बिना मन्त्र की सम्मोहन सिद्धि

बिना मन्त्र की सम्मोहन सिद्धि

हर व्यक्ति के अंदर सम्मोहन की शक्ति होती है। इस सम्मोहन शक्ति को ही एक्टिवेट करना है। फिर इसी को प्रयोग करना है। इस उपाय को सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से कर सकते हैं। दो तरह का सम्मोहन  होता है। 

1-व्यक्तिगत सम्मोहन

2-सामूहिक सम्मोहन

व्यक्तिगत सम्मोहन सिद्धि-

श्री गणेशाय नमः

भगवान शिव से बोलें-

हे मेरे गुरुदेव देवाधिदेव महादेव आपको मेरा प्रणाम है। आपको साक्षी बनाकर मैं अपने नेत्रों के द्वारा अपनी ऊर्जाओं में सम्मिलित सम्मोहन की ऊर्जाओं का मैं जागरण कर रहा हूं। जिससे मेरे समक्ष जो भी आए वह 

मेरे प्रति सम्मोहित हो जाए और मेरी बातें माने। 

इस हेतु मुझे अनुमति प्रदान करें। दैवीय सहायता, सुरक्षा और सम्मोहन शक्ति प्रदान करें। आपका धन्यवाद है। 

सम्मोहन शक्ति को जगाने के लिए अपने आप से आग्रह करें-

मेरे तन, मन, मस्तिष्क, आभामंडल, मेरे ऊर्जा चक्रों, मेरे रोम-रोम, मेरे हृदय सहित सभी अंगों, मेरे अनाहत चक्र और मेरे नेत्रों, मेरे भीतर भरी हुई सम्मोहन शक्तियों आप सब को मेरा नमन है। मैं अपने गुरु भगवान शिव को साक्षी बनाकर सम्मोहन अभ्यास संपन्न कर रहा हूं। मेरी सम्मोहन शक्तियों आप सक्रिय हो जाइए और हर क्षण, हर पल, हर दिन मेरे लिए सक्रिय रहिए। जो भी व्यक्ति मेरे समक्ष है वह मेरे प्रति सम्मोहित हो और मुझसे सहमत हो मेरी बातों को माने आपका धन्यवाद है। 

(अगर किसी को इस अभ्यास के द्वारा आंखों में जलन या दर्द हो तो घबराने की जरूरत नहीं है अगर आपके पास असली गुलाब जल है या आई ड्रॉप हो तो उसका प्रयोग कर लीजिए।) 

इसके बाद आप अपनी नाक का जो लास्ट पॉइंट है उसको देखना है। चश्मा हटा कर देखना है। आप इसका अभ्यास करिए। नाक की टिप्स पर देखते रहिए। धीरे धीरे अभ्यास करते रहिए। जब तक फोकस न हो जाए। 100 से 1 तक की उल्टी गिनती गिनते हुए करिए। 

इस दौरान सभी को कुछ न कुछ महसूस होना शुरू हो जाएगा। इसको आप जल्दी जल्दी न करें। 

इस अभ्यास से कुंडलिनी के उठने का प्रयास नहीं होता है। बल्कि यह हमारे नाभि चक्र से लेकर मूलाधार चक्र के बीच की जो ऊर्जाएं हैं, उनको उठाता है। 

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