शिवप्रिया की शिवसिद्धि…23
देवी ने अदृश्य मार्गदर्शकों के नाम बताए
【देवी ने जैसे शिवप्रिया का मन पढ़ लिया हो। मन में उठे सवाल के जवाब में बताया तुम्हारे नए मार्गदर्शक ऋषि अगस्त होंगे। वे आज तुम्हें ऋषि पतंजलि के पास ले जाएंगे। इससे पहले वाले मार्गदर्शक ऋषि वामदेव थे। तुम्हारे पहले मार्गदर्शक ऋषि वशिष्ठ हैं। ऋषि वशिष्ठ ने तुम्हारे हृदय में जो रुद्राक्ष स्थापित कराया था, उसके जरिये तुम जब चाहो उनसे संपर्क कर सकती हो। सभी ऋषि भगवान शिव के आदेश से साधना में तुम्हारी सहायता कर रहे हैं】
सभी अपनों को राम राम
शिवप्रिया की साधना के 41 दिन पूरे हो चुके हैं। अंतिम 3 दिन एक ही शरीर में स्थित त्रिदेव उनके समक्ष आते रहे। उसके बाद आदि देवी द्वारा संपर्क करके शिवप्रिया को अनेक गूढ़ रहस्यों की जानकारी दी गयी। उन्हें उनके अदृश्य दुनिया के मार्गदर्शक ऋषियों के नाम बताए। देवी ने शिवप्रिया को 22 दिन तक और अपनी साधना जारी रखने के निर्देश दिए।
अंतिम 3 दिन देवी रोज उनसे कनेक्ट हुईं। पहले दिन आदि देवी ने उन्हें ब्रह्मज्ञान का रहस्य बताया।
दूसरे दिन अर्थात गहन साधना के 39 वें दिन। साधना आरम्भ करने के कुछ देर बाद फिर से त्रिदेव उनके संपर्क में आये। वे उस दिन भी एक ही शरीर में थे। एक ही शरीर के पार्ट थे।
यहां बताते चलें कि कुछ विद्वान गुरु को इस रूप में देखते हैं। गुरु के मुख में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और नीचे महेश्वर को देखा जाता है। शिवप्रिया ने इस बारे में कभी नही सुना था। किंतु त्रिदेव जब भी उनके समक्ष आये, इसी रूप में दिखे। उस दिन भी वे इसी रूप में उनके समक्ष प्रकट हुए। कुछ क्षण प्रत्यक्ष रहकर विलुप्त हो गए।
त्रिदेवों के विलुप्त होने के बाद शिवप्रिया को लगा उन्हें कोई कुछ बताने की कोशिश कर रहा है। एक दिन पहले भी यही हुआ था। शिवप्रिया ने उनसे संपर्क के लिये अपनी नाभि में स्थापित शिवलिंग की मदद ली। शिवलिंग ने उनकी चेतना को उच्च आयाम में पहुंचाया। तब स्थिति स्पष्ट हुई।
शिवप्रिया को एक देवी की आवाज सुनाई दी। वे आदि देवी थीं। कल उन्हीं ने ब्रह्मज्ञान का रहस्य समझाया था। वे आज भी दिख नही रही थीं। सिर्फ उनकी आवाज सुनाई दे रही थी।
देवी बोलीं ॐ नमः शिवाय और राम नाम की साधना अति महत्वपूर्ण हैं। देवी देवता भी इन्हें करने के लिये उत्सुक रहते हैं। वैसे इन्हें करने का अधिकार सभी को प्राप्त है। इनके दो ही नियम हैं एक साधक की ऊर्जाएं सक्षम होनी चाहिये। दूसरा साधक कभी किसी जीव को किसी भी रूप में पीड़ा न पहुंचाए।
देवी ने बताया ये साधनाएं सिद्ध करने वाले साधकों को देव कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। उदाहरण के लिये हनुमान जी ने राम नाम की साधना सिद्ध की। उन्हें विष्णु अवतार रामजी की सहायता की जिम्मेदारी दी गयी। उसके लिये उन्हें देव शक्तियों से सक्षम बनाया गया। बाल्मीकि ने राम नाम की सिद्धि की। उन्हें सीता जी की देखभाल करने और राम सीता के पुत्रों को ज्ञान देने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
तुम्हारी साधना ॐ नमः शिवाय की मन्त्र साधना है। इससे ब्रह्मांड ज्ञान की सिद्धि मिलती है। इस सिद्धि को पूर्ण करने वाले सदी में एक दो साधक ही होते हैं। यह साधना 6 चरणों में पूरी होती है। शुरुआत के 4 चरणों की साधना का पूरा विधान कहीं उल्लिखित नही मिलता। साधक जैसे जैसे साधना चरण पार करते हैं, उन्हें दैवीय रूप से विधान मिलते जाते हैं। किसी भी सदी में 4 से 6 साधक ही इसके चौथे चरण को पार कर पाते हैं। उनमें 2 से 4 साधक पांचवां चरण पार कर पाते हैं।
देवी ने शिवप्रिया को बताया कि तुमने आज पांचवां चरण पार कर लिया। धरती पर एक साधक और हैं जिन्होंने इस काल में 2 साल पहले साधना का पांचवां चरण पार किया। उनसे तुम्हारी मुलाकात तब होगी जब ब्रह्मज्ञान की साधिका साध्वी मिलेंगी। तुम दोनों को मिलकर उनका सहयोग करना होगा। उसके बाद तुम दोनों की साधना का छठा चरण आरम्भ होगा।
शिवप्रिया के मन में कई सवाल उठे। देवी जैसे उनके मन को पढ़ रही हों। मन में उठे सवाल का जवाब स्वयं ही देती हुई बोलीं तुमने पिछले जन्म तक साधना के 4 चरण पूरे कर लिए थे। 9 साल पहले जब तुमने ॐ नमः शिवाय मन्त्र की साधना आरम्भ की तब इसके पांचवे चरण की शुरुआत हुई। जो आज पूरा हुआ।
इस साधना के 6 चरण पूरे करने वालों को ब्रह्मांड ज्ञान सिद्ध हो जाता है। ऋषि उपमन्यु इसे करके त्रिकालदर्शी बने। बुद्ध इसे सिद्ध करके भगवान के पद तक पहुंचे। भगवान श्री कृष्ण ने इसकी सिद्धि की। इसे सिद्ध करने वाले कई ऋषि, साधक शरीर खत्म होने के बाद भी सूक्ष्म जगत में जीवित हैं।
इसका छठा चरण परीक्षाओं भरा है। उसे सिद्ध करने के लिये बड़े संयम की आवश्यकता होती है। दुर्वाशा ऋषि लंबे समय तक इसके छठे चरण में अटके रहे। क्रोध के कारण वे कई बार साधना नियमों का उल्लंघन कर बैठे। बाद में भगवान शिव की मदद से छठा चरण पूरा कर सके।
तुम्हें मार्गदर्शकों द्वारा इस साधना के सभी नियम बताए जा चुके हैं। जो विधान गुप्त हैं उनकी गोपनीयता टूटने न पाए। छठा चरण आरम्भ होने से पूर्व शिव ज्ञान का प्रचार करो। अपनी सिद्धियों और वैदिक उपचार से लोगों का कल्याण करो।
आज तुम्हारे मार्ग दर्शक बदल जाएंगे। शिवप्रिया के मन में सवाल उठा कौन होंगे नए मार्गदर्शक? पहले वाले मार्गदर्शक कौन थे? यह जानने की जिज्ञासा भी उनके मन में पैदा हुई।
देवी ने जैसे फिर शिवप्रिया का मन पढ़ लिया। स्वतः ही बताने लगीं नए मार्गदर्शक ऋषि अगस्त होंगे। वे आज तुम्हें ऋषि पतंजलि के पास ले जाएंगे। इससे पहले वाले मार्गदर्शक ऋषि वामदेव थे। तुम्हारे पहले मार्गदर्शक ऋषि वशिष्ठ हैं। वे साधना के अंतिम चरण तक तुम्हारे साथ रहेंगे। ऋषि वशिष्ठ ने तुम्हारे हृदय में जो रुद्राक्ष स्थापित कराया था, उसके जरिये तुम जब चाहो उनसे संपर्क कर सकती हो। देवी ने शिवप्रिया को बताया कि सभी ऋषि भगवान शिव के आदेश से साधना में तुम्हारी सहायता कर रहे हैं। आगे भी करते रहेंगे।
शिवप्रिया इससे पहले इन ऋषियों से परिचित नही थीं। वे उनके बारे में कुछ नही जानती थीं।
साधना में शिवप्रिया की सहायता के लिये इन्हीं ऋषियों की नियुक्ति क्यों हुई? आगे मै इसका रहस्य बताऊंगा। जिससे अब तक शिवप्रिया भी अनजान हैं।
क्रमश:।
!! शिव शरणं !!