समय से पहले आ रहे बुढ़ापे पर कंट्रोल और जवान बने रहने का अलौकिक साइंस: कायाकल्प साधना

कम उम्र में बाल सफेद होना, असमय बीमारियां लगना, चेहरे का तेज समाप्त हो जाना, पर्सनैलिटी का आकर्षण खत्म हो जाना, आलसी होना, उत्साह में कमी, उदासी और डिप्रेशन की प्रवृत्ति। उर्जा प्रवाह से कोशिकाओं का पुनर्जनन करके न सिर्फ इन सबको रोका जा सकता है। बल्कि बढ़ती उम्र का बुढापा भी थम जाता है। स्वस्थ, सफल, सुखी जीवन के लिए सभी उम्र के लोगों को कायाकल्प करना चाहिए।
कायाकत्प रुद्राक्ष
इसे विशेष अनुष्ठान के द्वारा साधक के आभामंडल से मैच कराकर सिद्ध किया जाता है। फिर सेल्स रिजनरेशन के लिये प्रोग्राम किया जाता है। तब कायाकल्प रुद्राक्ष संजीवनी शक्ति का उपयोग करके शरीर की कोशिकाओं (सेल्स) में मौजूद सूक्ष्म उर्जा चक्रों को उर्जित करता है। उनका पुनर्जनन करता है। जिससे कोशिकाओं के मरने की दर नियंत्रित होती है। सभी जानते हैं सेल्स का रिजनरेशन बीमारियों और बुढ़ापे को कंट्रोल करता है। कायाकल्प में इस तरह सिद्ध व प्रोग्राम किये गये रुद्राक्ष के परिणाम युगों से उत्साह जनक रहे हैं।


कायाकल्प रुद्राक्ष सिद्धि अनुष्ठान रजिस्ट्रेशन
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समय से पहले बुढ़ापे के कारण
– वैज्ञानिकों के मुताबिक शरीर में पुरानी कोशिकाओं के मरने और नई कोशिकाओं के बनने का क्रम 40 साल की उम्र तक चलता है।
– उसके बाद नई कोशिकाएं बननी बंद हो जाती हैं।
– प्रायः पुरानी कोशिकाओं के मरने या बीमार होने की प्रक्रिया ही बीमारियों, बुढ़ापे का कारण होती हैं।
– यदि उन्हें रिजनरेट कर दिया जाए तो वे बीमारी और बुढ़ापे को रोकने में सक्षम हैं।
– इसी को कायाकल्प कहा जाता है।
– कोशिकाओं को रिजनरेट करने में प्राण ऊर्जा अत्यधिक कारगर होती है।
– इसके उपयोग से कायाकल्प का विधान युगों से शानदार परिणाम देते आए हैं।
– इन्हीं में से एक विधान है कायाकल्प साधना का।


कायाकल्प साधना :
बढ़ती उम्र पर कंट्रोल का स्पिरिचुअल साइंस, युगों से कायाकल्प में सक्षम
कायाकल्प मंत्र:
ॐ ह्रौं जुं सः मम कायाकल्प कुरू कुरू सः जुं ह्रौं ॐ
कायाकल्प रुद्राक्ष पहन कर की गई काया कल्प साधना वाकई विलक्षण परिणाम देती है. इससे न सिर्फ रोगों से बचाव होता है बल्कि बढ़ती उम्र का दुष्प्रभाव थम जाता है. साथ ही जीवन तनाव मुक्त होकर स्थिरता को प्राप्त करता है. इससे साधक तन से, मन से, धन से सुखी और संतुष्ट होते हैं.
कायाकल्प शरीर की सबसे छोटी इकाई कोशिका को रिजनरेट करने की प्रक्रिया है.
ऐसा तभी संभव है जब शरीर और मन विकार मुक्त हो इसके लिए संजीवनी शक्ति बहुत ही प्रभावी कार्य करती है. हमारा शरीर सेल्स (कोशिकाओं) का समूह है. 76 हजार मिलियन से भी अधिक कोशिकाएं मिलकर शरीर की रचना करती है. कोशिकाओं से टिशू बनते है. टिशू मांसपेशियों और ऑर्गन्स का निर्माण करते हैं. इस तरह से कोशिका शरीर की सबसे छोटी इकाई होती है.
विज्ञान बताता है कि हर कोशिका में कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और फैट होते हैं. शरीर के संचालन में कोशिका उनका उपयोग करती है.
ऊर्जा विज्ञान के मुताबिक हर कोशिका में एक ऊर्जा चक्र भी होता है. उसी की ऊर्जा से कोशिका अपने भीतर स्टोर प्रोटीन, फैट और कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करती है.
कोशिका में संचित प्रोटीन की इलास्टिसिटी कम होने पर उसमें लचक आ जाती है. जिसका असर स्किन पर ब्लैक स्पॉट, धब्बे या झुर्रियों के रूप में दिखता है. उम्र बढ़ने के साथ कोशिका का यह खिंचाव कम होता रहता है.
इसी कारण बुढ़ापे का शरीर ढीला और लस्त पस्थ होता जाता है. यह अधिकांश बीमारियों का भी प्रमुख कारण होता है.
अगर कोशिका की प्रोटीन के खिंचाव को बनाए रखा जाए या उसे रिजनरेट कर दिया जाए तो शरीर में ठहराव आ जाता है. उम्र के साथ वो बूढ़ा नहीं दिखता. बीमारियां कम लगती है. व्यक्तित्व में आकर्षण बना रहता है.
आजकल खानपान में मिलावट और रहन-सहन में तनाव के कारण कोशिकाओं की प्रोटीन पर भारी दुष्प्रभाव होता है. इसी कारण कम उम्र में बाल सफेद होना, बीमारियां लगना, चेहरे का तेज समाप्त हो जाना, पर्सनैलिटी का आकर्षण खत्म हो जाना, आलसी हो जाना, उत्साह में कमी आना और उदासी की प्रवृत्ति पनप जाती है.
कोशिका के ऊर्जा चक्र को उपचारित करके उसके भीतर के प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, और फैट को बेहतर बनाया जा सकता है.
इसी को ऊर्जा विज्ञान में संजीवनी कायाकल्प कहा जाता है.


कायाकल्प साधना के नियम

  1. साधना का समय:
    20 मिनट प्रतिदिन किसी भी समय. यदि यात्रा में है तो कहीं रुकने पर कर ले. लेकिन चलते फिरते बिल्कुल ना करें.
  2. साधना की दिशा:
    पूर्व मुख होकर.
  3. साधना का मंत्र:
    ॐ ह्रौं जुं सः मम कायाकल्प कुरू कुरू सः जुं ह्रौं ॐ
  4. मंत्र जाप का तरीका:
    मन ही मन, बिना माला.
  5. साधना का आसन:
    कोई भी आराम दायी आसन या कुर्सी, सोफे पर भी कर सकते हैं.
    सोने वाले बिस्तर पर बिल्कुल न करें.
  6. साधना की सावधानी:
    साधना से काल में आलोचनाएं बिल्कुल न करें.
    गुस्से से भी बचे रहे तो शानदार परिणाम मिलेंगे।
    किसी कारण वश साधना नहीं कर पाएं तो भी कायाकल्प रुद्राक्ष धारण करके रखें।
    यह रुद्राक्ष अपने स्तर पर कोशिकाओं को उर्जित करता रहता है।

कायाकत्प रुद्राक्ष
इसे विशेष अनुष्ठान के द्वारा आपके लिये सिद्ध किया गया है। कायाकल्प रुद्राक्ष संजीवनी शक्ति का उपयोग करके शरीर की कोशिकाओं (सेल्स) में मौजूद सूक्ष्म उर्जा चक्रों को उर्जित करता है। उनका पुनर्जनन करता है। जिससे कोशिकाओं के मरने की दर नियंत्रित होती है। सेल्स का पुनर्जनन बीमारियों और बुढ़ापे को कंट्रोल करता है। कायाकल्प में इस तरह सिद्ध व प्रोग्राम किये गये रुद्राक्ष के परिणाम युगों से उत्साह जनक रहे हैं।
कायाकत्प साधना विधान
कायाकल्प रुद्राक्ष धारण करके आराम से बैठ जाएं।
श्री गणेशाय नमः बोलकर
5 मिनट ताली बजाएं या कोई योग, एक्सरसाइज करें।

  1. संजीवनी शक्ति से आग्रह:
    कहें- हे दिव्य संजीवनी शक्ति मुझ पर दैवीय मृत्युंजय शक्ति का शक्तिपात करें. मेरे तन, मन, मस्तिष्क, आभामंडल, ऊर्जा चक्रों, रोम रोम में और सभी कोशिकाओं में प्रवाहित हो जाएं। उनकी सफाई करें। उन्हें नकारात्मकता से मुक्त करें. मेरे रोम रोम को ऊर्जावान करके सुख दायी बनायें. मेरे मन को सुखमय शिव आश्रम बना दे. मुझे कायाकल्प साधना की सफलता हेतु सक्षम बनाएं.
    आपका धन्यवाद.
    उनके बाद 16 बार लंबी और गहरी सांस धीरे धीरे लें और धीरे धीरे छोड़ें।
  2. मृत्युंजय भगवान से आग्रह:
    कहें- हे देवाधिदेव महादेव मेरे गुरुदेव मृत्युंजय स्वरूप में मेरे मन मंदिर में विराजमान हो. मैं आपको साक्षी बनाकर एनर्जी गुरु राकेश आचार्या जी द्वारा वर्णित संजीवनी कायाकल्प साधना संपन्न कर रहा/रही हूं. साधना की सफलता हेतु आप मुझे गुरु रूप में अनुमति प्रदान करें। दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें. मृत्युंजय शक्ति प्रदान करें।
    आपका धन्यवाद.
  3. कायाकल्प रुद्राक्ष से आग्रह:
    कहें- हे दिव्य रुद्राक्ष आपको मेरे कायाकल्प हेतु सिद्ध किया गया है, प्रोग्राम किया गया है। आप मेरी भावनाओं के साथ सदैव जुड़े रहें। मेरी भावनाओं के अनुरूप मेरा कायाकल्प करें। ब्रह्मांड से संजीवनी शक्ति ग्रहण करके उसे मेरी सभी कोशिकाओं में, रोम रोम में प्रवाहित करें। उनका पुनर्जनन करें.
    आपका धन्यवाद.
  4. अपनी शक्तियों से आग्रह:
    कहें- मेरे तन, मन, मस्तिष्क, आभामंडल, ऊर्जा चक्र, मेरी कुंडलिनी, रोम-रोम आप सब कायाकल्प रुद्राक्ष के जरिए प्राप्त संजीवनी शक्ति को ग्रहण करके अपने अंदर धारण करें. स्वच्छ हो, सुडौल हो, मखमली हो, ऊर्जावान हो, शक्तिशाली हो. मेरा कायाकल्प करें। मुझे सिद्धि, प्रसिद्धि, समृद्धि का सुख प्राप्त करने हेतु सक्षम बनाएं.
    आपका धन्यवाद.
  5. ऊर्जा चक्रों का कायाकल्प:
    ऊपर के संकल्प पूरे कर लेने के बाद ऊर्जा चक्रों में मृत्युंजय शक्ति स्थापित करें। इससे उनका कायाकल्प और जागरण होगा।
    सबसे पहले …
    पीठ की तरफ नीचे रीढ़ की हड्डी के अंत में स्थित मूलाधार चक्र पर ध्यान ले जाएं।
    चक्र से कहें- कायाकल्प हेतु संजीवनी शक्ति को मेरे द्वारा धारण सिद्ध रुद्राक्ष के द्वारा ग्रहण करें। अपने भीतर क्लॉकवाइज दिशा में प्रवाहित करें। अपना और अपने से जुड़े सभी अंगों का पुनर्जनन करें। स्वस्थ, सुडौल और सर्वोत्तम बनें। मेरा कायाकल्प करें।
    आपका धन्यवाद।
    ऐसा कहकर
    ॐ ह्रौं जुं सः मम कायाकल्प कुरू कुरू सः जुं ह्रौं ॐ
    मंत्र का 5 मंत्र जप करें।
    इसी तरह स्वाधिष्ठान चक्र (जननांगों के ऊपर),
    नाभि चक्र (नाभि पर),
    मणिपुर चक्र (दोनों पसलियों के बीच),
    अनाहत चक्र (छाती के बीच),
    विशुद्धि चक्र (गले के बीच),
    आज्ञा चक्र (दोनों भौहों के बीच),
    थर्ड आई चक्र (माथे के बीच),
    ब्रह्म चक्र (सिर के ऊपर) ध्यान लगाकर करें।
    उसके बाद 20 मिनट मंत्र जप करें। उसके बाद दोबारा 5 मिनट ताली बजाएं। या कोई योग, एक्सरसाइज करें।

    सबका जीवन सुखी
    हो यही हमारी कामना है.
    एनर्जी गुरु राकेश आचार्या
    Helpline:- 9250500800