धन प्राप्ति का मन्त्र सिद्धि विधान
राजप्रप्ति और धनप्राप्रि के लिए सिद्धि मंत्र–
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः
यह पूरा मंत्र बहुत ही प्रभावशाली है। जिस किसी के जीवन में जन्मों से दलिद्रता चली आ रही है। उन सभी की दरिद्रता का नाश हो जाता है। जिनके भाग्य ग्रसित है। उनके जीवन में राजयोग की स्थिति बन जाती है। ऊर्जाओं के द्वारा कनेक्टिविटी इससे बन जाए तो यह बहुत ही सक्षम तरीके से काम करता है।
मंत्र उच्चारण शनै शनै और स्पष्ट होना चाहिए। बहुत ही ध्यान से मन से करना है। अगर आपका मन मस्तिष्क इधर उधर चला गया तो कनेक्टिविटी नही हो पाएगी। फिर कनेक्टिविटी के लिए आपको अनुष्ठान करना होगा। दशांश हवन करना पड़ेगा।
इस मंत्र का विधान है कि इसके 21000 मंत्र करने है। लेकिन एक ही दिन में नही करने हैं। शुभ मुहूर्त पर शुरू करना है। इसको बुद्धवार या शुक्रवार से शुरू करें।
रात में लाल रंग के आसन पर स्वस्थ कपड़े पहनकर उत्तर दिशा में मुख करके बैठ जाइए। मंदिर जरूरी नहीं लेकिन जगह साफ सुथरी हो। आस पास दुर्गंध न हो। जिसमे आपका व्यक्तित्व आकर्षक लगे। आप खुद को अच्छे लगें। कपड़ों में सुगंध होनी चाहिए। जरूरी नहीं है फिर भी आप किसी देवी–देवता की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें। अगर रखना चाहते हैं तो माता लक्ष्मी की फोटो स्थापित कर लीजिए। आप यह खुद तय करें कि रोज आपको कितने मंत्र जपने हैं। बस गिनती पूरी होनी चाहिए। मतलब अनुष्ठान पूरा होने पर आपके 21000 मंत्र पूरे होने चाहिए। कनेक्टिविटी बहुत अच्छे तरीके से जरूरी है।
मन्त्र सिद्धि विधान–
श्री गणेशाय नमः
भगवान शिव से बोलें –
हे मेरे गुरुदेव देवाधिदेव महादेव आपको मेरा प्रणाम है। आपको साक्षी बनाकर मैं धनदा मंत्र “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः” मंत्र की सिद्धि के लिए जीवन में लक्ष्मी सुख की स्थापना के लिए अखंड समृद्धि की स्थापना, अष्ट लक्ष्मी की स्थापना के लिए और राजयोग की स्थापना के लिए मैं इस मंत्र को एनर्जी गुरु राकेश आचार्या जी द्वारा दिए जा रहे निर्देशों को अपनाकर उनके अनुसार और उनकी ऊर्जाओं के अंश से जुड़कर इस मंत्र को मैं अपने सूक्ष्म शरीर में अपनी चेतना में, आभामंडल में, ऊर्जा चक्रों में, रोम–रोम में स्थापित कर रहा हूं। अपने 33 लाख से अधिक रोम छिद्रों को इस मंत्र की सिद्धि के लिए मंत्र जाप हेतु तैयार कर रहा हूं। इस मंत्र की साधना और सिद्धि के लिए मुझे अनुमति प्रदान करें। दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें। संजीवनी शक्ति प्रदान करें। आपका धन्यवाद है। माता महालक्ष्मी का धन्यवाद है। भगवान कुबेर का धन्यवाद है। एनर्जी गुरुजी राकेश आचार्या जी का धन्यवाद है।
संजीवनी शक्ति से बोलें–
हे दिव्य संजीवनी शक्ति आपको मेरा प्रणाम है। मुझपर दैवीय ऊर्जाओं की बरसात करें। मेरे तन,मन, मस्तिष्क, आभामंडल, ऊर्ज़ा चक्रों, रोम रोम, ह्रदय सहित सभी अंगों को ऊर्जित करें, उपचारित करें, उनका पुनर्जनन करें। मुझे महालक्ष्मी सिद्धि हेतु धन सिद्धि हेतु सक्षम बनाएं। आपका धन्यवाद है।
ऊर्जाओं से बोलें–
हे दिव्य ऊर्जा मुझे मेरे गुरु भगवान शिव के चरणों से जोड़कर रखने हुए मेरे आभामंडल को माता महालक्ष्मी के आभामंडल के साथ जोड़ दें। आपका धन्यवाद है। मेरे तन, मन, मस्तिष्क, आभामंडल, ऊर्जा चक्र, मेरे रोम रोम, मेरे हृदय सहित सभी अंगों को, मेरी कुंडलिनी सहित सभी शक्ति केंद्रों को और मेरे 33 लाख से अधिक रोम छिद्रों को मेरा नमन है। आप सब ब्रह्मांड से संजीवनी शक्ति को ग्रहण करें, अपने अंदर धारण करें, अपना पुनर्जनन करें, स्वस्थ और सर्वोत्तम हो जाएं, जागृत हो जाए। मुझे धन प्राप्ति सिद्धि हेतु सक्षम बनाए।
“ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः” मंत्र के साथ जुड़ जाए। इसके बीज मंत्रों को अपने अंदर स्थापित कर लें। ब्रह्मांड से इस मंत्र की शक्तियों को अपने अंदर धारण करें। मुझे धन सुख लक्ष्मी सुख की सिद्धि हेतु सक्षम बनाएं। मेरे 33 लाख से अधिक रोम छिद्रों आप इस मंत्र के साथ जुड़ जाएं। जब कभी भी मैं इस मंत्र का जाप करूं, इस मंत्र का श्रवण करूं, इसका लेखन करूं, पठन करूं। तब आप सब स्वतः मेरे साथ मिलकर इस मंत्र का जाप करके अखिल अंतरिक्ष साम्राज्य को इस मंत्र जाप से गुंजाएमान कर दें। ब्रह्मांड से इस मंत्र की दैवीय ऊर्जाओं को ग्रहण करें। अपने अंदर धारण करें और उन ऊर्जाओं को मेरे जीवन में धन समृद्धि के रूप में परिवर्तित कर दें। मुझे धन समृद्धि का सुख प्राप्त हो इस हेतु सदैव सक्षम बनाएं रखें। आपका धन्यवाद है।
मंत्र से बोलें–
हे दिव्य धनदा मंत्र “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः” आपको मेरे प्रणाम है। आप मेरे तन, मन, मस्तिष्क, आभामंडल, ऊर्जा चक्र, मेरे रोम रोम, मेरे हृदय सहित सभी अंगों में, मेरी कुंडलिनी सहित सभी शक्ति केंद्रों में, और मेरे 33 लाख से अधिक रोम छिद्रों में, मेरी सांसों में, मेरी कल्पना में व्याप्त हो जाए। मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरे लिए सिद्ध हो जाएं। मुझे धन समृद्धि की सिद्धि प्रदान करें। माता महालक्ष्मी की सिद्धि प्रदान करें। कुबेर के धन की सिद्धि प्रदान करें। मुझे राजयोग का सुख प्रदान करें। आपका धन्यवाद है।
माता महालक्ष्मी से बोलें –
हे माता महालक्ष्मी मैं अपने गुरु भगवान शिव को साक्षी बनाकर “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः” मंत्र का जप करके धन समृद्धि और राजयोग के सुख की स्थापना संपन्न करने जा रहा हूं। आप मेरे द्वारा किए जाने वाले मंत्र जाप को स्वीकार करें। साकार करें। मेरे जीवन में अष्ट लक्ष्मी के सुख को स्थापित करें। लक्ष्मी सुख को स्थापित करें। राजसुख को स्थापित करें और मेरी आने वाली पीढ़ी तक लक्ष्मी सुख बनाए रखें। आपका धन्यवाद है। भगवान जगतपति हरि विष्णु का धन्यवाद है। भगवान शिव का धन्यवाद है। भगवान कुबेर का धन्यवाद है।
अब “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः” मंत्र का जाप शुरू करें।
आपको ब्रह्मांड के उस स्रोत के साथ जोड़ा जा रहा है। जहां इस मंत्र की ऊर्जाएं स्थापित हैं और जहां से इसकी ऊर्जाएं धन प्राप्ति एवं राज प्राप्ति के लिए होती हैं। यह बहुत ही प्रभावशाली मंत्र है।
मंत्र जाप करते हुए आप अपने मूलाधार चक्र पर ध्यान लगाइए जो कमर के पीछे पीठ की तरफ होता है।
फिर 5 बार बोलिए “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः”
स्वादिष्ठान चक्र पर ध्यान लगाइए जंघांग पर जहां कमर खतम हो रही है। बोलिए
फिर बोलिए “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः”
नाभि के बीचोबीच ध्यान लगाइए।
फिर बोलिए “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः”
मणिपुर चक्र पर ध्यान लगाइए जो दोनो पसलियों के बीच है।
फिर बोलिए “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः”
अनाहत चक्र पर ध्यान लगाइए। जो छाती के बीचोबीच है।
फिर बोलिए “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः”
विशुद्घि चक्र पर ध्यान लगाइए जो गले के बीचोबीच है।
फिर बोलिए “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः”
आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाइए। जो दोनो भौंहों के बीच है। यहां लक्ष्मी तत्व है।
फिर बोलिए “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः”
थर्ड आई चक्र पर ध्यान लगाइए। जो कि माथे के बीचोबीच है।
फिर बोलिए “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः”
सौभाग्य चक्र पर ध्यान लगाइए। जो कि सिर के बीचोबीच है।
फिर बोलिए “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः”
मंत्र के द्वारा ब्रह्मांड से ऊर्जाओं की कनेक्टिविटी संपन्न हो चुकी है।
आपको यह तय करना है कि आपकी साधना कितने दिन चलेगी। आज आपने 11 माला मंत्र का। जाप किया तो कल आपको 12वी माला से ही शुरुआत करनी है। बस मंत्र 21000 होने चाहिए। आप खुद ही बताएंगे कि आश्चर्यजनक प्रभाव आना शुरू हो गया।
साधना के दौरान आप रुद्राक्ष, असली स्फटिक, कमलगट्टे, शंख या वैजयंती की माला का इस्तेमाल कर सकते हैं। कमलगट्टे की 27 दाने वाली माला का इस्तेमाल कर सकते हैं। धन प्राप्ति के लिए कमलगट्टे की 27 दाने की माला पर्याप्त रहती है। एक माला जाप का कपड़ा ले लेवें। साथ ही दीपक आप सरसों के तेल का जला सकते हैं। भोग लगाने का मन हो तो लगा सकते हैं।
(नोट: इस साधना का अच्छा परिणाम मिले इसके लिए ध्यान मग्न और एकाग्रचित होकर ही मंत्र जाप करें।)
_____________________________________