● कमाते तो हैं मगर धन नही टिकता।
● उधार, कर्ज, क्रेडिट कार्ड के बिना काम नही चलता।
● ज्यादातर पैसा ब्याज, इलाज, मुकदमें या ऐसे ही मजबूरी वाली चीजों में खर्च हो जाते हैं।
● हर समय कर्ज मांगने वालों का डर, बेइज्जती, बेचैनी
यह स्थिति किसी नरक से कम नही। जिस पर बीतती वही समझ सकता है इस पीड़ा को।
अनावश्यक खर्चें, न चाहते हुये भी आपके हाथ से खर्चा अधिक हो जाता हो तो यह प्रयोग आपके लिये बहुत ही लाभदायक साबित हो सकता है। ऋषिकाल से असंख्य लोगों को इसका लाभ मिला है।
आधुनिक वैज्ञानिकों ने अब पता लगाया है कि सोना, चांदी, हीरे, जवाहरात सहित सभी धातुवें और वस्तुवें ऊर्जाओं के रूप में ब्रह्मांड में मौजूद हैं। वही उर्जायें अलग अलग घनत्व में रूप बदलकर धरती पर आईं और आती रहती हैं।
आज के वैज्ञानिक पता लगा रहे हैं कि अंतरिक्ष में फैली इन ऊर्जाओं को क्या किसी विधि से अलग अलग वस्तुओं के रूप में धरती पर उतारा जा सकता है। क्या उन्हें अपनी मर्जी से मेटलाइज किया जा सकता है। हो सकता है कालांतर में विज्ञान ऐसा कर भी ले।
हमारे ऋषियों ने इसे लाखों साल पहले ही कर लिया था। वे अंतरिक्ष के इस रहस्य को पहले जान गए थे। यही नही उन्होंने ब्रह्मांड में फैली इन ऊर्जाओं को अलग अलग स्वरूपों में पाने और उपयोग करने के सरल, सटीक प्रयोग अनुष्ठान, यंत्रों आदि के रूप में खोज लिए।
सिद्ध लक्ष्मी का यह अनुष्ठान भी उन्हीं में से एक है। सही विधान से अपनाया जाए तो परिणाम मिल ही जाते हैं। इसमें 3 विशेष चीजों का उपयोग होता है।
उनके औरिक गुणों के बारे में जान लीजिये।
लौंग ऊर्जा शोधन का काम सक्षम तरीके से करती है। इसमें घरों से और लोगों के अभामंण्डल, ऊर्जा चक्रों से नकारात्मक ऊर्जाओं को निकालने की प्राकृतिक क्षमता होती है। सिद्ध हुई लौंग नकारात्मकता को लगातार हटाते रहने में सक्षम होती है।
गोमती चक्र में लोगों के आज्ञा चक्र, मूलाधार चक्र को संतुलित करने की प्राकृतिक क्षमता मिलती है। आज्ञा चक्र संतुलित हो तो अनावश्यक खर्च रुक ही जाते हैं। मूलाधार चक्र ठीक हो तो धन के साधन, कर्मयोग और कांफिडेंस बढ़ता रहता है।
कौड़ी में ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं में व्याप्त धन देने वाली ऊर्जाओं का आकर्षण करने की प्राकृतिक क्षमता होती है। इसे सिद्ध करके जहां स्थापित किया जाता है धनदा उर्जायें आकर्षित होकर आती रहती हैं। जिन्हें गोमती चक्र मेटलाइज करके भौतिक धन के रूप में सामने लाने का काम करता है।
अनुष्ठान विधान:
किसी भी माह के पहले सोमवार को 11 गोमती चक्र, 11 कौड़ी, 11 लौंग (फूलदार) लें।
उन्हें नए पीले कपड़े में रखकर अपने पूजा स्थापित कर दें। फिर उनका पंचोपचार पूजन करें। इससे वस्तुओं की औरिक सक्रियता बढ़ जाती है और उनमें ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं को धारण करने की क्षमता एक्टिव हो जाती है।
पंचोपचार में स्नान धूप, दीप, तिलक, अक्षत, फूल, नैवेद्य, अर्पित करें।
उसके बाद
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्मयै: नम:
मन्त्र का 11 माला जप करें। ऐसा 7 दिन नियमित रूप से पूजन और जाप करें।
इससे वस्तुवों में ब्रह्मांड में फैली धनदा ऊर्जाओं की स्थापना हो जाती है। वे ब्रह्मांड से समधर्मी ऊर्जाओं को आकर्षित करना शुरू कर देती हैं। जो भौतिक धन में मेटलाइज होती जाती हैं। नतीजन धन, समृद्धि की परिस्थितियों के परिणाम मिलते हैं।
अगले सोमवार को श्रद्धापूर्वक पूजन और जाप के बाद उसमें से 4 गोमती चक्र, 4 कौड़ी, 4 लौंग निकाल लें।
उन्हें लाल कपड़े में 1-1 करके 4 जगह लपेट लें। 1 कपड़े में 1 गोमती चक्र, 1 कौड़ी, 1 लौंग। इस तरह 4 यंत्र तैयार होंगे।
घर के चारों कोनों में गड्डा खोद कर डाल दें।
सभी घरों में गड्ढा खोदना सम्भव नही होता। तो वहां घर के चारो कोनों में इन्हें कील के सहारे लटका दें। इन्हें कोई बार बार छेड़े न।
शेष बचें में से 5 गोमती चक्र, 5 कौड़ी, 5 लौंग को लाल वस्त्र में बांधकर अपनी तिजारी में रख दें।
उसके बाद बचे 2 गोमती चक्र, 2 कौड़ी और 2 लोंग को श्रद्धापूर्वक किसी मंदिर में जाकर लक्ष्मी नारायण को अर्पित कर दें। मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी।
ध्यान रहे यह अनुष्ठान एक तरह का उत्कृष्ट विज्ञान है। इसमें अपनी सुविधा या मन मर्जी से कोई बदलाव न करें। अन्यथा परिणाम उल्टे भी हो सकते हैं।
खुद से विधान न हो सके तो किसी विद्वान आचार्य से भी करा सकते हैं। इसके लिये ऐसे आचार्य का ही चयन करें जो पहले इसे कर चुका हो।
जरूरी लगे तो मृत्युन्जय योग संस्थान से भी अनुष्ठान संपन्न करा सकते हैं।
शिव शरणं।
हेल्पलाइन: 9999945010