राक्षसों के देश में कोरोना की दवा तैयार

rakshash

सभी अपनों को राम राम
राक्षस एक प्रजाति थी।
जिसके अवशेष चीन के रहन सहन में व्याप्त हैं। जीवों का मांस राक्षसों का प्रिय भोजन रहा है। उनकी पीढ़ियों ने सदैव मांस भक्षण को प्राथमिकता दी। वे हर तरह के जीवों को खा जाते थे। चीन में हर तरह के जीव जंतुवो को खाया जाता है। उनकी जीवों को खा जाने की प्रवृत्ति राक्षस वृत्ति जैसी है।
पूर्व काल का अवलोकन करने से पता चलता है कि चीन का परिक्षेत्र कभी राक्षसों का मायावी क्षेत्र था। उधर के कुछ भूखंड में अन्य जीवों का प्रवेश वर्जित था। वहां की गतिविधियां मायावी और अत्यधिक गुप्त रहती थीं। बाकी दुनिया के लोग वहां की गतिविधियों और जानकारियों का पता नही लगा पाते थे।
आज चीन भी यही करता हैं। वहां की गतिविधियां रहस्य के पर्दे में रखी जाती हैं। दुनिया चीन के भीतर की सिर्फ वही बातें जान पाती है, जिन्हें वे खुद जताना चाहते हैं। उनकी गोपनीयता में सेंध न लग सके इसलिये गूगल और फेसबुक तक वहां पाबन्द है। उनका अपना निजी सोसल मीडिया है।
कोरोना के मामले में दुनिया ने वही देखा जो चीन ने दिखाया। वहां कोरोना कभी कंट्रोल से बाहर हुआ ही नही। शुरुआत से ही उसकी लगाम चीन के कुछ असरदार लोगों के हाथ में थी। उन्होंने कोरोना के अदृश्य राक्षस को लोगों के बीच फैला दिया।
जिस तरफ किसी प्रोडक्ट का शोरूम सजाया जाता है, उसी तरह चीन के वुहान सहित कुछ शहरों को कोरोना का शोरूम बनाया गया। वहां कोरोना ऐसे फैलाया गया जैसे बेकाबू हो। बीमारी का शोरूम जीवंत लगे इसलिये कुछ लोगों को मरने दिया गया। फिर लॉक डॉउन आदि का उपक्रम हुया। ताकि बीमारी की भयावता बहुत ज्यादा नजर आए। ताकि दुनिया बुरी तरह डर जाए।
चीन के जिन डॉक्टरों को मौत के इस शोरूम पर शक हुआ। उन्हें कस्टडी में लेकर मौत तक पहुंचाया गया। ताकि रहस्य बरकरार रहे। उनके कुछ वैज्ञानिकों ने जानबूझ कर प्रचारित किया कि कोरोना का संक्रमण 14 दिन तक रहता हैं। ताकि दुनिया में इसकी व्यापकता और अधिक नजर आए।
उन असरदार लोगों ने जहां तक चाहा चीन में सिर्फ वहीं तक कोरोना फैला। बीमार लोग अनजाने ही उनके विश्वव्यापी मौत के शोरूम का हिस्सा बने। जितने चाहे उतने ही लोग मरे। क्योंकि राक्षसों के देश चीन में कोरोना की दवा तैयार है। जिसके सेवन से प्रभावित रोगी 4 दिन के भीतर ठीक हो जाते हैं।
राक्षसों के देश में ऐसा क्यों हो रहा है?  वहीं के लोगों की जान की कीमत पर कोरोना के राक्षस को क्यों फैलाया गया!
इन सवालों के जवाब जानने से पहले कोरोना के बारे में जान लेना जरूरी है। *यह उन तमाम बीमारियों में से एक है जो नाक बहने से शुरू होकर सर्दी, खांसी, जुकाम, इन्फ्लुएंजा, फ्लू आदि की तरह होती हैं। जिनमें नजला जुकाम, नाक बहने, गले में दिक्कत, खासी, बुखार, बदन दर्द, बेचैनी, सांस लेने में दिक्कत आदि के लक्षण सामने आते हैं। इन बीमारियों के विषाणु एक से दूसरे में तेजी से फैलते हैं।
इनमें से कुछ बीमारियां निमोनिया की सी स्थिति तक पहुंचकर जानलेवा हो जाती हैं। कोरोना भी उनमें से एक है।
अब कोरोना संक्रमण के हमले को समझ लेते हैं। कोरोना विषाणु एक से दूसरे तक पहुंचने पर सिर्फ तभी कारगर होते हैं जब नाक या मुंह के जरिये गले तक पहुंच जाएं। उनका मुख्य आक्रमण क्षेत्र गला ही होता है। वे 4 दिन तक गले में ही फलते फूलते हैं। उसी बीच बाद बलगम के जरिये स्वांस नली से फेफड़ों तक पहुंचते हैं। फेफड़ों में पहुंचने के बाद वे मौत के राक्षस की तरह खतरनाक होते जाते हैं। उनके प्रभाव में बन रहा बलगम फेफड़ों की स्वांस नलियों में जमकर सूखने लगता है। जिससे सांस लेने में दिक्कत होते हैं। संक्रमित तेज बुखार के कारण टिशू तेजी से क्षतिग्रस्त होते हैं। यही बातें मृत्यु का कारण बनती हैं।
कोरोना वायरस को गले में ही खत्म कर लिया जाए तो मृत्यु का खतरा बिल्कुल नही। फेफड़ों की स्वांस नालियों में जमी बलगम की लेयर को गलाकर निकाल दिया जाए तो बीमार की मृत्यु नही होगी।
कोरोना संक्रमण को खत्म करने की यह दवा राक्षसों के देश चीन में तैयार है। किंतु वे उसे रहस्य के पर्दे में रखे हैं।
वे क्या चाहते हैं? दुनिया में कोरोना इतनी तेजी से क्यों फैला? ऐसी स्थितियों में अन्य देशों को क्या करना चाहिये? लोगों को क्या करना चाहिये? हमें क्या करना चाहिये? इस पर हम आगे चर्चा करेंगे।
क्रमशः।
शिव शरणं!

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