बेइज्जती, बेइमानी, मुसीबतों से बचने और जीवन के सुखों के लिये शक्तिपात और पितृ मोक्ष अनुष्ठान से अपना DNA स्ट्रांग करें

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बार बार बेइज्जती, बेइमानी, ताने, अपयश, आर्थिक संकट, बीमारी, कलंक, षड़यंत्र, घाटा, नुकसान, बेकारी, विवाद, रिश्तों में बिखराव सहित कर्ज-मर्ज-कलह की परिस्थितियां पैदा होने लगती हैं। एक मुसीबत से निकले नही दूसरी तैयार मिलती है। जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। जीवन में एक के बाद एक चली आ रही इस तरह की मुसीबतों, विपत्तियों, सुख भंग की परिस्थितियों का अध्यात्मिक परीक्षण करने पर प्रायः DNA की उर्जाओं में बिगाड़ मिलता है।
जिसे बोलचाल की भाषा में पितृ पीड़ा कहा जाता है। अक्सर इसका असर पूरे कुल खानदान पर दिखता है।
कई बार पीढ़ियों तक बना रहता है।
इनसे बचने के लिये ऋषियों ने DNA की ऊर्जाओं का सहारा लेने का विज्ञान तलाशा। जिसका उपयोग करके लोग युगों से खुद को नुकसान, मुसीबतों से बचा पाने में कामयाब होते आ रहे हैं। पितृ श्राद्ध करके या अपने आभामंडल को सीधे उपचारित करके इससे बचा जाता है। पितृ पक्ष और खरमास महीने पितृों की शांति के लिये विशेष माने जाते हैं। 
किन्तु यह जरूरी नही कि परिवार मुसीबतों में घिरा हो और हम पितृ पक्ष या खरमास का इंतजार करें। इसे इलाज की तरह लें। जैसे ही पता चले कि परेशानियां पितृ पीड़ा से आ रही हैं तुरंत उनका निदान करें।
हड़बड़ायें नही। आगे दिये उपाय आराम से करें।
फिर भी बात न बने तो सक्षम विधान अपनाकर DNA की ऊर्जाओं की सफाई करें। उन्हें ठीक करें। पितरों की सदगति के लिये तर्पण, पिंडदान, यज्ञ, दान के विधान को अपनायें। त्वरित परिणामों के लिये शक्तिपात का सहारा लें। जो लोग पितृ पीड़ा से अधिक प्रभावित हों उनके आभामंडल, उर्जा चक्रों की सफाई करायें। उन्हें उर्जित करायें।
अगर खुद न ठीक कर सकें तो सक्षम विद्वानों से करायें। चाहें तो मृत्युंजय योग संस्थान से भी करा सकते हैं।


पितृ मोक्ष अनुष्ठान का लिंक…
https://pay.webfront.in/#/
helpline; 9250500800


विशेष ध्यान रखें कि पितृों की कोई भी पूजा घर के भीतर न करायें। उनके फोटो घर में न लगायें। उनके नाम की घर में दिया बत्ती न करें। आला, स्थान न बनवायें। इससे मोक्ष के अभिलाषी पितृों यहीं अटक जाते हैं। मोह भाव के कारण उनकी विदाई नही हो पाती। तब वे कुपित होते। प्रेतों की तरह व्यवहार करते हैं। परिवार के सुख भंग कर देते हैं। एेसे घरों के प्रमुख लोगों को प्रायः चरित्रहीन होते देखा गया है। जिसके कारण पूरा परिवार विषम परिस्थितियों में फंस जाते हैं।
ध्यान रखें हर मृत्यु पितृ नही बनती। मृत्यु के समय जिनका मन किसी विषय में लगा रहता है सिर्फ उन्हीं के पितृ बनने की आशंका होती है। इसलिये हड़बड़ाने, घबराने की जरूरत नहीं। जो मृत्यु गर्भपात से होती है वे सभी पितृ बनते हैं। उनकी शांति जरूरी है। वे लम्बे समय तक दुख का कारण बन सकते हैं।
अपने DNA की ऊर्जाओं को क्लीन और मजबूत करने के लिये सभी जन नमक के पानी से नियमित नहाएं। अवसर मिले तो बहते पानी या नदियों मे स्नान जरूर करें। श्रद्धापूर्वक जरूरतमंदों को भोजन दें। गाय, कुत्ता, कौवा, चीटियों को भोजन दें। वस्त्रदान और विद्यादान से भी DNA की ऊर्जाओं की सफाई हो जाती है।
DNA की ऊर्जाएं पूर्वजों से मिलती हैं। वहां से सदैव जुड़ी भी रहती हैं। इसलिये अपने पितरों को धन्यवाद देते हुए उनकी संतुष्टि और मोक्ष की कामना करें। पितृों पर शक्तिपात करें।
इससे DNA स्ट्रांग होता है।
DNA की ऊर्जाओं के बिगड़ने से कालसर्प दोष, मंगलदोष सहित कुंडली अनेकों ऋण व दोष दिखते हैं। इससे छुटकारा मिलेगा। रुकावटें हटेंगी। अज्ञात से चली आ रही मुसीबतों की राह बदलकर उन्हें जीवन से दूर निकाल देने की क्षमता भी DNA की ऊर्जाओं में होती है, इसका भी लाभ मिलेगा।
शिव शरणं।
हेल्पलाइनः 9250500800