
कब और कौन करें…
● जिनके धन कमाने के जीवन भर के प्रयास विफल रहे हैं
● दरिद्रता और कर्ज की पीड़ा जिनका पीछा नही छोड़ रही
● लक्ष्मी, कुबेर की साधनाएं भी जिन्हें धन न दे सकीं
● मेहनत, योग्यता के बाद जिनका धन, सम्मान भंग है
जो वाकई बड़े आदमी बनना चाहते हैं वे यह साधना कर लें। मनचाहा धन पाना सबकी चाहत होती है। ऐसे में इस तरह की साधनाएं चमत्कार जैसी परिस्थितियां प्रदान करती हैं। राम चरित मानस में लिखा है दरिद्रता से बड़ा कोई दुख नही होता। दरिद्रता के अनेकों रूप होते हैं। कुछ लोग बहुत कमाते हैं। फिर भी घर खर्च चलाना मुश्किल होता है। कमाया धन व्याज, व्याधि, विवादों में चला जाता है। इन लोगों को तिल तिल छटपटाते जीवन बिताने की बजाय अध्यात्मिक पुरुषार्थ जगाना लेना चाहिये। इसके लिये युगों से स्वार्णाकर्षण भैरव साधना बहुत प्रभावी सिद्ध हुई है।
स्वर्णाकर्षण साधना की सफलता के लिये उर्जा कनेक्टिविटी अनुष्ठान
अपने आभामंडल की कनेक्टिवटी स्वर्णाकर्षण भैरव जी की उर्जाओं साथ कर लेनी चाहिये। इसके लिये विशेष अनुष्ठान का प्रवधान है। अपने गुरू या स्वर्णाकर्षण विद्या के किसी जानकार से अनुष्ठान का आग्रह करें। अनुष्ठान सम्पन्न होने पर साधक का सूक्ष्म शरीर स्वर्णाकर्षण भैरव जी के उर्जा क्षेत्र से कनेक्ट हो जाता है। तब साधक द्वारा जपे जाने वाले मंत्र की उर्जा सीधे स्वर्णाकर्षण उर्जा के साथ मिलकर जीवन में स्वर्ण, धन, सम्पत्ति आकर्षित कर लाती है। मान, सम्मान, प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।
साधक चाहें तो स्वर्णाकर्षण भैरव उर्जा कनेक्टिविटी अनुष्ठान मृत्युंजय योग संस्थान से भी सम्पन्न करा सकते हैं। इसके लिये रजिस्ट्रेशन लिंक का उपयोग करके अपना रजिस्ट्रेशन करा लें। रजिस्ट्रेशन होते ही हमारी आचार्य टीम के सहयोगी आपसे सम्पर्क करके जरूरी विवरण प्राप्त करेंगे। जिसके आधार पर अनुष्ठान सम्पन्न होेगा।
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एक बार देवताओं का दैत्यों के साथ विवाद हो गया। युद्ध हुआ। लंबा चला। देवताओं के खजाने खाली हो गए। कुबेर, लक्ष्मी तक धनहीन हो गए। त्राहि त्राहि मच गई।
समस्या का हल ब्रह्मा, विष्णु के पास भी न मिला। उनकी सलाह पर देवता शिव जी के पास गए। देवाधिदेव ने माता लक्ष्मी और कुबेर देव को भैरव जी की विशेष साधना का विधान बताया। साधना स्थल श्री बद्रीनाथ क्षेत्र के पास ऊंचे पहाड़ों के बीच बताया।
माता लक्ष्मी और कुबेर जी ने वहां रहकर कठोर साधना की। स्वर्णाकर्षण भैरव प्रशन्न हुए। अनंत ब्रह्मांड से उत्पन्न करके दोनों देवों के सोने के भंडार भरे। देवता पुनः धनवान बने।
ऐसी ही साधनाओं में से एक स्वर्णाकर्षण भैरव साधना है। इसे नियत विधान से ऊर्जा सम्पन्न क्षेत्र में किया जाए। तो मनचाहे धन की परिस्थियां उत्पन्न होती हैं। हमने आज तक ऐसा साधक नही देखा जिसने विधान पूर्वक इसे अपनाया। फिर भी मनचाहा धन न पाया हो। इसके परिणाम वाकई बड़े ही उत्साह जनक होते हैं।
तो वे साधक तैयार हो जाएं। जिन्हें मनचाहे धन की चाहत है। जल्दी ही हम आपको इसके विधान और साधना क्षेत्र से अवगत कराएंगे।
स्वर्णाकर्षण भैरव साधना विधि
स्वार्णकर्षण भैरव जी की उर्जाओं के साथ कनेक्टिविटी अनुष्ठान सम्पन्न होने के बाद किसी शुभ मुहुर्त में साधना आरम्भ करें।
माला रुद्राक्ष की लें। आसन पीला रंग का रखें। कपड़े साफ सुथरे पहनें।
साधना सात्वक है। इसे को महिला पुरुष सभी साधक कर सकते हैं। महिला और पुरुष साधकों के लिये मंत्र अलग अलग हैं।
महिला साधकों के लिये मन्त्र
ॐ ऐं क्लां क्लीं क्लूं ह्रां ह्रीं ह्रूं स: वं आपदुद्धारणाय अजामल वधाय लोकेश्वराय स्वर्णाकर्षण भैरवाय मम दारिद्रय विद्वेषणाय ॐ ह्रीं महाभैरवाय नम:
मन्त्र को जप जपकर याद करें।
दिक्कत हो तो लिखकर याद करें।
और मन ही मन जपें
पुरुष साधकों के लिये मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ऐं श्रीं आपद उद्धारणाय ह्रां ह्रीं ह्रूं अजामिल बधाय लोकेश्वराय स्वर्णाकर्षण भैरवाय मम दारिद्रय विद्वेषणाय महा भैरवाय नमः श्रीं ह्रीं ऐं ॐ
1- साधना 7 दिन चलेगी।
● प्रतिदिन 3 माला मन्त्र जप। माला 108 मनके वाली।
● 7 दिन में 21 माला मन्त्र जप के बाद 47 दिन तक 1 माला रोज मन्त्र जप।
2- साधना के 7 दिनों तक कोई भी दूसरी साधना नही करनी है।
3- साधना के दिनों में सात्विक भोजन करना है।
4- साधना के दिनों में गुस्से और आलोचना से बचें।
5- महिला साधक यदि मासिक से प्रभावित हो जाएं तो साधना तुरन्त रोक दें।
मासिक पूरा होने के बाद शुभ मुहूर्त में नए सिरे से साधना आरम्भ करें।
6- साधना के लिये अपनी सुविधा का कोई भी टाइम फिक्स कर लें।
रोज उसी समय पर साधना करनी है।
7- मंत्र जप आराम से करें। जल्दबाजी में न जपें।
8- साधना के दिनों में रोज किसी गरीब को भोजन दें।
9- साधना के समय देशी घी का दीपक जलाएं।
धूप जलाएं।
मावा पेड़े का भोग लगाएं।
10- साधना का विधान और मन्त्र जल्दी ही भेजे जाएंगे। जिसे गोपनीय रखें। किसी के साथ शेयर न करें।
साधना का विधान
● अपनी सुविधा का कोई समय तय कर लें।
रोज उसी समय पर साधना शुरू करें।
साधना स्थल को साफ सुथरा रखें। साधना के लिये पीला आसन बिछाकर पूरब मुख होकर बैठ जाएं।
5 मिनट प्राणायाम करें।
फिर श्री गणेशाय नमः बोलकर साधना शुरू करें।
घी का दीपक प्रज्वलित कर लें। धूप बत्ती जला लें।
मावा से बने पेड़े का भोग लगाएं।
उसके बाद आगे दिये संकल्प बोलकर 108 मनके वाली रुद्राक्ष की माला से मन्त्र जप शुरू करें।
संकल्प:-
● भगवान शिव को साक्षी बनाएं, कहें हे देवाधिदेव महादेव मेरे गुरुदेव आपको प्रणाम। आपको साक्षी बनाकर मै स्वर्णाकर्षण भैरव सिद्धि साधना कर रहा हूँ। मुझे इसकी अनुमति प्रदान करें। सफलता हेतु दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें। स्वर्णाकर्षण भैरव की अनुकूलता प्रदान करें।
आपका धन्यवाद।
● स्वर्णाकर्षण भैरव जी से सिद्धि का आग्रह करें, कहें- हे शिवजी के स्वरूप स्वर्णाकर्षण भैरव जी आपको प्रणाम। भगवान शिव को साक्षी बनाकर मै आपकी स्वर्णाकर्षण साधना सम्पन्न कर रहा हूँ। इसके लिये मेरे द्वारा किये जा रहे मन्त्र जप और साधना को स्वीकार करें, साकार करें। मुझे स्वर्णाकर्षण सिद्धि प्रदान करें।
आपका धन्यवाद।
● मन्त्र से साधना सिद्धि का आग्रह करें, कहें- हे दिव्य स्वर्णाकर्षण भैरव मन्त्र मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरे लिये सिद्ध हों। मुझे स्वर्णाकर्षण भैरव सिद्धि प्रदान करें।
आपका धन्यवाद।
● अपनी शक्तियों से सिद्धियों के लिये सक्षम बनाने का आग्रह करें, कहें- मेरे तन मन मस्तिष्क, आभामण्डल, ऊर्जा चक्र, कुंडलिनी शक्ति और 33 लाख से अधिक रोम छिद्रों आपको नमन। आप सब स्वर्णाकर्षण भैरव मन्त्र के साथ जुड़ जाएं। इनके बीज मंत्रों को अपने भीतर स्थापित कर लें। मेरे साथ मिलकर इस मन्त्र का जप करें। ब्रम्हांड से दैवीय ऊर्जाओं को ग्रहण करके अपने भीतर धारण करें और मुझे स्वर्णाकर्षण भैरव सिद्धि अर्जित करने में सक्षम बनाएं।
आपका धन्यवाद।
● मन्त्र से सिद्धि का आग्रह करें, कहें- हे दिव्य स्वर्णाकर्षण भैरव मन्त्र आपको नमन। आप मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरे लिये सिद्ध हो जाएं और मुझे स्वर्णाकर्षण भैरव सिद्धि अर्जित करने की दैवीय उर्जायें प्रदान करें।
आपका धन्यवाद।
● रोज ऐसा बोलकर मन्त्र जप शुरू करें।
शिव शरणं।