकि वे नैतिकता, सदाचरण से कोसों दूर हैं.
हर उस व्यक्ति की कुंडली जाग्रत है जो मशहूर है. जिनकी बातों का प्रभाव लोगों पर या किसी समूह विशेष पर पड़ता है. दरअसल जब तक किसी व्यक्ति की कुंडली जाग्रत होकर नाभि चक्र का भेदन नही कर लेती तब तक वो व्यक्ति प्रसिद्ध नही हो सकता. तब तक उसकी बातों का सामूहिक रूप से लोगों पर प्रभाव नही पड़ता. तब तक लोगों के बीच उसे मान्यता नही मिलती. समृद्धि उसके जीवन में नही टिक सकती. इससे कोई फर्क नही पड़ता कि वो व्यक्ति काम क्या करता है, नैतिक है या अनैतिक है, सच्चा है या झूठा है, ईमानदार है या बेइमान है, संत है या असंत है… गुरुदेव ने रहस्य खोला तो हम सब चकित रह गये.
मित्र इस बारे में इन लोगों को विस्तार से बतायें. तुल्सीयायन महाराज ने गुरुदेव से कहा.
कुंडली के इस रहस्य को जानने के लिये हम सबकी जिज्ञासा चरम सीमा पर थी. गुरुदेव बताते जा रहे थे हम सुनते जा रहे थे.
…. क्रमशः ।
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.
Parnam guru ji ap NE Jo kundli jagart wali baat btai padh kar pta chala k meri koi v kundli jagart nai hai kioki meri baaton ka prvabh kisi par v nai pdhta koi dhiyan nai deta meri baaton par plz guru ji meri v kundli jagart kijiye bahut preshan hun jai guru dev
very good
Ram Ram shivanshu ji…apke lekh adbhut hote hai…itna sammohak varnan karte hain aap ki lagta hai yeh page kabhi khatm na ho
Guruji ji me charno me pranam
Pls aage bataye