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हठ योगियों को कुंडली रातों रात सिद्ध पुरुष बना देती है

29 मई 2016, मेरी कुण्डली आरोहण साधना- 12
हठ योगियों को कुंडली रातों रात सिद्ध पुरुष बना देती है.

प्रणाम मै शिवांशु
कुण्डली शक्ति विष्णु तत्व का उपयोग करके व्यक्ति को विष्णु तुल्य और शिव तत्व का उपयोग करके शिव तुल्य बनाने में सक्षम है. ये आपने जान लिया. ये भी जाना कि कुंडली शक्ति सभी तरह के भौतिक सुख उत्पन्न करती है.
अब आगे…

भौतिक जीवन के परिश्रमी लोगों की कुंडली खुद ही जाग जाती है. तुल्सीयायन महाराज ने गुरुदेव से अपने शिष्यों की तरफ से सवाल किया. तो क्या योगियों के लिये भी ऐसी कोई अवस्था है ? इनको बताएं.
हाँ बिलकुल है. आपको भी कुंडली शक्ति की बारीकियां भली भांति पता हैं. गुरुवर ने पहली बार अपने जवाब में जाहिर किया कि वे जो बता रहे हैं उनमें से ज्यादातर बातें तुल्सीयायन महाराज को पहले से ही मालूम हैं.
ये सुनकर मै दंग रह गया. तुल्सीयायन महाराज के ज्यादातर शिष्य भी अचरज में जाते दिखे. क्योंकि पूरी व्याख्या के दौरान तुल्सीयायन महाराज गुरुदेव को ऐसे सुन रहे थे जैसे हमारी तरह वे भी ये सब पहली बार सुन रहे हों. इससे मुझे उनसे ये सीखने को मिला कि एक अच्छा श्रोता होना महानता की पहचान है.
तुल्सीयायन महाराज बस मुस्कराकर रह गए. उनके दमकते चेहरे पर मुस्कराहट सदैव सम्मोहन पैदा करती है.
गुरुदेव ने आगे बताया योगियों की कुंडली तो जाग्रत होने के लिये उतावली सी बैठी रहती है. बशर्ते योगी उसकी गतिविधियों को समझ पाएं. सूर्य नमस्कार का योग कुंडली पर तेज असर डालता है. प्राय: सभी तपस्वी सूर्य नमस्कार अपनाते हैं. वे शारीरिक श्रम की भरपाई इसी से करते हैं. अष्टक योग भी काफी कारगर होता है. तपस्वियों द्वारा इसे भी व्यापक रूप से अपनाया जाता है.
मानसिक श्रम के रूप में तपस्वी अपन विचार गुरु पर या अपने इष्ट पर केंद्रित करते हैं.
हठ योग विचारों को तेजी से केंद्रित करता है. ये मानसिक श्रम के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है. इसी कारण हठ योगियों की कुंडली जागते ही दूसरों की अपेक्षा ज्यादा तेजी से चक्रों का भेदन करती हैं. और देखते ही देखते वे सिद्ध पुरुष बन जाते हैं. मगर हठ योग अपनाने से पहले उसके भले बुरे सभी पक्षों को अच्छी तरह समझ लेना अनिवार्य होता है.
प्राय: साधू , सन्यासी और योगी कम शारीरिक श्रम के कारण ही कुंडली जागरण में पिछड़ते हैं. ऐसा नही है कि वे आलसी होते हैं. दरअसल उनके पास करने के लिये कुछ खास काम ही नही होता. ये विज्ञान उन्हें पता ही नही होता. जिसके कारण इस तरफ उनका ध्यान ही नही जाता. उन्हें तो सिर्फ ये बताया जाता है कि ज्यादा से ज्यादा ध्यान साधनाओं और भगवत भजन से कुंडली जागती है. सो वे अपना अधिकांश समय उसी में लगते हैं. इस तरह वे मानसिक श्रम तो कर रहे होते हैं, मगर शारीरिक श्रम से दूर रह जाते हैं. जिससे उनकी कुंडली जागने की प्राकृतिक संभावनाएं लगातार कम होती जाती हैं.
एक अनुमान के मुताबिक 4 प्रतिशत से भी कम सन्यासियों को कुंडली जागरण में सफलता मिल पाती है. उनकी अपेक्षा योगियों की कुंडली जागरण की सम्भावना 50 गुना अधिक होती है. मगर ज्यादातर योगी मानसिक श्रम में चूक जाते हैं.
जो सक्षम गुरु होते हैं वे अपने खास शिष्यों से बहुत शारीरिक श्रम कराते हैं. साथ ही उनसे पर्याप्त ध्यान साधनाएं भी कृते हैं. जो उनकी कुंडली को जाग्रत करने में सहायक होता है.

अघोरी सन्यासियों की क्रियाओं में मानसिक और शारीरिक श्रम की व्यापक गतिविधियाँ होती हैं. यही कारण है कि इस पंथ के सन्यासियों को दूसरे सन्यासियों की अपेक्षा सिद्धियां जल्दी प्राप्त हो जाती हैं.

मित्र इन लोगों को कुंडली जागरण साधनाओं की भ्रांतियों और खतरों का विज्ञान भी बताएं. तुल्सीयायन महाराज ने गुरुवर से कहा. वे ऐसे जिज्ञासा व्यक्त कर रहे थे जैसे हमारे गुरुवर ऊर्जा नायक के मुह से कुंडली का विज्ञान पहली बार सुन रहे हों. और सुनने में उन्हें बहुत मजा आ रहा हो.
गुरुवर उनकी तरफ देखकर मुस्कराये.
उसके बाद गुरुदेव ने जो जानकारी दी वो वाकई डराने वाली थी. उन्होंने बलपूर्वक या नादानी पूर्वक कुंडली जगाने वाली साधनाओं के दुष्परिणामों के बारे में बताया.
जिसे सुनकर कुछ समय के लिये हम सभी साधक भीतर ही भीतर डर गए.
ऐसा क्या बताया गुरुवर ने. ये मै आपको आगे बताऊंगा.
…. क्रमशः ।
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.