मंत्र मृत्युंजय संजीवनी उपचार

 मंत्र मृत्युंजय संजीवनी उपचार

मृत्युंजय प्राणायाम के संकल्प

1- संजीवनी शक्ति  से आग्रह

हे दिव्य संजीवनी शक्ति आप को मेरा प्रणाम है|  मुझ पर दैवीय  ऊर्जाओं की बरसात करें। मेरे तन , मन , मस्तिष्क,  आभामंडल ,ऊर्जा चक्रों ,मेरे रोम रोम को और मेरे हृदय सहित सभी अंगों को , मेरी कुंडलिनी सहित मेरे सभी शक्ति केंद्रों को उर्जित करें , उपचारित करें , स्वस्थ करें , सुरक्षित करें , मुझे सिद्ध और प्रसिद्ध बनाएं।

मेरे मन को , मेरे हृदय को पवित्र और सुखमय शिव आश्रम बनादे। मुझे मेरे गुरुदेव देवाधिदेव महादेव के चरणों से जोड़ दें। मेरे आभामंडल को मृत्युंजय भगवान के आभामंडल से जोड़ दें और सदैव जोड़े रखें आपका धन्यवाद है।

2- भगवान शिव से आग्रह

हे देवाधिदेव महादेव ! हे मेरे गुरुदेव ! आप को मेरा प्रणाम है|  मेरे मन को पवित्र और सुखमय शिव आश्रम बनाकर माता महेश्वरी, भगवान गणेश जी सहित सपरिवार मेरे मन मंदिर में विराजमान हो। आप को साक्षी बनाकर मैं त्रयक्षरी मृत्युंजय मंत्र ” ऊं जुं स: ” की सिद्धि हेतु मृत्युंजय प्राणायाम संपन्न कर रहा हूं, इस मंत्र का जप संपन्न कर रहा हूं।

मेरे द्वारा किए जा रहे इस अनुष्ठान को शुद्ध सिद्ध और सुफल करके स्वीकार करें, साकार करें। मुझे मृत्युंजय सिद्धि प्रदान करें। आपका धन्यवाद है।

3- मंत्र से आग्रह है

हे दिव्य त्रअक्षरी मृत्युंजय मंत्र ” ऊं जुं स: “आप को मेरा प्रणाम है। आप मेरे तन मन मस्तिष्क , आभामंडल , ऊर्जा चक्रों , मेरे रोम रोम में, मेरे हृदय सहित मेरे सभी अंगों में, मेरी कुंडलीनी सहित मेरे सभी शक्ति केंद्रों में और मेरे 33 लाख से अधिक रोम छिद्रों में व्याप्त हो जाएं । मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरे लिए सिद्ध हो जाए।  मुझे मृत्युंजय सिद्धि प्रदान करें आपका धन्यवाद है|

4- अपनी शक्तियों से

मेरे तन , मन, मस्तिष्क, आभामंडल, सभी ऊर्जा चक्रों, मेरे रोम रोम, मेरे हृदय सहित मेरे सभी अंगों, मेरी कुंडलीनी सहित मेरे सभी शक्ति केंद्रों, मेरे 33 लाख से अधिक रोम छिद्रों आप सब को मेरा प्रणाम है| आप सब त्रयक्षरी मृत्युंजय मंत्र “ऊं जुं स: “के साथ जुड़ जाएं। इसके बीज मंत्रों को अपने अंदर स्थापित करे। मेरे साथ मिलकर इस मंत्र का जाप करके अखिल अंतरिक्ष ब्रह्मांड को इससे गुंजायमान कर दें, आवेशित कर दें और ब्रह्मांड से मृत्युंजय शक्ति को ग्रहण करके अपने अंदर स्थापित करे|  उससे अपने आप को उर्जित करें, उपचारित करें, अपना पुनर्जनन  करें, स्वस्थ हो। मुझे स्वस्थ करें , सुखी करें , सिद्ध करें,  प्रसिद्ध करें और मृत्युंजय सिद्धि प्राप्त करने हेतु सब विधि से मुझे सक्षम बनाएं आपका धन्यवाद है।

उतर दिशा कि तरफ मुंह करें। मंत्र जाप करें। ऊँ जूं सः 

मंत्र मृत्युंजय संजीवनी के संकल्प

भगवान शिव द्वारा रचित मंत्र संजीवनी विज्ञान आपके जन्मों के सत्कर्मो के कारण आप तक पहुंचा हैजीवन को खुशियों से भर सकें। इसके लिए मंत्र संजीवनी उपचार सिखाया जा रहा है। नियमित रूप से इसे करें

मंत्र संजीवनी उपचार करके अपना और दूसरों का कल्याण करें

अपने और दूसरों के जीवन से समस्याओं को मिटा दें। 

मंत्र संजीवनी उपचार जब भी आरंभ करें, उससे पहले कुछ संकल्प दोहराने हैं। जिससे आपको सफल और सुरक्षित संजीवनी उपचार हेतु भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो , धरती मां की कृपा प्राप्त हो , संजीवनी उपचार में सहायता करने वाले देवदुतो की सहायता प्राप्त हो , ऋषि मुनियों की सहायता प्राप्त हो और आपके द्वारा किया गया संजीवनी उपचार सफल हो और सुरक्षित हो।

जब भी संजीवनी उपचार करने बैठेंगे इन सब संकल्पों को एक बार दोहराएंगे। ध्यान दें इनको बीचबीच में बारबार नहीं दोहराना है। जब शुरुआत करें तब एक बार इन संकल्पों को दोहराएं।

उपचार के आग्रह संकल्प ●●●

1- संजीवनी शक्ति से आग्रह

हे दिव्य संजीवनी शक्ति ! आप को मेरा प्रणाम है |मुझ पर दैवीय ऊर्जाओं की बरसात करें। मेरे तन , मन, मस्तिष्क, आभामंडल, ऊर्जा चक्र, मेरे रोम रोम को, मेरे हृदय सहित मेरे सभी अंगों को, मेरी कुंडलिनी सहित मेरे सभी शक्ति केंद्रों को-उर्जित करें, उपचारित करें, स्वस्थ करें, सुरक्षित करें।  मुझे सफल और सुरक्षित संजीवनी उपचार करने हेतु अपना सर्वोत्तम माध्यम बनाएं । मेरे समक्ष सफल और सुरक्षित संजीवनी उपचार हेतु इलेक्ट्रिक वायलट एनर्जी का संजीवनी चेंबर बना दे। मुझे मेरे गुरुदेव देवाधिदेव महादेव के चरणों से जोड़ दें। मेरे आभामंडल को मृत्युंजय भगवान के आभामंडल से जोड़ दें। मेरी ऊर्जओं को मृत्युंजय शक्ति के साथ जोड़ दें -सदैव जोड़े रखें , आपका धन्यवाद है। मेरे मन को पवित्र और सुखमय शिवाश्रम बना दे- सदा बनाए रखें ।आपका धन्यवाद है।

2- भगवान शिव से आग्रह

हे देवाधिदेव महादेव ! हे मेरे गुरुदेव! आप को मेरा प्रणाम है। आप को साक्षी बनाकर मैं मंत्र संजीवनी उपचार संपन्न कर रहा हूं। इसकी सफलता हेतु आप मुझे अनुमति प्रदान करें ,सहायता प्रदान करें, सुरक्षा प्रदान करें , संजीवनी उपचार में दक्ष देवदूतों की सहायता प्रदान करें, ऋषि मुनियों की सहायता प्रदान करें। मुझे हर पल हर क्षण अपनी शरण में  बनाए रखें। जिनका मै  संजीवनी उपचार संपन्न कर रहा हूं, उन सबको मृत्युंजय कृपा प्राप्त हो ऐसा सुनिश्चित करें। आपका धन्यवाद है।

3- देवदूत से आग्रह 

मेरे गुरुदेव भगवान शिव के द्वारा मंत्र संजीवनी उपचार में सहायता हेतु मेरे लिए नियुक्त किए गए सभी देवदूतो, ऋषि मुनियों, आध्यात्मिक गुरुओं, संतो और ब्रह्मांड की समस्त शक्तियों। आपको मेरा प्रणाम है। मेरे द्वारा की जा रही मंत्र संजीवनी सफल हो, सुरक्षित हो, इस हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें। जिन लोगों की मैं मंत्र संजीवनी कर रहा हूं उन सभी को दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें। उन्हें तन के मन के धन के सुख प्राप्त हो। इस हेतु उन्हें अपनी सहायता प्रदान करें। आपका धन्यवाद है।

4- त्रयक्षरी मंत्र से आग्रह

हे दिव्य त्रयक्षरी मृत्युंजय मंत्र  ” ऊं जुं स: ” आप को मेरा प्रणाम है। आप मेरे तन, मन, मस्तिष्क, आभामंडल, ऊर्जा चक्रों, मेरे रोम रोम में व्याप्त हो जायें। मेरे हृदय में , मेरे सभी अंगों में व्याप्त हो जाएं। मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरे लिए सिद्ध हो जाएं। मैं अपने गुरुदेव भगवान शिव को साक्षी बनाकर मंत्र संजीवनी उपचार संपन्न कर रहा हूं। इसकी सफलता हेतु मुझे अपना और अपनी शक्तियों का सर्वोत्तम माध्यम बनाएं। आपका धन्यवाद है।

5- मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष से आग्रह 

हे दिव्य मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष। आप को मेरा प्रणाम है। आपको मेरे लिए सिद्ध किया गया। आप ब्रह्मांड की सभी शक्तियों को अपने अंदर धारण करने में सक्षम हैं। आप मृत्युंजय शक्ति को अपने अंदर धारण करने में सक्षम हैं। मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरी भावनाओं के अनुकूल मेरे द्वारा किए जा रहे हैं मंत्र संजीवनी उपचार की सफलता हेतु आप मेरी सहायता करें। मंत्र संजीवनी उपचार के दौरान मेरे द्वारा किए जाने वाले सभी आग्रह स्वीकार करें, साकार करें और मंत्र संजीवनी के दौरान मुझे नियमित सुरक्षा प्रदान करते रहे। आपका धन्यवाद है।

6- अब अपने आप से आग्रह करेंगे

मेरे तन, मन, मस्तिष्क, आभामंडल, ऊर्जा चक्रों, मेरे रोम रोम, मेरे हृदय सहित मेरे सभी अंगों, मेरी कुंडलिनी सहित मेरे सभी शक्ति केंद्रों, आप सबको मेरा प्रणाम है। आप सब ब्रह्मांड में मृत्युंजय शक्ति के सोर्स के साथ जुड़े हुए हैं। मेरे हाथ में पकड़े हुए मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष की तरंगों के साथ जुड़े हुए हैं। मैं मंत्र संजीवनी उपचार संपन्न कर रहा हूं। इसकी सफलता हेतु आप सब पूर्ण सक्रियता प्राप्त करें और अपने आप को सुरक्षित बनाए रखें। ब्रह्मांड से मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष द्वारा प्राप्त की जा रही ऊर्जाओं के 10% भाग को आप अपने अंदर धारण करते रहे। उससे अपने आप को उर्जित करें, उपचारित करें, स्वस्थ करें, सुरक्षित करें। मुझे स्वस्थ करें, सुरक्षित करें, सिद्ध बनाएं और प्रसिद्ध बनाएं।  मेरे जीवन में सिद्धि-प्रसिद्धि- समृद्धि स्थापित करें और जिन लोगों का मैं संजीवनी उपचार कर रहा हूं उनकी लगातार सहायता करें। आपका धन्यवाद है।

7- धरती मां से आग्रह

हे धरती मां ! आप को मेरा प्रणाम है। मैं अपने गुरुदेव भगवान शिव को साक्षी बनाकर मंत्र संजीवनी उपचार संपन्न कर रहा हूं। आप मेरी सहायता करें। इसकी सफलता के लिए मेरे समक्ष 2 फीट के दायरे में पाताली सुरंग का निर्माण कर दें। जो मेरे द्वारा विसर्जित की जाने वाली सभी नकारात्मक ऊर्जा को पाताल अग्नि में जलाकर भस्म कर दे। मेरी सहायता करने के लिए आपका धन्यवाद।

8- पाताली सुरंग से आग्रह 

धरती मां की कृपा से मेरे समक्ष उत्पन्न दिव्य पाताली सुरंग।  आप को मेरा प्रणाम है। मंत्र संजीवनी उपचार में मेरी सहायता करें। मेरे और मेरे सभी उर्जा केंद्रों से स्वत: समस्त प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं को खींचकर उन्हें पाताल अग्नि में ले जाकर जलाकर भस्म कर दे। और जिन लोगों के आभामंडल को मैं संजीवनी उपचार हेतु आमंत्रित करूँ उनके आभामंडल के मेरे समक्ष आते ही आप उनके आभामंडल और ऊर्जा चक्रों में फैली हुई  दूषित और बीमार ऊर्जा को, नकारात्मक ऊर्जा को,  स्वत: अपने अंदर खीच लें और उन्हें पाताल अग्नि में जलाकर भस्म कर दे। फिर धरती मां उन्हें लव एंड लाइट में परिवर्तित करके अपने सृजन में उपयोग करेंगी। मेरे द्वारा विसर्जित ऊर्जाओं को भी आप पाताल अग्नि में जलाकर भस्म कर दें। आभामंडल और ऊर्जा चक्र से निकालकर मैं जो ऊर्जाएं आपके अंदर विसर्जित करूं उन्हें भी पाताल आग्नि में जलाकर भस्म कर दें। जैसे ही मेरा संजीवनी उपचार का यह सेशन पूरा हो जाए आप स्वत: ही विखंडित होकर धरती मां के अंदर समा जाएं और इस स्थान को पूर्व की भांति स्वच्छ कर दें। आपसे आग्रह है जब आप वापस धरती मां के अंदर समायें तो यहां जिस स्थान पर मैं बैठा हूं इस जगह की और इस घर की समस्त नकारात्मक ऊर्जाओं को भी अपने अंदर खीच लें उन्हें भी पाताल अग्नि में जलाकर भस्म कर दें। आपका धन्यवाद।

9- आभामंडल से आग्रह

आप आभामंडल को बुलाने के लिए हाथ में पकड़े हुए मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष की सहायता लेंगे 

मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष से आभामंडल बुलाने के लिए कहेंगे – 

हे दिव्य मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष आपको मेरा प्रणाम है। मंत्र संजीवनी उपचार में मेरी सहायता करने के लिये धन्यवाद। मंत्र संजीवनी उपचार हेतु आप आभामंडल को मेरे समक्ष बुला दें। सुविधाजनक संजीवनी उपचार हेतु उसे छोटा करके 1 फीट का कर दें। आभामंडल को पाताली सुरंग के ऊपर स्थापित करके स्थिर कर दें। ताकि पाताली सुरंग द्वारा उससे समस्त प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं को खींच लिया जाए और पाताल अग्नि में ले जाकर जलाकर भस्म कर दिया जाये। आपका धन्यवाद।

10- जिसका भी आभामंडल है उससे कहेंगे 

अमुक (जिसका संजीवनी उपचार करना है उसका नाम) के दिव्य आभामंडल मैं आपका संजीवनी उपचार करने जा रहा हूं। आप मेरे द्वारा की जा रही मंत्र संजीवनी उपचार की प्रक्रिया को और मेरे द्वारा दी जा रही ऊर्जाओं को स्वीकार करें। उससे अपने शरीर धारी को उर्जित करें, स्वस्थ करें, सुरक्षित करें। उसे तन से, मन से, धन से स्वस्थ बनाए, सुखी बनाए और सुरक्षित बनाए।

मेरा आग्रह स्वीकारने के लिए आपका धन्यवाद हे।

12- आभामंडल की सफाई

इसके लिए मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष आग्रह करें हे दिव्य मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष। आपको मेरी सहायता के लिए नियुक्त किया गया है| आप अमुक के आभामंडल की सफाई करें। वहां मौजूद सभी तरह की नकारात्मक और बीमार ऊर्जाओं का विखंडन करके निष्कासन हेतु आभामंडल की बाहरी साथ पर ले आएं। ताकि मैं उन्हें निकाल कर पाताली सुरंग में विसर्जित कर सकूं। मेरी सहायता करने के लिए आपका धन्यवाद।

उसके बाद आभामंडल की आगे की तरफ से 5 बार स्वीपिंग करें। इसके लिये रुद्राक्ष वाली हथेली में स्कूप बनाएं। उससे पकड़कर आभामंडल की नकारात्मक ऊर्जाओं को स्वीप- स्कूप करके मुट्ठी में पकड़ें और झटके से पाताली सुरंग में फेंक दें। 

फिर आभामंडल की पीछे की तरफ से और दाएं बाएं तरफ से 5- 5 बार स्वीपिंग करके सफाई करें। सफाई के दौरान ॐ जुं सः मंत्र का लगातार मन में जप करते रहें। ताकि मंत्र की इलेक्ट्रिक वायलेट एनर्जी व्यक्ति के आभामंडल में मौजूद सभी सभी तरह की नकारात्मक और बीमार एनर्जी को छिन्नभिन्न कर दे

आभामंडल की सफाई के समय यदि आपको अपनी हथेली में चिपचिपाहट या इचिंग हो या दबाव महसूस हो, गर्माहट या ठंडक महसूस हो तो आप अपने हाथ की हथेली को दूसरे हाथ से साफ करें। हथेली से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा को पाताली सुरंग में फेंकते जाएं। यह आप जरूरत के मुताबिक बार बार दोहराएं। 

ऊर्जा चक्रों का उपचार

13- ऊर्जा चक्रों की सफाई का तरीका

सफाई के लिए ऊर्जा चक्र को अपने सम्मुख आमंत्रित करें इसके लिए मन्त्र संजीवनी रुद्राक्ष से आग्रह करें।

हे दिव्य मन्त्र संजीवनी रुद्राक्ष अमुक के अमुक चक्र को उपचार हेतु मेरे समक्ष ला दें। 

फिर उर्जा चक्र से कहें अमुक के अमुक उर्जा चक्र उपचार हेतु मेरे समक्ष आ जाएं। 

  1. उसके पश्चात अपनी हथेली को ऊर्जा चक्र पर रख दें और मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष से आग्रह करें।– हे दिव्य रुद्राक्ष। आप इस ऊर्जा चक्र में मौजूद सभी तरह की नकारात्मक और बीमार ऊर्जा को विखंडित करके चक्र के केंद्र में खींच कर ले आए| ताकि मैं वहां से उन्हेंबनिकाल कर पाताल अग्नि में विसर्जित कर सकूं।
  2. उसके बाद चक्र पर हाथ रखे हुए “ॐ जुं सः” मंत्र का 5 बार जब करें। 
  3. फिर चक्र के केंद्र से उसकी सफाई करें इसके लिए रुद्राक्ष को घुमा कर हथेली के पीछे की तरफ कर दे और हथेली को कप की शक्ल में थोड़ा मोड ले उस हथेली से चक्र की सफाई करें उसके केंद्र में रुद्राक्ष द्वारा विखंडित करके एकत्र की गई नकारात्मक और बीमार ऊर्जाओं को निकालें। हथेली से चक्र की उर्जा को पकड़कर उसे पाताअग्नि में झटके के साथ फेकें। ऐसा 5 बार करें।

यही विधि सभी चक्रों की सफाई के लिए अपनाएंगे चक्रों की सफाई के समय हथेली में चिपचिपा पन खुरदरा पन या चिकनाहट या कांटे चुभने जैसा एहसास हो तो अपने उस हाथ की हथेली को दूसरे हाथ से साफ करें। या उसे पाताली सुरंग पर झटक कर साफ करेंऐसा चक्रों की सफाई के समय बारबार करते रहे|

14- ऊर्जा चक्रों को ऊर्जित करने की विधि

उर्जित करने के लिए संबंधित ऊर्जा चक्र की सफाई के बाद रुद्राक्ष को हथेली की तरफ कर लें। चक्र पर अपना हाथ रखें। ऐसी स्थिति में रुद्राक्ष ऊर्जा चक्र के ऊपर रखा होगा।

  1. मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष से आग्रह करें- हे दिव्य mantra sanjeevani रुद्राक्ष! आप मृत्युंजय शक्ति से इस चक्र को उर्जित करें | इसकी सभी पंखुड़ियों पर उर्जा सिंचन करके उनको उर्जित करें। वहां उत्पन्न सभी तरह के विकारों को ठीक करें। किसी कारण चक्र की पंखुड़ियों में दरारें, छेद आदि उत्पन्न हों तो उन्हें भर दें। टेढ़ी हो गई पंखुड़ियों को सीधा कर दें। ऊर्जा चक्र की सुरक्षा जाली को मजबूत कर दें। इस तरह से ऊर्जा चक्र को पूर्ण रूप से स्वस्थ और सक्रिय कर दें। इसके साथ ही नकारात्मक हमलों से बचने के लिए ऊर्जा चक्र को अभेद सुरक्षा कवच प्रदान करें। सुरक्षा कवच में उपयोगी ऊर्जाओं के आने जाने की राह दें। Apka dhanyawad hai |
  1. मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष से आग्रह करने के बाद ऊर्जा चक्र पर हाथ रखे हुए हैं ” ऊं जुं स: ” मंत्र का 5 बार जप करें।

इसी विधि से सभी ऊर्जा चक्रों को उर्जित और उपचारित करना है। 

जो लोग बीमारियों से परेशान हैं उनके मूलाधार चक्र नाभि चक्र और आज्ञा चक्र को जरूर उर्जित करें। जो लोग आर्थिक समस्याओं से परेशान हैं उनके मूलाधार चक्र मणिपुर चक्र और आज्ञा चक्र को ठीक करेंजो लोग आध्यात्मिक सिद्धियां अर्जित करना चाहते हैं उनके स्वाधिष्ठान चक्र विशुद्धि चक्र और सहस्रार चक्र को जरूर उर्जित करेंइसके साथ ही वांछित सफलताएं प्राप्त करने के लिए उनके अनाहत चक्र को भी नियमित रूप से उर्जित करते रहेंइसके अलावा जिन लोगों में अलगअलग तरह की बीमारियां हैं उनके लिए अलगअलग चक्रों के उपचार की विधि अपनाएं।

15- आभामंडल का सुरक्षा कवच

उपचारित किए व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जाओं के हमले से बचाने के लिए उसके आभामंडल का सुरक्षा कवच जरूर बनाएं इसके लिए जब ऊर्जा चक्रों को उपचारित कर चुके तब अंत में उस व्यक्ति के आभामंडल के सिर पर रुद्राक्ष वाली हथेली रखें और रुद्राक्ष से सुरक्षा कवच का आग्रह करें

हे दिव्य मंत्र संजीवनी रुद्राक्ष! आप अमुक और उसके आभामंडल को दैवीय ऊर्जाओं का अखंड सुरक्षा कवच प्रदान करें। जिसे किसी भी तरह की नकारात्मक और बीमार ऊर्जाएं  भेद ना सके और इनका कोई भी नुकसान ना कर सकें। इसके लिए इस सुरक्षा कवच को अभेद बना दें। इनके कल्याण के लिए उन तक सकारात्मक ऊर्जाएं आती जाती रहें इसलिए सुरक्षा कवच में प्रेम और प्रकाश के आने-जाने का उचित मार्ग प्रदान करें। 

11- व्यक्ति के उर्जा चक्रों की प्रोग्रामिंग

संजीवनी उपचार के अंत में आभामंडल के वापस भेजने से पहले mantra संजीवनी रुद्राक्ष के जरिये उर्जा चक्रों की प्रोग्रामिंग करें। 

उसके लिये रुद्राक्ष से कहें दिव्य manta sanjeevani रुद्राक्ष! मेरे द्वारा की जा रही उर्जा चक्र प्रोग्रामिंग को सुनिश्चित करायें। फिर  निम्न संकल्प दोहरायें।

अमुक के आज्ञा चक्र सहित सभी ऊर्जा चक्रों मै आपकी प्रोग्रामिंग कर रहा हूं। इसे स्वीकार करें, साकार करें। आप सब इसी क्षण ब्रह्मांड में मृत्युंजय शक्ति के सोर्स के साथ जुड़ जाए। सदैव जुड़े रहे। वहां से हर दिन हर पल हर क्षण दैवीय ऊर्जाओं को ग्रहण करके अपने अंदर धारण करें, स्थापित करें। उनसे स्वत: अपने आप को उर्जित करें, उपचारित करें। अपने शरीर धारी को सब विधि से स्वस्थ करें, सुखी करें और सुरक्षित करें।  आपका धन्यवाद है।

16- आभामंडल को वापस जरूरी

वापस भेजने के लिए

इस तरह से संजीवनी उपचार पूरा करेंगे जो भी विधि ऊपर आपको बताई गई हैउसके बाद जब उस व्यक्ति का संजीवनी उपचार पूरा हो जाएगा तब उसके आभामंडल को वापस भेजना जरूरी हैवापस भेजने के लिए कहेंगे 

__________ जी के दिव्य आभामंडल! आप को मेरा प्रणाम है। आपने मेरे द्वारा दी गई ऊर्जाओ को स्वीकार किया। मेरे द्वारा दिए गए ऊर्जा निर्देश को स्वीकारा। अब आप —— के पास वापस जाएं उन्हें तन से, मन से, धन से स्वस्थ करें, सुखी करें, सुरक्षित करें और मेरे अनुकूल करें. इन्हें सदा मेरे अनुकूल और खुश बनाए रखें।

( यहां अनुकूल बनाने की लाइन इसलिए जोड़नी अनिवार्य है ताकि वह व्यक्ति जिसका आप संजीवनी उपचार कर रहे हैं वह आपके अनुकूल रहे जैसे ही वह व्यक्ति आपके प्रतिकूल हो जाएगा आपके अनुकूल नहीं रहेगा आपके बारे में कुछ नकारात्मक सोच लेगा वैसे ही आप द्वारा दी गई ऊर्जाए उसके पास से वापस आपके पास चली आएंगी और वह व्यक्ति पुनः उसी परेशानी में  और समस्याओं में घिर जाएगा जिनको हटाने के लिए जिन को समाप्त करने के लिए आपने उसका संजीवनी उपचार किया था यह प्रकृति का नियम है आप द्वारा की गई संजीवनी उपचार का फायदा उसको लंबे समय तक मिले इसके लिए जरूरी है कि वह आपके अनुकूल बना रहे। 

मंत्र उपचार के अलौकिक और चमत्कारिक परिणाम इंतजार करें मंत्र में सफलता के लिए आपको मेरी बहुतबहुत शुभकामनाएं। 

  1. Kundalini chakra or perinium chakra 
  2. Basic chakra or mooladhaar chakra (ganesh ji )
  3. Sex chakra or swadishthan chakra (bhrama ji)
  4. Naval chakra or nabhi chakra (kuber ji)
  5. Maingmen chakra
  6. Solar or Manipur (Vishnu )
  7. Past karma chakra
  8. Heart chakra or anahat chakta (shiv ji )
  9. Vishudhi chakra or throat chakra (saraswati maa shaktiyan )
  10. Master chakra or agya chakra (Lakshmi maa ka sthan)
  11. Third eye chakra or forehead chakra (parwati maa)
  12. Crown chakra or saubhagya chakra or sahastrar chakra (parmatma )