भोजन से बड़ा कोई दान नहीं होता।

- भोजन दान विपत्तियों को खा जाता है।
- भोजन दान का सिद्धांत: कम से कम एक व्यक्ति का पेट भर जाए, इतना दान करें।
इससे आभामंडल में मौजूद दुख देने वाली, काम बिगाड़ने वाली, नुकसान करने वाली, कलह मचाने वाली, गरीबी लाने वाली, बीमारियां फैलाने वाली और इनके सहित पीड़ा परेशानी पैदा करने वाली सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जाएं निकल जाती हैं। आभामंडल साफ होकर सुख, समृद्धि, सुरक्षा देने वाला बन जाता है। - इसीलिए शास्त्रों से लेकर सिद्ध तक सब भोजन दान की बात कहते हैं।
- कृपया आगे डोनेशन फॉर्म में अपने माता पिता का नाम अवश्य लिखें। उसके आधार पर आपको सूक्ष्म चेतना आवाहन के द्वारा संस्थान से संचालित मां अन्नपूर्णा अनुष्ठान में शामिल किया जाएगा।
- अध्यात्म श्रद्धा, विश्वास, समर्पण और संचित कर्मों पर आधारित है। उसी के मुताबिक परिणाम मिलते हैं।
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