
जो लोग बार बार आर्थिक संकट के शिकार हो जाते हैं। फाइनेंस में लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। योग्यता और क्षमता के बाद भी जिनकी आर्थिक स्थिति वैसी नही हो पा रही जिसके वे हकदार हैं। उनके लिये लक्ष्मी सम्मोहन साधना वरदान से कम नही। ऋषिकाल से असंख्य लोगों ने इस विधान को सटीक पाया है।
लक्ष्मी सम्मोहन यंत्र
इस साधना के तहत धन की देवी लक्ष्मी को आकर्षित किया जाता है. अनाहत चक्र मन की गति से काम करता है. साथ ही उसमें सम्मोहन का दैवीय गुण होता है. हमारे ऋषि- मुनि वेदकाल से इस दैवीय गुण का उपयोग करके इंशान ही नही देवी देवताओं का भी अपने प्रति सम्मोहन करते आये हैं. लक्ष्मी सम्मोहन साधना में भी इसी का उपयोग किया जाता है.
साधना के समय साधक अपने अनाहत चक्र को मां लक्ष्मी के आभामंडल के साथ लगातार जोड़ कर रखें। इसके लिये सिद्ध लक्ष्मी सम्मोहन यंत्र या लक्ष्मी गुटिका का उपयोग सिद्धों द्वारा अचूक माना गया है।
यह यंत्र साधक अपने गुरू से या विद्वान आचार्यों द्वारा सिद्ध करायें। यदि यंत्र सिद्धी विज्ञान के प्रयोगकर्ता हैं तो साधक इसे स्वयं ही सिद्ध कर सकते हैं। यदि गुरू, आचार्य दल और विधान की जानकारी नही है तो एेसे साधक मृत्युंजय योग संस्थान से यत्र सिद्ध करा सकते हैं। इसके लिये आगे दिये लिंक से रजिस्ट्रेशन करें। रजिस्ट्रेशन होते ही संस्थान के विद्वान सम्पर्क करेंगे, यंत्र सिद्धि हेतु विवरण लेंगे। सिद्ध करके यंत्र और साधना सम्बंधित विधान भेजेंगे। साधना के दौरान वांछित सहयोग करते रहेंगे।
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मनोवांछित परिणामों के लिये साधना गुरू के मार्गदर्शन में हीं करें। गुरू से अपने आभामंडल और उर्जा चक्रों को साफ कराकर उर्जित करायें। सिद्धि हेतु उन्हें सक्षम बनायें। साथ ही पंचतत्वों की उर्जायें सशक्त करें। कुंडली चक्र और सौभाग्य चक्र को विशेष रूप से उर्जावान बनायें। साधना के समय साधना मंत्र के बीज मंत्रों को अपने उर्जा चक्रों में स्थापित करके रखें। अपने आभामंडल को इष्ट के आभामंडल से लगातार जोड़े रखें।
एनर्जी गुरू श्री राकेश आचार्या जी ने इस साधना के शास्त्रीय विधान को उर्जा विज्ञान के अनुरूप प्रस्तुत किया है। जिससे साधाना न सिर्फ सरल हो गई है बल्कि सिद्धि की सम्भावनायें अनेकों गुना प्रबल हो गई हैं।
साधक के अनाहत चक्र को सक्रिय करके माता लक्ष्मी के अनाहत चक्र के साथ जोड़ दिया जाता है. साथ ही अनाहनत चक्र की प्रोग्रामिंग की जाती है कि वह मां लक्ष्मी को साधक के लिये सम्मोहित करे. सदैव उन्हें साधक के प्रति सम्मोहित बनाये रखे.
इस सम्मोहन का मुख्य आधार साधक और माता लक्ष्मी की उर्जायें होती हैं.
मां लक्ष्मी की उर्जाओं में धन को आकर्षित करते रहने की विशेष प्राकृतिक क्षमता होती है. इसलिये उनकी उर्जायें आकर्षित होकर जब साधक के आभामंडल में स्थापित हो जाती हैं तो मानों मां लक्ष्मी साक्षात् साधक के जीवन में स्थापित हो जाती हैं.
साधक के अनाहत चक्र को माता लक्ष्मी के अनाहत चक्र से जोड़कर उन्हें सम्मोहित करने की कई सक्ष्म विधियां उपलब्ध हैं.
जो साधक बहुत नियम संयम का पालन करते हैं और वर्षों धैर्य के साथ साधना करने की क्षमता वाले हैं वे मंत्रों के विधान से इस क्रिया को पूरा करते हैं. इस विधि में कुछ साल लगते हैं.
सिद्धी होने पर साधक कुबेर की तरह धनवान बन जाता है.
जो साधक सीधे उर्जाओं का उपयोग करने में सक्षम होते हैं वे अपने अनाहत चक्र को सक्रिय करके उसे माता लक्ष्मी के अनाहत चक्र की उर्जाओं से कनेक्ट कर लेते हैं. फिर अपना उद्देश्य पूरा कर लेते हैं. इस विधि में पहले की अपेक्षा बहुत कम समय लगता है. लक्ष्मी सम्मोहन होत ही साधक धनपति बन जाते हैं.
क्या लक्ष्मी सम्मोहन साधना घर से भी की जा सकती है
हां। जो साधक लगन और समर्पण में सक्षम हैं वे अपने स्थान से ही लक्ष्मी सम्मोहन साधना करते हैं. मगर इसके लिये जरूरी है कि साधना की पद्धति और विधान का सम्पूर्ण ज्ञान हो. जीवन में धन और अनाहन चक्र दोनों की अत्यत्न संवेदनशील बिंदु हैं. इस कारण इस साधना में चूक भारी पड़ती देखी गई है. साधक इस साधना को मार्गदर्शक गुरू की देखरेख में ही करें.
लक्ष्मी सम्मोहन साधना विधान
एनर्जी गुरू श्री राकेश आचार्या जी द्वारा उर्जा विज्ञान के साथ सम्पादित साधना विधान प्रस्तुत है। यह गोपनीय है। किसी के साथ शेयर न करें। इसे ठीक से पढ़ कर समझ लें। उत्तर दिशा में मुंह करके साधना संपन्न करें.
साधना का मंत्र-
ॐ ह्रीं ह्रीं अष्टलक्ष्मी मम गृहे आगच्छ आगच्छ स्वाहा
घर में हो तो लक्ष्मी जी का फोटो रखें या श्री यंत्र रखें ।
लक्ष्मी गुटिका है या लक्ष्मी सम्मोहन के लिये सिद्ध समृद्धि यंत्र पूजा स्थान पर रख लें। साधना में इन दोनो सिद्ध चीजों में से किसी एक का ही उपयोग करना है। मार्गदर्शक गुरू तय करेंगे आपकी एनर्जी से इनमें किसकी एनर्जी मैच करती है।
मां लक्ष्मी से उर्जा कनेक्टिविटी के लिये यह अनिवार्य है। कनेक्टिविटी के बाद ही मां लक्ष्मी, उनकी शक्तियां, उनका वैभव, धन आकर्षित होते हैं।
साधना के लिए लाल आसन का उपयोग करें
अगर लाल आसन ना हो तो जो भी आसन है . उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछा कर बैठे .
साधना के समय लाल कपड़े पहने .अगर लाल कपड़े ना हो तो कंधे पर कोई भी लाल वस्त्र डालें .
इत्र लगाएं .साधना स्थल पर सुगंध करें .
सरसों के तेल का दिया जलाएं.
उसमें 2 हरी इलायची डालें। जो साधना पूरी होने तक दीपक में ही रहेंगी।
मीठी चीज का भोग लगाएं
मां लक्ष्मी को किसी सफेद मिठाई का भोग लगायें।
मंत्र जाप के लिए स्फटिक माला का उपयोग करें
जिन साधकों के पास स्फटिक माला नहीं है वे लोग रुद्राक्ष माला का उपयोग करें।
साधना आप अपनी सुविधा अनुसार सुबह 4:00 बजे से 9:00 के बीच या फिर रात में 10:00 बजे से 2:00 के बीच कभी भी कर सकते हैं।
साधना में रोज 21 माला मंत्र जाप करना है . इसे आप कई बार में भी कर सकते हैं.
साधना के समय जब लगे कि कहीं से पायल की आवाज आ रही है, चूड़ियों की आवाज आ रही है, किसी दिव्य मनमोहक हंसी की आवाज आ रही है या देवी आसपास आ गयी हैं तो मन ही मन उन्हें धन्यवाद देकर मन्त्र जप जारी रखें। ऐसा बार बार हो सकता, ध्यान मन्त्र जप पर ही केंद्रित रखें।
साधना के आग्रह और संकल्प
जब भी साधना करने बैठेंगे तब हर बार आगे दिए आग्रह और संकल्पों को दोहराएंगे।
1- सबसे पहले संजीवनी शक्ति से आग्रह
कहें- हे दिव्य संजीवनी शक्ति मुझ पर दैवीय ऊर्जाओं की बरसात करके शक्तिपात करें ।
मेरे द्वारा की जा रही अष्टलक्ष्मी सिद्धि साधना सिद्ध हो। इस हेतु मेरे तन मन मस्तिष्क आभा मंडल ऊर्जा चक्रों को और कुंडलिनी को ऊर्जित करें, उपचारित करें, स्वस्थ करें, सर्वोत्तम करें। मेरे सम्मुख स्थापित लक्ष्मी गुटिका या लक्ष्मी सम्मोहन यंत्र के माध्यम से ब्रह्मांड की दैवीय उर्जायें ग्रहण करें। उनके द्वारा मुझे मेरे गुरुदेव भगवान शिव के चरणों से जोड़कर रखते हुए मेरे आभामंडल को मां लक्ष्मी के आभामंडल के साथ जोड़ दें और सदैव जोड़ कर रखें । इसके साथ ही मेरे सूक्ष्म शरीर को एनर्जी गुरु राकेश आचार्य जी के सूक्ष्म शरीर से जोड़ कर रखें ताकि साधना सिद्धि के लिए उनकी उर्जायें भी मुझे हर पल हर क्षण प्राप्त होती रहे।
आपका धन्यवाद।
2- भगवान शिव से आग्रह करें
कहें- हे देवाधिदेव महादेव हे मेरे गुरुदेव आप को मेरा प्रणाम है ।आप मेरे मन को स्वस्थ और सुखमय शिव आश्रम बनाकर इसमें माता महेश्वरी भगवान गणेश जी सहित सपरिवार विराजमान हों। आप को साक्षी बनाकर मैं लक्ष्मी सम्मोहन साधना संपन्न कर रहा हूं। इसकी सफलता हेतु मुझे अनुमति प्रदान करें, दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें।
आपका धन्यवाद है।
3- माता लक्ष्मी से आग्रह करें
कहें- हे माता महालक्ष्मी आपको प्रणाम है। भगवान विष्णु के साथ मेरे मन मंदिर में विराजमान होइए। मैं अपने गुरुदेव भगवान शिव को साक्षी बनाकर आपके अष्टलक्ष्मी स्वरूपों की कृपा और सिद्धि प्राप्त करने हेतु
ॐ ह्रीं ह्रीं अष्टलक्ष्मी मम गृहे आगच्छ आगच्छ स्वाहा
मंत्र का जाप करके साधना संपन्न कर रहा हूं , मेरे द्वारा की जा रही साधना को शुद्ध सिद्ध सुफल करके स्वीकार करें साकार करें। मुझे और मेरी आने वाली पीढ़ियों को अखंड लक्ष्मी सुख प्रदान करें।
आपका धन्यवाद है।
4- मंत्र से आग्रह करें
कहें- हे दिव्य लक्ष्मी सम्मोहन मंत्र
ॐ ह्रीं ह्रीं अष्टलक्ष्मी मम गृहे आगच्छ आगच्छ स्वाहा
आप को मेरा प्रणाम है आप मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरे लिए सिद्ध हो जाइए। मैं आप का जाप करके लक्ष्मी सिद्धि साधना कर रहा हूं , मुझे लक्ष्मी सिद्धि प्रदान करिए।
आपका धन्यवाद।
5- अपनी शक्तियों से आग्रह करें
कहें- मेरे तन मन मस्तिष्क आभामंडल ऊर्जा चक्र और मेरी कुंडलिनी सहित मेरे सभी शक्ति केंद्रों और मेरे हृदय सहित मेरे सभी अंगों। 33 लाख से अधिक रोम छिद्रों। आप सब को नमन है। मेरे सम्मुख स्थापित सिद्ध लक्ष्मी सम्मोहन यंत्र/ लक्ष्मी गुटिका के माध्याम से ब्रह्मांड की लक्ष्मी सिद्धिदायी उर्जाओं को ग्रहण करें। सक्रिय हो जाइए, जागृत हो जाइए। लक्ष्मी सिद्धि मंत्र
ॐ ह्रीं ह्रीं अष्टलक्ष्मी मम गृहे आगच्छ आगच्छ स्वाहा
के साथ जुड़ जाइए । इनके बीज मंत्रों को अपने अंदर स्थापित कर लीजिए। मेरे साथ मिलकर आप इस मंत्र का जाप करिए। ब्रह्मांड से माता अष्टलक्ष्मी की ऊर्जाओं को सम्मोहित करके अपनी तरफ आकर्षित करिए। उन्हें अपने अंदर धारण करिए, स्थापित करिए और मुझे लक्ष्मी सिद्धि हेतु सब विधि से सक्षम बनाइए।
आपका धन्यवाद।
इन संकल्पों के बाद मंत्र जाप आरंभ करिए और साधना पूरी करिए।
आपकी साधना सिद्ध हो, आपको और आपकी आने वाली पीढ़ियों को लक्ष्मी सुख प्राप्त हो ऐसी हमारी कामना है।
जय माँ लक्ष्मी।।
साधना हेल्पलाइन +91 9999945010